जन्मोत्सव पर सूर्य तिलक से जगमगा उठा रामलला का मस्तक, अद्भुत नजारा देख भर आई आंखें
punjabkesari.in Wednesday, Apr 17, 2024 - 12:32 PM (IST)
अयोध्या में जन्मभूमि स्थल पर भव्य मंदिर में विराजमान रघुकुल नंदन भगवान श्रीराम का जन्मोत्सव आज पूरी दुनिया के लिये आकर्षण का केंद्र रहा। रामनवमी के शुभ अवसर पर श्री रामलला का दूध से स्नान कराया गया, जिसके बाद प्रभु राम का बेहद भव्य श्रृंगार किया। इसके बाद सूर्य की किरणें रामलला के मस्तक पर पड़ी और दर्पण व लेंस से जुड़े एक विस्तृत तंत्र द्वारा उनका 'सूर्य तिलक' संभव हो सका। इसे ''सूर्य तिलक परियोजना'' का नाम दिया गया, इस प्रणाली का परीक्षण वैज्ञानिकों ने मंगलवार को किया।
What a magical moment
Spirituality and Divinity 🙏
Sanatan Dharma 🔥
JAI SHREE RAM 🚩#RamNavami pic.twitter.com/12amhURekT
— Maarwadi🚩🚩 (@Marwadi99) April 17, 2024
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर)-सीबीआरआई रुड़की के वैज्ञानिक डॉ एस के पाणिग्रही ने बताया कि ''सूर्य तिलक परियोजना का मूल उद्देश्य रामनवमी के दिन श्री राम की मूर्ति के मस्तक पर एक तिलक लगाना है। परियोजना के तहत, कुछ ही देर में भगवान राम के मस्तक पर सूर्य की रोशनी लाई जाएगी।'' उन्होंने बताया कि ''सूर्य तिलक परियोजना के तहत हर साल चैत्र माह में श्री रामनवमी पर दोपहर 12 बजे से भगवान राम के मस्तक पर सूर्य की रोशनी से तिलक किया गया और हर साल इस दिन आकाश पर सूर्य की स्थिति बदलती है।''
Ram Lalla is virajman at his birthplace, Pujaris are performing special puja on the occasion of #RamNavami and it's happening after 500 years...
What an emotional moment... 🥺🙏 pic.twitter.com/Li2AkYB8w4
— Mr Sinha (Modi's family) (@MrSinha_) April 17, 2024
‘भए प्रकट कृपाला दीनदयाला, कौशल्या हितकारी। हरषित महतारी मुनि मन हारी, अछ्वुत रूप विचारी।। की चौपाईयों की स्तुति के साथ भव्य मंदिर में श्रीरामलला का प्रतीकात्मक रूप से जन्मोत्सव मनाया जा रहा है।रामलला का जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष, नवमी तिथि, पुनर्वसु नक्षत्र, ककर् लग्न में दोपहर 12 बजे हुआ था। 495 वर्ष बाद रामलला का जन्मोत्सव उनके दिव्य और भव्य बन रहे राम मंदिर में प्रथम बार हो रहा है। 495 वर्षों के संघर्ष के बाद स्थायी मंदिर में विराजे रामलला का जन्मोत्सव पहली बार इतनी भव्यता से मनाया जा रहा है। जन्मोत्सव पर श्रीरामलला को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया गया, साथ ही प्रसाद के रूप में तीन तरह की पंजीरी, पंचामृत का भोग लगाया।
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा रामलला के जन्मोत्सव में पंजीरी, कुट्टू व सिंघाड़े का आटा, रामदाना का भी भोग लगाया जायेगा। जन्मोत्सव मनाये जाने के बाद यह प्रसाद श्रीरामजन्मभूमि की सुरक्षा में लगे सुरक्षाकर्मियों सहित मंदिर निर्माण कार्य में लगे मजदूरों, इंजीनियरों के साथ रामलला के दर्शनार्थियों को वितरित किया जायेगा। रामलला ने अपने जन्मोत्सव पर रतन जड़ित वस्त्र धारण किया। पीला कपड़ा, सोने का मुकुट सहित कई वस्त्र रहे। जन्मोत्सव के उल्लास में अयोध्या डूब हुई दिखाई दे रही है। पूरी अयोध्या में जन्मोत्सव को ऐतिहासिक बनाने के लिये अयोध्या के संत धर्माचार्य ने पहले ही तैयारियां कर ली थी।। राम जन्मोत्सव पर पूरी अयोध्या राममय हो गयी है। इस बार घर-घर उत्सव मनाया जा रहा है।
रामलला के मस्तक के केंद्र पर तिलक लगाने की सही अवधि लगभग तीन से साढ़े तीन मिनट है, जिसमें दो मिनट पूर्ण रोशनी होती है। इस बीच, श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य अनिल मिश्रा ने कहा कि "सूर्य तिलक के दौरान, भक्तों को राम मंदिर के अंदर जाने की अनुमति दी जाएगी। इसके लिए मंदिर ट्रस्ट द्वारा लगभग 100 एलईडी और सरकार द्वारा 50 एलईडी लगाई जा रही हैं। जो रामनवमी समारोह को दिखाएगा, लोग जहां मौजूद हैं वहां से उत्सव देख सकेंगे। इस अद्वितीय तंत्र को स्थापित करने में अपने व्यक्तिगत अनुभव को साझा करते हुए, सीएसआईआर-सीबीआरआई, रुड़की के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. डी. पी. कानूनगो ने कहा, "वास्तव में यह अत्यंत सटीकता प्राप्त करने के लिए सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध, डिजाइन और कार्यान्वित किया गया है।"