भोले बाबा के भक्तों के लिए अच्छी खबर, अब भारत से सीधे होंगे भगवान शिव के घर कैलाश पर्वत के दर्शन
punjabkesari.in Friday, Jul 21, 2023 - 05:37 PM (IST)
सावन के पावन महीने में शिवभक्तों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है। इस साल सितंबर के बाद से श्रद्धालुओं को भगवान शिव का निवास स्थान माने जाने वाले पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन भारतीय भूभाग से सुलभ हो जाएंगे। यानी कि चीन में धरती में कदम रखे बीना ही भारतीय सीधे कैलाश मानसरोवर तक पहुंच सकेंगे।
अधिकारियों ने बताया कि सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने पिथौरागढ़ जिले के नाभीढांग में केएमवीएन हटस से भारत-चीन सीमा पर लिपुलेख दर्रे तक सड़क की कटाई का काम शुरू कर दिया है जो सितंबर तक पूरा हो जाएगा । सड़क का काम पूरा होने के बाद सड़क के साथ-साथ‘कैलाश व्यू प्वाइंट' तैयार होगा । ''
हीरक परियोजना को भारत सरकार ने ‘कैलाश व्यू प्वाइंट' विकसित करने की जिम्मेदारी दी है । बताया जा रहा है कि सड़क की कटाई का काफी काम हो चुका है और अगर मौसम अनुकूल रहा तो यह सितंबर तक पूरा हो जाएगा । सड़क की कटाई के बाद ‘कैलाश व्यू प्वाइंट' बनाने का काम होगा । कोविड के कारण स्थगित हुई लिपुलेख दर्रे के जरिए होने वाली कैलाश-मानसरोवर यात्रा दोबारा शुरू नहीं हो पायी है जिसके मद्देनजर ऐसा विकल्प तैयार किया जा रहा है जिससे श्रद्धालुओं को कैलाश पर्वत के दर्शन भारतीय भूभाग से ही मिल सके।
बता दें कि कैलाश पर्वत तिब्बत में स्थित एक पर्वत श्रेणी है। इसके पश्चिम तथा दक्षिण में मानसरोवर तथा राक्षसताल झील हैं। यहां से कई महत्वपूर्ण नदियां निकलतीं हैं - ब्रह्मपुत्र, सिन्धु, सतलुज इत्यादि। हिन्दू सनातन धर्म में इसे पवित्र माना गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान ऋषभदेव ने यहीं निर्वाण प्राप्त किया। श्री भरतेश्वर स्वामी मंगलेश्वर श्री ऋषभदेव भगवान के पुत्र भरत ने दिग्विजय के समय इसपर विजय प्राप्त की। पांडवों के दिग्विजय प्रयास के समय अर्जुन ने इस प्रदेश पर विजय प्राप्त किया था।
कैलाश पर्वतमाला कश्मीर से लेकर भूटान तक फैली हुई है और ल्हा चू और झोंग चू के बीच कैलाश पर्वत है जिसके उत्तरी शिखर का नाम कैलाश है। इस शिखर की आकृति विराट् शिवलिंग की तरह है। पर्वतों से बने षोडशदल कमल के मध्य यह स्थित है। कैलाश पर्वत को भगवान शिव का घर कहा गया है। वहां बर्फ ही बर्फ में भोले नाथ शंभू अंजान (ब्रह्म) तप में लीन शालीनता से, शांत ,निष्चल ,अघोर धारण किये हुऐ एकंत तप में लीन है।