Ram Mandir: तो इस वजह से अयोध्या में स्थापित होगी 05 साल के रामलला की मूर्ति

punjabkesari.in Thursday, Jan 18, 2024 - 01:38 PM (IST)

22 जनवरी के खास दिन का इंतजार हर कोई कर रहा है। इस दिन दशकों के इंतजार के बाद भगवान श्रीराम अपनी नगरी में विराजमान होने वाले हैं। अयोध्या में 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम भी रखा गया है जिसमें देश-विदेश की जानी-मानी हस्तियां शामिल हो रही हैं। राम लला की 51 इंच की मूर्ति गृभग्रह में स्थापित होने वाली है। यह मूर्ति श्याम वर्ण वाली है। इसमें 5 साल के बाल स्वरुप में श्रीराम कमल पर विराजमान होंगे। कमल के फूल के साथ मूर्ति की लंबाई 8 फीट तक की होगी। अब यहां पर सभी के मन में यह सवाल आ रहा है कि भला क्यों 05 साल के उम्र की ही मूर्ति ही क्यों रखनी जा रही है। इससे कम या ज्यादा उम्र की क्यों और इसकी लंबाई 51 इंच ही क्यों रखी गई है। तो चलिए आपको बताते हैं कि 05 साल के रामलला की मूर्ति क्यों रखी जा रही है...

हिंदू विद्वानों और संतों ने दिए थे सुझाव 

राममंदिर के ट्रस्ट महासचिव चंपत राय ने बताया था कि - हमें संतों और हिंदू विद्वानों से सुझाव मिले हैं कि रामलला की मूर्ति 5-6 साल के बच्चे की मूर्ति दिखनी चाहिए। विचार यह है कि केवल एक खड़ी मूर्ति बनाई जानी चाहिए। ज्यादातर मूर्तिकारों ने भी ऐसे ही सुझाव दिए हैं। 

PunjabKesari

इसलिए है 51 इंच की मूर्ति 

मूर्ति 51 इंच की इसलिए है क्योंकि भारत में मौजूदा दौर में पांच साल के बालक की ऊंचाई मोटे तौर पर 43-45 इंच के आस-पास की होती है लेकिन जब राम पैदा हुए थे तो उसमें आमलोगों की औसत लंबाई कहीं ज्यादा थी। इसलिए 51 के शुभ नंबर को देखते हुए ऊंचाई 51 मानी गई है।

PunjabKesari

काले पत्थर से इसलिए बनाई गई है मूर्ति 

मूर्ति काले पत्थर की इसलिए बनाई गई है क्योंकि राम लला की मूर्ति को शालिग्राम पत्थर के साथ बनाई गया है। मान्यताओं के अनुसार, हिंदू धर्म में देवी देवताओं की मूर्ति शालीग्राम के साथ ही बनाई जाती है। शालीग्राम काले रंग का चिकना, अंडाकार पत्थर होता है। धार्मिक ग्रंथों की मानें तो शालीग्राम भगवान विष्णु का छोटा स्वरुप है। यह एक प्रकार का जीवाश्म पत्थर है। शालीग्राम आमतौर पर पवित्र नदी की तली या किनारों से इकट्ठा किया जाता है।

PunjabKesari


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

palak

Recommended News

Related News

static