बदलते समाज की ओर नंदिनी की पहल! महिला पंडित बन करवा रहीं शादियां, कन्यादान का भी कर रहीं विरोध
punjabkesari.in Wednesday, Dec 16, 2020 - 12:42 PM (IST)
हमारे हिंदू समाज में सारे रिवाज पंडित से पूछ कर और उनके हाथों से करवाए जाते हैं। कोई भी खुशी का काम हो या फिर या कोई दुख का काम हमेशा आपको पंडित ही पूजा करते दिखाई देंगे। खासकर आपने कभी भी कोई महिला पंडित नहीं देखी होगी। आप मंदिर चले जाओ या किसी भी धार्मिक स्थल चले जाओ आपको वहां पंडित तो मिलेंगे लेकिन सिर्फ पुरूष पंडित। क्या आपने कभी कोई महिला पंडित देखी है? आपको सुनने में तो यह अजीब लग रहा होगा क्योंकि लोगों का मानना है कि पंडित का काम सिर्फ पुरूष कर सकते हैं लेकिन समाज की इन सारी पंरपराओं को तोड़कर एक महिला ने अब इसका जिम्मा उठा लिया है।
दरअसल हम जिस महिला की बात कर रहे हैं वह कोलकाता की रहने वाली नंदिनी भौमिक हैं। जिन्होंने समाज की सारी बाधाएं तोड़ी और लोगों की बातों से आगे निकल कर पंडित के तौर पर काम करना शुरू किया।
कौन है नंदिनी भौमिक?
नंदिनी भौमिक कोलकाता की रहने वाली है। उनके पेशे की बात करें तो वह पेशे से संस्कृत की प्रोफेसर और नाटक कलाकार हैं। वह विवाह में बड़ी आसानी से मंत्र भी बोल देती हैं क्योंकि उन्हें संस्कृत के विषय में महारत हासिल है।
पिछले 10 साल से कर रहीं काम
मीडिया रिपोर्टस की मानें तो नंदिनी पिछले 10 सालों से इस काम को कर रहीं हैं। इतना ही नहीं वह अब तक 40 से ज्यादा शादियां करवा चुकी हैं।
श्लोकों का अनुवाद कर उसका अर्थ भी समझाती है
नंदिनी इस काम को पूरी लग्न के साथ करती हैं। मंडप में बैठे जोड़े को जब संस्कृत में श्लोक समझ नहीं आते हैं तो नंदिनी उन्हें उसका अनुवाद करके एक-एक का अर्थ भी समझाती है। वह न सिर्फ बांग्ला में बल्कि अंग्रेजी में भी इनका अनुवाद करती हैं और जोड़े को इसका अर्थ बताती है।
कन्यादान की रस्म का करती हैं विरोध
नंदिनी की शादियों में जो खास बात वह यह है कि वह शादियों में कन्यादान नहीं कराती हैं। वह इसका विरोध करती हैं क्योंकि उनकी मानें तो कन्या कोई चीज या कोई वस्तु नहीं है कि उसका दान किया जाए।
ग्रुप में काम करती हैं नंदिनी
मीडिया रिपोर्टस की मानें तो नंदिनी के साथ 3 और महिलाएं भी हैं जो उनके साथ इस काम को करती हैं। नंदिनी के इस ग्रुप को 'शुभमस्तु' कहा जाता है जो मिल कर इस काम को करता है।
लोगों की सोच बदलना चाहती हैं नंदिनी
नंदिनी का इस काम को करने का एक ही मकसद है कि वह लोगों की इस सोच को बदल सके कि पंडित का काम सिर्फ पुरूष नहीं बल्कि महिलाएं भी कर सकती हैं।