राहत की खबर! अब AI कैंसर की करेगा छुट्टी, डायबिटीज को रखेगा कंट्रोल में
punjabkesari.in Tuesday, Sep 16, 2025 - 12:57 PM (IST)

नारी डेस्क: कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) वैज्ञानिकों द्वारा कैंसर और टाइप 1 मधुमेह के अध्ययन और उनसे लड़ने के तरीकों की खोज में क्रांति ला रही है। नए दवा लक्ष्यों की खोज करने और यह अनुमान लगाने से कि किसे बीमारी हो सकती है, व्यक्तिगत रोगियों के लिए उपचार तैयार करने तक, AI जैव चिकित्सा अनुसंधान, निदान और चिकित्सा योजना को नया रूप दे रहा है, उन्हें तेज़, स्मार्ट और अधिक सटीक बना रहा है। हर साल, कैंसर और टाइप 1 मधुमेह दुनिया भर के लोगों पर बढ़ता प्रभाव डाल रहे हैं। 2022 में, कैंसर के लगभग 2 करोड़ नए मामलों का निदान किया गया, और इस बीमारी से लगभग 97 लाख लोगों की जान चली गई।
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2050 तक कैंसर से बिगड़ जाएंगे हालात
विशेषज्ञों का अनुमान है कि 2050 तक, बढ़ती उम्र और तंबाकू सेवन, मोटापा और शराब जैसी जीवनशैली से जुड़े जोखिमों के कारण नए कैंसर के मामले 3.5 करोड़ से ज़्यादा हो सकते हैं। साथ ही, टाइप 1 डायबिटीज़ (T1D), जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाओं पर हमला कर देती है, भी बढ़ रही है। अनुमान है कि 2025 में दुनिया भर में लगभग 95 लाख लोग इस प्रकार के मधुमेह से पीड़ित होंगे, जो 2021 में 84 लाख से ज़्यादा है। दोनों ही बीमारियाँ प्रतिरक्षा प्रणाली से जुड़ी हैं, लेकिन विपरीत तरीकों से।
एआई और कैंसर में क्रांति
एआई आधारित स्कैनिंग और इमेज एनालिसिस से कैंसर की कोशिकाओं को बहुत जल्दी और सटीक पहचाना जा सकता है। जैसे – एक्स-रे, MRI, CT स्कैन या बायोप्सी रिपोर्ट का एआई द्वारा गहराई से विश्लेषण। एआई मरीज के जेनेटिक डेटा और मेडिकल हिस्ट्री का विश्लेषण करके उसके लिए सबसे प्रभावी इलाज की योजना सुझा सकता है। एआई तेजी से लाखों डेटा पॉइंट्स का विश्लेषण कर कैंसर के इलाज के लिए नई दवाओं और थेरेपी का विकास कर रहा है। इलाज के बाद मरीज में कैंसर दोबारा होगा या नहीं, इसकी संभावना भी एआई मॉडल से जानी जा सकती है।
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एआई और मधुमेह (Diabetes) में क्रांति
एआई आधारित स्मार्ट डिवाइस लगातार ब्लड शुगर लेवल ट्रैक करके डॉक्टर और मरीज को तुरंत अलर्ट भेजते हैं। एआई ऐप्स मरीज की दिनचर्या, खानपान और एक्सरसाइज पैटर्न देखकर पर्सनलाइज्ड सलाह देते हैं। एआई यह भविष्यवाणी कर सकता है कि मधुमेह मरीज को कब और किस प्रकार की समस्या (जैसे – किडनी या हृदय रोग) का खतरा बढ़ सकता है। कुछ एआई-आधारित पंप्स सही समय पर सही मात्रा में इंसुलिन देने का काम करते हैं।