इस राज्य की धरती के नीचे से छिपा मिला 1 लाख टन सोना, बदल सकती है भारत की आर्थिक तस्वीर
punjabkesari.in Sunday, Sep 21, 2025 - 12:44 PM (IST)

नारी डेस्क: मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले से एक बड़ी और आर्थिक रूप से बेहद अहम खबर सामने आई है। जिले के चकरिया इलाके में ज़मीन के नीचे भारी मात्रा में सोना दबा हुआ मिलने का अनुमान लगाया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह खोज सिर्फ राज्य ही नहीं, बल्कि पूरे देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक नया रास्ता खोल सकती है।
कहां और कैसे मिला सोना?
यह सोना सिंगरौली जिले के चकरिया गोल्ड ब्लॉक क्षेत्र में मिला है, जो लगभग 23.57 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला हुआ है। इस क्षेत्र में कई महीनों से भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और ड्रिलिंग जैसे तकनीकी परीक्षण किए जा रहे थे। जियोलॉजिकल रिपोर्ट्स के अनुसार, इस इलाके की मिट्टी और चट्टानों में भारी मात्रा में खनिज तत्वों की उपस्थिति दर्ज की गई, जिनमें सबसे प्रमुख है सोना। इस जांच के बाद यह स्पष्ट हुआ कि यहां के भूगर्भ में करीब 1.33 लाख टन सोना मौजूद हो सकता है।
कितनी मात्रा में निकाला जा सकता है शुद्ध सोना?
खनिज विभाग के अनुसार, इस खोज से लगभग 1 लाख 76 हजार 600 ग्राम शुद्ध सोना निकाले जाने की संभावना है। यह आंकड़ा न केवल राज्य को खनिज संपदा के मामले में और सशक्त बनाएगा, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि मानी जाएगी। इस खजाने की सही तकनीक से खुदाई की जाए तो यह देश को सोने के उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना सकता है।
खनन का जिम्मा किस कंपनी को सौंपा गया है?
चकरिया गोल्ड ब्लॉक की नीलामी प्रक्रिया राज्य सरकार द्वारा पूरी कर ली गई है। इस नीलामी में अडानी समूह की सहयोगी कंपनी गरिमा नेचुरल प्राइवेट लिमिटेड ने यह खदान हासिल की है। कंपनी ने अगले पांच वर्षों में लगभग 18,536 टन सोने की खुदाई का लक्ष्य रखा है। इसके लिए अत्याधुनिक मशीनों और माइनिंग तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा, ताकि खनन प्रक्रिया पर्यावरणीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए हो सके।
राज्य सरकार की क्या है योजना?
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस उपलब्धि को प्रदेश के लिए एक ऐतिहासिक अवसर बताया है। उन्होंने कहा कि यह खोज मध्य प्रदेश को जल्द ही ‘मिनरल स्टेट ऑफ इंडिया’ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। मुख्यमंत्री के अनुसार, यह सिर्फ एक शुरुआत है, और आने वाले समय में प्रदेश को भारत के सबसे समृद्ध खनिज राज्यों में शुमार किया जाएगा।
क्या सिर्फ सोना ही मिला है?
सिंगरौली केवल सोने तक सीमित नहीं है। इस जिले की भूगर्भीय संरचना अन्य कई महत्वपूर्ण खनिजों के लिए भी उपयुक्त मानी जा रही है। मिसिरगवां आयरन ब्लॉक, गुरहर पहाड़, सिल्फोरी, सिधार, अमिलहवा और सोनकुरवा जैसे क्षेत्रों में भी खनिजों की मौजूदगी के ठोस संकेत मिले हैं। इन क्षेत्रों में भविष्य में लौह अयस्क (Iron Ore), बॉक्साइट और अन्य बहुमूल्य खनिजों की खुदाई संभावित है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सिंगरौली केवल कोयले की पहचान तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह बहु-खनिज उत्पादन का केंद्र बन सकता है।
राजस्व और रोजगार में संभावित वृद्धि
राज्य सरकार को उम्मीद है कि इस खनन परियोजना से राजस्व में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी। इसके साथ ही स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। सरकार का मानना है कि खनन कार्य शुरू होने के बाद क्षेत्रीय विकास को नई दिशा मिलेगी, जिससे सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं में भी सुधार होगा।
कंपनियों द्वारा खनन की शुरुआत अगले एक वर्ष के भीतर की जाएगी। इसके लिए भूमि अधिग्रहण, इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण, मशीनरी इंस्टॉल करना और पर्यावरणीय स्वीकृति जैसी प्रक्रिया को तेज़ी से आगे बढ़ाया जा रहा है।
मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में मिले इस भारी मात्रा के सोने के भंडार ने पूरे देश की उम्मीदों को बढ़ा दिया है। अगर सब कुछ योजना के अनुसार चलता है, तो यह खोज न केवल भारत की सोने पर निर्भरता को कम कर सकती है, बल्कि राज्य की आर्थिक मजबूती, रोजगार सृजन और खनन क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी। यह अवसर राज्य और केंद्र – दोनों सरकारों के लिए विकास और निवेश के नए द्वार खोलने वाला साबित हो सकता है।