तो इस वजह से एक-दूसरे को वरमाला पहनाते हैं दूल्हा-दुल्हन, जानिए धार्मिक मान्यता
punjabkesari.in Monday, May 06, 2024 - 12:39 PM (IST)
शादी को जिंदगी का महत्वपूर्ण पड़ाव माना जाता है। सनातन धर्म में 16 संस्कार बताए गए हैं जिनमें से एक संस्कार विवाह भी है। शादी के दौरान लड़का-लड़की के साथ-साथ दो परिवार के लोग भी एक साथ रिश्ते में जुड़ जाते हैं। शादी में कई तरह की रस्में भी होती हैं जिनमें से एक रस्म है वरमाला की। सात फेरे लेने से पहले दूल्हा-दुल्हन एक-दूसरे को वरमाला पहनाते हैं। इस रस्म को बहुत अच्छे तरीके से पूरा करते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि शादी के दौरान दूल्हा-दुल्हन एक-दूसरे को वरमाला क्यों पहनाते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं कि इसके पीछे का धार्मिक महत्व ।
धार्मिक महत्व
पौराणिक कथा में शादी के दौरान दूल्हा और दुल्हन को जयमाला पहनाने से वर्णन देखने को मिलता है। मान्यताओं के अनुसार, धन की देवी मां लक्ष्मी ने जगत के पालनहार भगवान विष्णु को वरमाला पहनाकर पति के तौर पर स्वीकार किया था। इसलिए शादी के दौरान दूल्हा-दुल्हन एक-दूसरे को वरमाला पहनाते हैं। भगवान श्रीराम और माता-सीता, देवों के देव महादेव और मां पार्वती ने भी वरमाला डालकर ही विवाह किया था। वरमाला की रस्म के बाद दूल्हा और दुल्हन सात फेरे लेकर सात जन्मों के साथ में बंध जाते हैं।
वरमाला का अर्थ
शादी में दूल्हा-दुल्हन के द्वारा एक-दूसरे को वरमाला पहनाने का यही अर्थ होता है कि दोनों एक-दूसरे को जीवन में सदैव पति-पत्नी के तौर पर स्वीकार करना चाहते हैं। वरमाला पहनने के दौरान दूल्हा-दुल्हन के परिवार के सदस्य, रिश्तेदार एक-दूसरे को बधाई भी देते हैं।
अलग-अलग तरह की होती है वरमाला
वरमाला अलग-अलग तरह की होती है। कुछ वरमाला फूलों से बनी होती है। वहीं उत्तर भारत में लाल और सफेद गुलाबों की वरमाला देखने को मिलती है। दक्षिण भारत में इसे बनाने के लिए गेंदे या फिर नारंगी रंग के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है।