प्रयागराज में फिर दिखेगी आस्था की लहर! पौष पूर्णिमा से 44 दिनों तक चलेगा माघ मेला

punjabkesari.in Wednesday, Nov 26, 2025 - 05:01 PM (IST)

नारी डेस्क : प्रयागराज के पवित्र संगम तट पर एक बार फिर श्रद्धा और भक्ति का महासंगम उमड़ने वाला है। माघ मेला 2026 की शुरुआत 3 जनवरी को पौष पूर्णिमा के प्रथम स्नान के साथ होगी और 15 फरवरी को महाशिवरात्रि के अंतिम स्नान के साथ इसका समापन होगा। लगभग 44 दिनों तक चलने वाला यह महाआयोजन भारत की सांस्कृतिक विरासत, आध्यात्मिक ऊर्जा और सनातन परंपरा का जीवंत प्रतीक माना जाता है।

लाखों श्रद्धालु संगम में लगाने आएंगे पवित्र डुबकी

गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम पर हर वर्ष लगने वाले इस मेले में देश–विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुँचते हैं। मान्यता है कि माघ मास में संगम में डुबकी लगाने से पापों का नाश होता है और आत्मा शुद्ध होती है। यही आस्था इस मेले को विशेष बनाती है।

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तेज से चल रही तैयारियां

प्रशासन की ओर से मेला क्षेत्र में सुरक्षा, साफ-सफाई और सुविधाओं को लेकर बड़े पैमाने पर तैयारियां की जा रही हैं।
इस वर्ष तकरीबन 800 हेक्टेयर में विशाल टेंट सिटी बसाई जा रही है, जिसमें कल्पवासियों और श्रद्धालुओं के रहने की व्यवस्था होगी।

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शाही स्नान माघ मेले का सबसे बड़ा आकर्षण

माघ मेले की पहचान शाही स्नान से होती है। अखाड़ों के साधु-संत पारंपरिक शोभायात्रा के साथ संगम तट पर पहुंचकर डुबकी लगाते हैं। पिछले वर्ष महाकुंभ में भी शाही स्नान के समय लाखों की भीड़ उमड़ी थी और इस बार भी वैसी ही भव्यता देखने को मिलेगी।

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माघ मेले में कुल छह प्रमुख स्नान

इस बार मेले में ये छह स्नान मुख्य आकर्षण होंगे।
3 जनवरी: पौष पूर्णिमा (मेला और कल्पवास की शुरुआत)
14 जनवरी: मकर संक्रांति (सूर्य के उत्तरायण का पावन दिन)
18 जनवरी: मौनी अमावस्या (सबसे महत्वपूर्ण और विशाल स्नान)
23 जनवरी: वसंत पंचमी (सरस्वती पूजन एवं स्नान)
1 फरवरी: माघी पूर्णिमा (कल्पवासियों के स्नान का प्रमुख दिन)
15 फरवरी: महाशिवरात्रि (अंतिम स्नान और मेला समापन)
इन दिनों संगम तट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है और पूरे क्षेत्र में अद्भुत आध्यात्मिक वातावरण बनेगा।

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29 दिनों का आस्था और तपस्या का अनूठा अनुभव

माघ मेले की सबसे महत्वपूर्ण परंपरा कल्पवास है। इसमें श्रद्धालु संगम किनारे साधारण टेंटों में 29 दिनों तक तप, साधना और नियमों के साथ जीवन व्यतीत करते हैं। वे प्रतिदिन गंगा स्नान करते हैं, मंत्रजप करते हैं और भजन-कीर्तन में समय बिताते हैं।इस बार पंचांग गणना के अनुसार कल्पवास की अवधि 29 दिनों की होगी।

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माघ मेला सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि भारतीय अध्यात्म, संस्कृति और परंपरा का अनोखा संगम है। संगम तट पर लगने वाला यह 44 दिन का आध्यात्मिक पर्व हर वर्ष करोड़ों लोगों की आस्था को साकार रूप देता है। इस वर्ष मेले की भव्यता और भी बढ़ने की उम्मीद है।


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Monika

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