Periods बंद होने के बाद महिलाओं पर अटैक करती है ये बीमारी, धीरे-धीरे जोड़ों का कर देती है बुरा हाल !
punjabkesari.in Wednesday, Mar 05, 2025 - 03:37 PM (IST)

नारी डेस्क: एक अध्ययन के अनुसार, पिछले 3 दशकों में रजोनिवृत्ति से गुजर चुकी महिलाओं में ऑस्टियोआर्थराइटिस के मामलों की वैश्विक संख्या, साथ ही इस स्थिति से जुड़ी विकलांगता 130 प्रतिशत से अधिक बढ़ी है। अकेले 2020 में, दुनिया भर में 595 मिलियन लोग इस स्थिति का सामना कर रहे हैं, जो दुनिया की आबादी का लगभग 8 प्रतिशत है, जिसमें रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाओं में जोखिम अधिक है।ऑस्टियोआर्थराइटिस एक जोड़ों से संबंधित बीमारी है, जिसमें हड्डियों के जोड़ों के बीच की गद्दी (cartilage) घिसने लगती है।
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2021 में ऑस्टियोआर्थराइटिस के 14,258,581 नए मामले सामने आए
ओपन एक्सेस जर्नल बीएमजे ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि 1990 के बाद से 278,568,950 मौजूदा मामले हैं; और 99,447,16 स्वस्थ जीवन वर्ष (डीएएलवाई) का नुकसान हुआ है, जो क्रमशः 133 प्रतिशत, 140 प्रतिशत और 142 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। चीन के शोधकर्ताओं की एक टीम ने कहा कि इसका एक कारण यह है कि रजोनिवृत्ति से महिला हार्मोन एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट आती है। अतिरिक्त वजन के कारण कुल वर्षों में से 20 प्रतिशत विकलांगता के साथ रहते हैं। चीन के हांग्जो मेडिकल कॉलेज और झेजियांग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा, “रजोनिवृत्त महिलाओं में ऑस्टियोआर्थराइटिस का बोझ बढ़ता जा रहा है, जो उनके वैश्विक स्वास्थ्य पर इसके महत्वपूर्ण प्रभाव को उजागर करता है।”
इस तरह किया गया अध्ययन
रजोनिवृत्त महिलाओं में ऑस्टियोआर्थराइटिस के वैश्विक प्रभाव को बेहतर ढंग से समझने के लिए, शोधकर्ताओं ने ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (जीबीडी) 2021 अध्ययन का सहारा लिया। उन्होंने 55 वर्ष और उससे अधिक आयु की रजोनिवृत्त महिलाओं में घुटने, कूल्हे, हाथ और 'अन्य' ऑस्टियोआर्थराइटिस के नए और मौजूदा मामलों और स्वस्थ जीवन के खोए हुए वर्षों (डीएएलवाई) के लिए 1990 और 2021 के बीच 204 देशों और क्षेत्रों के डेटा का विश्लेषण किया। घुटने का ऑस्टियोआर्थराइटिस सबसे आम प्रकार था , इसके बाद हाथ और 'अन्य' का स्थान था। कूल्हे का ऑस्टियोआर्थराइटिस सबसे कम आम था और DALYs की सबसे कम दरों से जुड़ा था।
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महिलाएं ऑस्टियोआर्थराइटिस की ज्यादा शिकार क्यों होती हैं
ऑस्टियोआर्थराइटिस के काण हड्डियां आपस में रगड़ खाने लगती हैं, जिससे दर्द, सूजन और चलने-फिरने में कठिनाई होती है। यह समस्या मुख्य रूप से घुटनों, कूल्हों, हाथों और रीढ़ की हड्डी में देखी जाती है। महिलाओं में मेनोपॉज (Menopause) के बाद एस्ट्रोजन हार्मोन* का स्तर कम हो जाता है, जो हड्डियों और जोड़ों की सेहत को बनाए रखने में मदद करता है। इसकी कमी से हड्डियां कमजोर और जोड़ जल्दी घिसने लगते हैं। महिलाओं की हड्डियां पुरुषों की तुलना में हल्की और पतली होती हैं, जिससे उम्र बढ़ने के साथ उनके जल्दी घिसने और कमजोर होने की संभावना बढ़ जाती है।
गर्भावस्था और कैल्शियम की कमी
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का वजन बढ़ता है, जिससे घुटनों और कूल्हों पर अधिक दबाव पड़ता है। बार-बार वजन बढ़ने और घटने से जोड़ों की गद्दी जल्दी घिस जाती है। महिलाओं में कैल्शियम और विटामिन D की कमी आम समस्या है, जिससे हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और ऑस्टियोआर्थराइटिस का खतरा बढ़ जाता है। महिलाएं अक्सर घर और बाहर दोनों जगह काम करती हैं। घरेलू काम जैसे बार-बार झुकना, ज्यादा देर खड़े रहना, भारी सामान उठाना जोड़ों पर असर डालते हैं और ऑस्टियोआर्थराइटिस का कारण बन सकते हैं।
ऑस्टियोआर्थराइटिस से बचाव के उपाय
वजन नियंत्रित रखें: अधिक वजन घुटनों और जोड़ों पर दबाव डालता है, जिससे दर्द बढ़ सकता है।
व्यायाम करें: हल्की स्ट्रेचिंग, योग और वॉकिंग से जोड़ों को मजबूत रखा जा सकता है।
संतुलित आहार लें: कैल्शियम और विटामिन D से भरपूर चीजें (दूध, दही, बादाम, हरी सब्जियां, सोया) खाएं।
सही पोस्चर अपनाएं: झुककर या गलत तरीके से बैठने-उठने से बचें।
आराम करें और हीट थेरेपी अपनाएं: दर्द से राहत के लिए हल्की गर्म पट्टी (Hot Compress) या तेल मालिश करें।
अगर जोड़ों में लगातार दर्द, सूजन और जकड़न महसूस हो रही हो, तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें