Kangaroo Care: अपनी गर्माहट से माता- पिता बचा सकते हैं मरते हुए बच्‍चे की जान

punjabkesari.in Friday, Sep 02, 2022 - 01:46 PM (IST)

एक बच्चे के जन्म के तुरंत बाद, इन दिनों यह सामान्य होता जा रहा है कि बच्चे को उसके पिता या उसे जन्म न देने वाले माता-पिता के सीने पर लिटा दिया जाता है। त्वचा से त्वचा के इस संपर्क को अक्सर ‘‘कंगारू देखभाल’’ कहा जाता है, क्योंकि इसमें कंगारू की तरह बच्चों को गर्मी और सुरक्षा प्रदान की जाती है। दशकों से माताओं को कंगारू देखभाल देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता रहा है और कई बच्चे जन्म देने के बाद सहज रूप से ऐसा करते हैं; यह माँ और बच्चे को जोड़ने और स्तनपान में मदद करने के लिए किया जाता है।

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पिताओं ने शेयर किया अपना अनुभव

एक अध्ययन से पता चला है कि कंगारू देखभाल बच्चे और माता-पिता दोनों के लिए लाभदायक होती है। नए पिताओं में कोर्टिसोल (एक तनाव हार्मोन) के स्तर और रक्तचाप को मापने वाले एक अध्ययन में पाया गया: ‘‘जिन पिताओं ने पहली बार अपने बच्चे को त्वचा से त्वचा के संपर्क में रखा, उनके शरीर की तनाव प्रतिक्रियाओं में उल्लेखनीय कमी देखी गई। ये अध्ययन बच्चे के बारे में जानने, बात करने, छूने और देखभाल करने और पिता-नवजात लगाव को बढ़ाने के मामले में पिता के शिशु देखभाल व्यवहार पर त्वचा से त्वचा संपर्क हस्तक्षेप के सकारात्मक प्रभावों की पुष्टि करते हैं।

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पिता को हुए कई  सकारात्मक लाभ 

अध्ययन  की मानें तो कंगारू देखभाल के परिणामस्वरूप पिता को कई सकारात्मक लाभ हुए, जैसे कम तनाव, पैतृक भूमिका को बढ़ावा देना और पिता-शिशु बंधन को मजबूत करना। कंगारू देखभाल एक गहन देखभाल वातावरण में पिता को अपने बच्चे के साथ जुड़ने और बंधन में मदद करती है। इसका पिता के आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस बारे में एक पिता ने अपने अनुभव सांझा करते हुए बताया कि-  ‘‘मुझे लगता है कि सभी तनावों के बाद, जब मेरा बच्चा मेरे त्वचा से त्वचा संपर्क में होता है तो मैं वास्तव में थोड़ा शांत हो जाता हूं। मैं बैठ जाता हूं और आराम करता हूं, मैं अपने बच्चे को गले लगा सकता हूं और यह मददगार है मेरे लिए और साथ ही उसके शांत होने के लिए, हर समय कोई काम न करने के लिए, तनावग्रस्त न होने के लिए खुश होने की वजह। मेरे दिमाग में हर समय अन्य चीजें रहती हैं लेकिन बच्चे के साथ यह आराम करने और बाकी सब काम बंद करने का समय है।’’

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प्यार की एक मूक भाषा है कंगारू देखभाल

एक अन्य ने अपनी नवजात बच्ची के साथ अपने अनुभव के बारे में बताया- ‘‘उसने थोड़ा सिर हिलाया, मुझे लगता है कि मेरी गंध आई और फिर वह सचमुच सो गई। यह बहुत अच्छा था। यह मेरे और उसके लिए दोनों के लिए बहुत आरामदायक था।’’ जैसा कि एक अन्य पिता ने कहा- ‘‘बेशक, वे आपके दिल की धड़कन और उस तरह की सभी चीजों को सुन सकते हैं, निश्चित रूप से गर्मजोशी […’’ हालांकि, इस अध्ययन में यह भी बताया गया है कि कुछ पिताओं ने कंगारू देखभाल को चुनौतीपूर्ण पाया क्योंकि यह समय लेने वाला हो सकता है। बच्चों की देखभाल करने के लिए अपने काम की प्रतिबद्धताओं को दरकिनार करना हमेशा आसान नहीं होता है।  कंगारू देखभाल पर शोध साहित्य से पता चलता है कि एक बच्चे के जन्म के समय कुछ कंगारू देखभाल करना अच्छा होता है।  चुनौतीपूर्ण नवजात गहन देखभाल इकाई वातावरण में, कंगारू देखभाल ‘‘प्यार की एक मूक भाषा है ’। 


(मैरी स्टीन, दक्षिण ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय)


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vasudha

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