एक बार फिर जल रहे हैं जंगल पर हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं: पर्यावरण विशेषज्ञ
punjabkesari.in Tuesday, Apr 27, 2021 - 07:41 PM (IST)
पर्यावरण विशेषज्ञ सुप्रिया पाटिल का यह कहना है कि मिज़ोरम के लुंगलेई इलाके के जंगलों में लगी आग ये दर्शाती है कि हम अपने संवेदनशील प्राकृतिक क्षेत्रों को बचाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रहे हैं।
एक तरफ भारत एक जानलेवा महामारी से जूझ रहा है वहीं दूसरी तरफ एक भयानक आग मिज़ोरम के लुंगलेई इलाके के जंगलों को तबाह कर रही है। पर्यावरण विशेषज्ञ सुप्रिया पाटिल जो Grow-Trees.com नामक संस्था से जुड़ी हैं, कहती हैं कि हालांकि वायुसेना और अन्य कर्मी आग को बुझाने की कोशिश कर रहे हैं, इस समस्या का समाधान और अधिक व्यापक होना चाहिए।
प्राकृतिक क्षेत्रों को बचाना जरूरी
उनके अनुसार जंगलों में लगी आग ये दर्शाती है कि हम अपने संवेदनशील प्राकृतिक क्षेत्रों को बचाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रहे हैं। सुप्रिया कहती हैं, "हर साल किसी न किसी जंगल में भीषण आग लगती है और हर बार हम इस आपदा का सामना करने के लिए तैयार नहीं होते हैं। मिज़ोरम की इस आग को काबू करना मुश्किल होगा क्योंकि इस समय राज्य में पानी का अभाव है, जो हर साल बारिश के मौसम से पहले महसूस किया जाता है। साथ ही COVID-19 ने राज्य के सभी साधनों का अधिग्रहण कर लिया है। जहां तक मैं जानती हूं, ये आग चंदमेरी, लॉंगटइ ज़िले की ओर बढ़ रही है। साथ ही इसका असर पेड़, पौधों, जैव विविधता और वन्य जीवों पर किस तरह पड़ेगा, इस बात का अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है।" सुप्रिया इस बात से बहुत निराश हैं कि कितनी आसानी से आग जंगलों में फैल जाती है। फिर ऐसा विनाश करती है जिसकी भरपाई आसानी से नहीं हो सकती।
जंगल में लगी आग Green Belt को तबाह करने का कारण
वे कहती हैं, "जंगल में लगी आग Green Belt को तबाह करने वाले सबसे बड़े कारणों में से एक है। कीमती जानों का जाना और पशु पक्षियों के पर्यावास का विनाश सब इंसानों की लापरवाही का ही नतीजा है। इसे रोना बेहद जरूरी है। भारत के उत्तर-पूर्वी इलाकों में हरियाली की बेहद कमी है जो झूम खेती के कारण भी हुई है। यहां भूमि के एक टुकड़े पर खेती करके उसे छोड़ दिया जाता है जब तक कि वो दोबारा खेती के लिए न हो जाएं।" इसके अलावा बहुत बार जमीन की सफाई करने के लिए भी आग लगा दी जाती है. फिर वहीं आग बेकाबू होकर जंगल नष्ट कर देती है। साथ ही पर्यावरण के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती है।
अंत में सुप्रिया कहती हैं, "Grow-Trees.com बहुत तेजी से उत्तर-पूर्वी इलाकों में जानकारी और जागरूकता फैला रहा है। साथ ही वृक्षारोपण अभियान में भी कार्यरत है ताकि अधिक से अधिक लोग जंगलों की सुरक्षा की मुहिम में भाग ले सके। हमें उम्मीद है कि आने वाले कल में हम सभी मिलकर एक स्वस्थ पर्यावरण की रचना कर पाएंगे। साथ ही ऐसी विपत्तियोें व आपदाओं का रुख बदल पाएंगे।"