प्रेमानंद जी महाराज के अनमोल वचन: बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता तो क्या करें?

punjabkesari.in Monday, Mar 03, 2025 - 11:56 AM (IST)

नारी डेस्क: प्रेमानंद जी महाराज, एक महान संत और विचारक हैं, जिन्होंने जीवन के सच्चे अर्थ को समझाने का कार्य किया। वे मानते थे कि जीवन में सफलता पाने के लिए सबसे जरूरी है खुद को समझना और आत्म-संयम का पालन करना। उनके अनुसार, जब बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता, तो इसके कई कारण हो सकते हैं, और इससे निपटने के लिए उन्हें अपने जीवन के उद्देश्य को सही दिशा में ले जाना आवश्यक है।

पढ़ाई में मन न लगने का कारण क्या है?

प्रेमानंद जी महाराज का मानना था कि अगर हम संयमित जीवन जी रहे हैं और ब्रह्मचर्य का पालन कर रहे हैं, तो पढ़ाई हमारे लिए आसान हो सकती है। उनका कहना था कि अगर व्यक्ति पवित्र आहार करता है और अपने जीवन में संतुलन बनाए रखता है, तो पढ़ाई में मन लगाना कोई कठिन काम नहीं होता।

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उन्होंने यह भी कहा कि मन को नियंत्रित करना सबसे कठिन कार्य है। जब तक मन पढ़ाई में लगेगा, तब तक यह कोई समस्या नहीं होगी, लेकिन अगर मन अन्य गतिविधियों में लगने लगे, तो पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है। प्रेमानंद जी के अनुसार, यह समझना जरूरी है कि हम क्यों असफल हो रहे हैं और हमें क्या बदलने की जरूरत है।

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पढ़ाई और संयम का महत्व

प्रेमानंद जी महाराज ने विद्यार्थियों को सलाह दी कि यदि वे अपने जीवन में संयम बनाए रखते हैं, तो उनका मन पढ़ाई में लगेगा। उनका कहना था कि आजकल के विद्यार्थियों के लिए एक गुरु के जैसे जीवन जीना जरूरी है, जैसा कि पहले गुरुकुलों में होता था। अगर हम संयमित जीवन जीते हैं और किसी भी विषय पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो हमें सफलता निश्चित रूप से मिलेगी।

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विद्यार्थी जीवन का उद्देश्य क्या होना चाहिए?

प्रेमानंद जी महाराज का कहना था कि विद्यार्थियों का जीवन में उद्देश्य होना चाहिए। उनका उद्देश्य सिर्फ पढ़ाई करना नहीं होना चाहिए, बल्कि उसे तपस्वी की तरह अपनाना चाहिए। अगर विद्यार्थी जीवन में कठिनाइयों का सामना करते हैं, तो वे ही महान बनते हैं। उनका मानना था कि अगर हम अपनी पढ़ाई को साधना की तरह करेंगे, तो हमें न केवल पढ़ाई में सफलता मिलेगी, बल्कि जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी हम सफलता हासिल कर सकते हैं।

प्रेमानंद जी महाराज के अनमोल वचन बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। उनके विचारों के अनुसार, विद्यार्थियों को अपनी पढ़ाई में मन लगाने के लिए संयमित जीवन जीने की आवश्यकता है। अगर बच्चे अपने जीवन में संतुलन बनाए रखते हुए ब्रह्मचर्य और संयम का पालन करते हैं, तो पढ़ाई में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। प्रेमानंद जी के अनुसार, जीवन में महान बनने के लिए हमें तपस्वी की तरह कठिनाइयों का सामना करना चाहिए और खुद को हर दिन बेहतर बनाना चाहिए।
 
 

 


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Content Editor

Priya Yadav

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