वैज्ञानिक राज: क्यों सालों-साल नहीं खराब होता गंगा जल
punjabkesari.in Saturday, Feb 22, 2025 - 03:49 PM (IST)
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नारी डेस्क: गंगाजल, जिसे भारत में अत्यधिक पवित्र माना जाता है, उसकी विशेषता यह है कि यह सालों तक खराब नहीं होता और कभी बदबू नहीं आती। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण हैं, जो इसे अन्य नदियों के पानी से अलग बनाते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि गंगाजल में बैक्टीरियोफेज और निंजा वायरस पाए जाते हैं, जो बैक्टीरिया को नष्ट करने का काम करते हैं। यही कारण है कि गंगाजल में कभी बदबू नहीं आती और यह लंबे समय तक शुद्ध रहता है।
गंगाजल का धार्मिक महत्व
भारत में गंगा नदी को न केवल एक नदी, बल्कि माता माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गंगाजल को अमृत के समान माना जाता है और इसका सेवन करने से शरीर निरोगी रहता है और दीर्घायु प्राप्त होती है। गंगाजल का उपयोग पूजा-पाठ, हवन, और अन्य धार्मिक कार्यों में किया जाता है। गंगाजल से स्नान करने से पापों का नाश और मोक्ष की प्राप्ति भी मानी जाती है।
गंगाजल की वैज्ञानिक विशेषताएं
गंगाजल कभी खराब क्यों नहीं होता और इसमें कीड़े क्यों नहीं पड़ते? यह सवाल भारतीय वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए हमेशा एक दिलचस्प विषय रहा है। करीब 135 साल पहले, 1890 में भारत में अकाल पड़ा और इसके साथ ही हैजा जैसी महामारी भी फैल गई। इस दौरान कई लोग मरे हुए शवों को गंगा में बहा देते थे, लेकिन हैरानी की बात यह थी कि गंगा के पानी में कोई समस्या नहीं आई। ब्रिटिश वैज्ञानिक अर्नेस्ट हैन्किन ने इस पर शोध किया और पाया कि गंगाजल में बैक्टीरियल प्रदूषण बहुत कम था, जबकि इस नदी में मवेशी, लोग और शव भी बहाए जाते थे।
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गंगाजल में क्या है खास?
अर्नेस्ट हैन्किन ने पाया कि गंगाजल में एक ऐसा पदार्थ होता है, जो हैजा के बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है। इसके अलावा, गंगाजल में बैक्टीरियोफेज नामक वायरस पाए गए हैं, जो बैक्टीरिया को नष्ट करने में मदद करते हैं। इसके कारण गंगाजल कभी खराब नहीं होता और न ही इसमें बदबू आती है।
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निंजा वायरस और बैक्टीरियोफेज
एक फ्रेंच वैज्ञानिक ने गंगाजल पर और अधिक शोध किया और पाया कि इसमें निंजा वायरस होते हैं, जो बैक्टीरिया को नष्ट करते हैं। इन वायरस की वजह से गंगाजल में शुद्धता बनी रहती है और कोई भी बीमारी उत्पन्न नहीं होती। इसके अलावा, गंगाजल में बैक्टीरियोफेज की बड़ी संख्या पाई जाती है, जो अन्य नदियों की तुलना में इसे ज्यादा शुद्ध और सुरक्षित बनाती है।
गंगाजल की शुद्धता का कारण
गंगाजल में सल्फर की मात्रा भी अधिक होती है, जो इसे खराब होने से रोकता है। इसके अलावा, गंगा नदी हिमालय से निकलकर विभिन्न जड़ी-बूटियों और खनिजों से होकर गुजरती है, जिससे इसमें प्राकृतिक रूप से शुद्धिकरण की क्षमता होती है। गंगाजल में ऑक्सीजन की उच्च मात्रा भी इसे सड़ने से बचाती है।
इसलिए गंगाजल न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी बेहद लाभकारी है। वैज्ञानिक रूप से सिद्ध इन कारणों से गंगाजल की महिमा को और भी बढ़ाया जा सकता है।