लग्जरी लाइफ छोड़ सड़क पर मांगने लगीं भीख, टीवी की मशहूर एक्ट्रेस बनी संन्यासिनी
punjabkesari.in Saturday, Aug 16, 2025 - 05:30 PM (IST)

नारी डेस्क: टीवी इंडस्ट्री की दुनिया चकाचौंध से भरी होती है, लेकिन इसके पीछे कई बार ऐसे फैसले और त्याग छिपे होते हैं जिनकी कल्पना करना भी मुश्किल होता है। ऐसी ही एक कहानी है 'दीया और बाती हम' जैसी हिट सीरीज़ में काम कर चुकीं और टीवी की जानी-पहचानी एक्ट्रेस नुपुर अलंकार की, जिन्होंने शोहरत और ऐशो-आराम भरी ज़िंदगी को छोड़कर आध्यात्मिक रास्ता चुन लिया।
30 साल का करियर छोड़ लिया, बन गईं साध्वी
नुपुर अलंकार ने करीब 30 साल तक टीवी इंडस्ट्री में काम किया और 157 से भी ज्यादा टीवी शोज़ में अपने अभिनय का जादू बिखेरा। ‘शक्तिमान’, ‘घर की लक्ष्मी बेटियां’, और ‘दीया और बाती हम’ जैसे कई बड़े शोज़ में उनके किरदार खूब सराहे गए। करियर के पीक पर थीं, तब उन्होंने अचानक इंडस्ट्री को अलविदा कहने का फैसला कर लिया।
पति को छोड़ा, आध्यात्मिक जीवन को अपनाया
नुपुर की शादी 2002 में अभिनेता अलंकार श्रीवास्तव से हुई थी। शादीशुदा जीवन की शुरुआत अच्छी रही, लेकिन समय के साथ दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगीं। करीब ढाई साल तक अलग रहने के बाद, नुपुर ने पूरी तरह से सन्यास का रास्ता अपना लिया। उन्होंने साफ कहा कि उनके इस फैसले का कारण वैवाहिक जीवन की समस्याएं नहीं थीं, बल्कि यह एक सोच-समझकर लिया गया आध्यात्मिक निर्णय था।
अब गुफाओं, आश्रमों में रहती हैं – जीवन की हर सुविधा छोड़ी
2022 में नुपुर ने सांसारिक जीवन त्याग दिया और खुद को पूरी तरह धर्म और ध्यान के मार्ग पर समर्पित कर दिया। उन्होंने गुरु शंभू शरण झा के मार्गदर्शन में साध्वी जीवन की शुरुआत की और अब देशभर की पवित्र नदियों, आश्रमों और गुफाओं में समय बिताती हैं। वे यमुना और गंगा जैसी नदियों का दर्शन कर चुकी हैं और अब भी यात्रा के मार्ग पर हैं।
अब पारंपरिक साध्वी की तरह मांगती हैं भीख
नुपुर अब किसी आश्रम या घर में नहीं रहतीं। वे पारंपरिक संन्यासियों की तरह भिक्षा मांगकर अपना पेट भरती हैं। उन्होंने भोग-विलास, संपत्ति और नाम-शोहरत सब कुछ त्याग कर एकांत साधना और सेवा का मार्ग चुना है।
नुपुर अलंकार की कहानी हमें यह सिखाती है कि ज़िंदगी में हर कोई सिर्फ शोहरत और पैसा नहीं चाहता। कुछ लोग आत्मिक शांति की तलाश में सब कुछ त्यागकर भी सुकून पा लेते हैं। नुपुर का यह कदम न सिर्फ साहसी है, बल्कि लाखों लोगों को सोचने पर मजबूर करता है कि असली सुख आखिर किसमें है भोग में या त्याग में?