लाल रंग से क्या है भारत के Budget का कनैक्शन, Nirmala Sitharaman ने क्यों तोड़ी अटैची की परंपरा ?
punjabkesari.in Saturday, Feb 01, 2025 - 10:20 AM (IST)
नारी डेस्कः किसी भी देश की सरकार हर साल अपने अगले वित्तीय वर्ष का आय-व्यय ब्योरा पेश करती है। बजट एक वित्तीय दस्तावेज है, जिसका उद्देश्य सरकार की प्राथमिकताओं और नीतियों को परिभाषित करना है। हर साल फरवरी 1 में भारत सरकार अपना बजट पेश करती है। इस साल भी 1 फरवरी 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त वर्ष 2025-26 के लिए संसद में वार्षिक बजट पेश करेंगी। निर्मला सीतारमण साल 2019 से लगातार सात बार बही-खाते में बजट पेश कर चुकी हैं और इस बार वह आठवीं बार बजट पेश कर इतिहास रच देंगी। वह लाल रंग के बही-खाते में बजट पेश करती हैं हालाँकि इससे पहले बजट लाल रंग के अटेची में पेश किया जाता था लेकिन बजट को अटेची में लाने की परंपरा क्यों बदली और क़िसने बदली, और बजट शुरू कैसे हुआ ?चलिए बजट का इतिहास ही जानते हैं।
बजट कैसे शुरू हुआ? | Budget History
अंग्रेजी के अखबार “द हिंदू” की ओर से वर्ष 2020 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, “बजट” शब्द की उत्पत्ति फ्रेंच शब्द “Bougette” से हुई जिसका अर्थ “चमड़े का बैग” होता है। आधुनिक बजट प्रणाली 18वीं सदी में ब्रिटेन में शुरू हुई और भारत में बजट पेश करने की परंपरा 1860 में जेम्स विल्सन ने शुरू की थी जब उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए पहला बजट पेश किया था। इस बजट के साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कई अहम कदम उठाए गए थे।इसके बाद साल 1947 में आर.के. शनमुखम चेट्टी ने स्वतंत्र भारत का पहला बजट पेश किया।
बजट पेश करने का ऐतिहासिक रिकॉर्ड
भारत का पहला बजट आजादी से पहले, ब्रिटिश शासन में पेश किया गया था। यह 7 अप्रैल 1860 को, स्कॉटलैंड के अधिकारी जेम्स विल्सन द्वारा ब्रिटिश क्राउन के समक्ष लंदन में प्रस्तुत किया गया था।
स्वतंत्र भारत का पहला बजट आर.के. शनमुखम चेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया था।
मोरारजी देसाई ने सबसे ज्यादा 10 बार बजट पेश किया।
पूर्व प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह के साल 1991 के बजट ने भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी।
पी. चिदंबरम और प्रणब मुखर्जी के बजट भी कई अहम आर्थिक सुधारों का हिस्सा रहे।
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बजट की वर्तमान प्रक्रिया
हर साल फरवरी के पहले दिन संसद में बजट पेश किया जाता है जो दो हिस्सों में विभाजित होता है।
राजस्व बजट: इसमें सरकार की आय और व्यय का ब्योरा होता है।
पूंजीगत बजट: इसमें सरकार की दीर्घकालिक योजनाओं और निवेश का विवरण शामिल होता है।
लाल रंग की अटैची से बदला लाल रंग का बही-खाता
देश के वित्त मंत्री पहले बजट की कॉपी को लाल रंग के अटैची में रखकर लाते थे और संसद में बजट पेश करते थे लेकिन बाद में बजट लाल रंग की अटैची के बजाय लाल रंग के बही-खाते में रखकर लाई जाने लगी और इस परंपरा को साल 2019 2019 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बदला था।
अटैची से बही-खाते में बदलाव किसने किया?
भारत में बजट को साल 1947 से लेकर साल 2018 तक लाल रंग की अटैची (Briefcase) में पेश किया जाता रहा और अटैची वाली यह परंपरा ब्रिटेन की बजट परंपरा से प्रेरित मानी जाती रही है लेकिन साल 2019 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस औपनिवेशिक परंपरा को समाप्त कर बजट को ‘बही-खाते’ के रूप में पेश किया। साल 2019 में निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किया गया बही-खाता एक ऐतिहासिक बदलाव था।
बजट के लिए बही-खाता क्यों अपनाया गया?
अब सवाल ये आया की बजट को लाल ब्रीफ़केस से बदलकर लाल बही-खाते में क्यों पेश किया जाने लगा। इकोनॉमिक टाइम्स की ओर से साल 2019 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय परंपरा और सांस्कृतिक मूल्यों को प्राथमिकता देने के लिए ऐसा किया गया। इसके साथ ही, यह औपनिवेशिक प्रतीकों से दूर हटने और स्वदेशीता को बढ़ावा देने का प्रयास था।
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लाल रंग के कपड़े या सूटकेस में क्यों पेश किया जाता है देश का बजट?
बजट को हमेशा लाल रंग के कपड़े या सूटकेस में ही क्यों लाया जाता है? चलिए इसके पीछे की वजह आपको बताते हैं।
भारतीय सांस्कृतिक प्रतीक: बही-खाता भारतीय लेखा-जोखा की पारंपरिक प्रणाली का हिस्सा है। पीआईबी (प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो) की एक रिपोर्ट में इसे भारतीय परंपराओं से जोड़ते हुए सादगी और पारदर्शिता का प्रतीक कहा गया था।
परंपरा: लाल रंग में बजट लाने की परंपरा ब्रिटिश काल से चली आ रही है, जिसे आज भी निभाया जा रहा है।
लाल रंग का महत्व: भारतीय संस्कृति में लाल रंग का विशेष महत्व है। लाल रंग को शक्ति, ऊर्जा, उत्साह और शुभता का प्रतीक माना जाता है और धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी लाल रंग का ही उपयोग किया जाता है। लाल रंग को देवी दुर्गा, हनुमान जी और लक्ष्मी जी का भी प्रिय रंग माना जाता है।
बजट और लाल रंग का संबंध: बजट को लाल रंग के कपड़े या सूटकेस में लाने की परंपरा ब्रिटिश काल से चली आ रही है। ऐसा माना जाता है कि 1860 में ब्रिटिश चांसलर विलियम इवार्ट ग्लैडस्टोन ने पहली बार बजट को लाल चमड़े के बैग में पेश किया था। इसके बाद से ही यह परंपरा चली आ रही है।
लाल रंग शक्ति और अधिकार का प्रतीक: लाल रंग को शक्ति और अधिकार का प्रतीक माना जाता है। बजट देश की आर्थिक नीतियों का दस्तावेज होता है, इसलिए इसे लाल रंग में पेश करना सरकार की शक्ति और अधिकार को दर्शाता है।
शुभता का प्रतीक: बजट देश के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है, इसलिए इसे शुभ रंग में पेश करना शुभ माना जाता है और लाल रंग हमारे धर्म में शुभ रंग माना जाता है।
2019 में बदली परंपराः साल 2019 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस परंपरा को तोड़ दिया था। उन्होंने बजट को लाल रंग के कपड़े में पेश किया था। उनका कहना था कि यह भारतीय परंपरा को दर्शाता है।