'400 लोगों को देते थे Salary अचानक मांगने लगे भीख' IIT Baba के बाद महाकुंभ में वायरल हुए MTech Baba
punjabkesari.in Wednesday, Jan 22, 2025 - 05:02 PM (IST)
नारी डेस्कः उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ मेले में दूर-दूर से कई साधु-संत और श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। सांसरिक दुनिया को छोड़ कर संन्यासी जीवन को अपना कर वह ईश्वर की भक्ति में लीन है। विविधता से भरे ये साधु-संत इस समय सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं। हाल ही में आईआईटी बाबा काफी फेमस हुए हैं। बहुत से बाबा तो ऐसे हैं जो काफी पढ़े-लिखे और अमीर परिवार से ताल्लुक रखते थे। इन्हीं नामों में शामिल हैं एमटेक बाबा जिनके बारे में कहा जा रहा है कि एक समय वह 400 लोगों को सैलेरी देते थे लेकिन अचानक ही वह भीख मांगने लगे। चलिए आपको कुंभ के MTech बाबा के बारे में बताते हैं।
कुंभ के MTech बाबा ने समाचार एजेंसी आईएएनएस (IANS) के साथ बातचीत की और अपने जीवन से जुड़ी कई बातें बताई। बता दें कि एमटेक बाबा का जन्म दक्षिण भारत में तेलुगू ब्राह्मण परिवार में हुआ। उनका पूरा नाम बाबा दिगंबर कृष्ण गिरि है और वह बेंगलोर के रहने वाले थे। बाबा ने कहा कि साल 2010 में संन्यास लिया और साल 2019 में वह नागा बने और हरिद्वार में उन्होंने 10 दिन तक भीख मांगी हालांकि वह कभी 400 लोगों को सैलरी बांटते थे और लाखों रु. का पैकेज लेते थे। दिगंबर कृष्ण गिरि ने बताया कि उन्होंने कर्नाटक यूनिवर्सिटी से एमटेक की पढ़ाई की और इसके बाद कई नामी कंपनियों में काम भी किया। आखिरी नौकरी उन्होंने दिल्ली में की थी जहां वह एक निजी कंपनी में एक अच्छे पद (जनरल मैनेजर) पर थे। उनके अंडर करीब 400 से अधिक लोग काम करते थे। कभी वह एक निजी कंपनी में हर महीने सवा 3 लाख रुपये की सैलरी पाते थे और उनका सालाना पैकेज 40 लाख रु. के करीब था लेकिन ये ऐशो-आराम और सुख सुविधा छोड़कर उन्होंने साधु जीवन अपना लिया। अब लोग उन्हें एमटेक बाबा बुलाते हैं।
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अपने जीवन के बारे में अधिक बात करते हुए दिगंबर कृष्ण गिरि ने ये भी बताया, 'सभी अखाड़ों को मेल करके मैंने उनसे जुड़ने की इच्छा जताई थी लेकिन किसी की ओर से कोई जवाब नहीं आया। हरिद्वार गया तो वहां पर मेरा पास जो कुछ भी था उसे हरिद्वार में गंगा में प्रवाहित कर दिया। साधु का वेश धारण कर 10 दिनों तक भीख मांगी। मेरा मानना था कि ज्यादा पैसा होने से आदतें खराब हो जाती हैं और दिमाग को शांति नहीं मिल पाती। मैंने निरंजन अखाड़ा को लेकर गूगल किया था। निरंजन अखाड़ा जाकर मैंने महंत श्री राम रतन गिरी महाराज से दीक्षा दी। साल 2019 में आग लगने के कारण से साल 2021 में मैंने अल्मोड़ा छोड़ दिया। अभी उत्तरकाशी के एक छोटे से गांव में रहता हूं।'
एक सवाल के जवाब में बाबा ने कहा, 'मैं एमटेक स्ट्रक्चर का हूं, मैंने एसीसी बिड़ला, डालमिया और कजारिया जैसी कंपनियों में काम किया है। उसके बाद पर्सनल रीजन से मैं दिल्ली आया। मैं जनरल मैनेजर की पोस्ट पर था। उस समय मेरा 3.2 लाख रु. का टेकऑफ था मैं इसलिए साधू बना कि देहरादून आने के समय मैंने साधुओं के एक ग्रुप को देखा। उसे देखकर मुझे लगा कि ये क्या हैं? मैं ब्राह्मण परिवार का होकर भी साधु लोगों को एक साथ नहीं देख सका जैसा ऋषिकेश और हरिद्वार में हुआ। इस बारे में मैंने तीन महीने तक गुगल किया, कुछ नहीं मिला। फिर इसके बाद मैं मैदान में उतर गया और इससे वापिस आने का नहीं हो पाया।'
मैंने दो बार भगवान को देखाः एमटेक बाबा
एक अन्य सवाल के जवाब में बाबा ने कहा, भौतिक लाइफ क्या है जब सैलरी ज्यादा होती है तो गंदी आदत भी हो जाती है। ऐसा मेरी लाइफ में भी हुआ लेकिन यहां पर सिर्फ शिव का ध्यान रहता है। भगवान ध्यान में रहते हैं। नागा साधु समाज के हित के लिए काम करते हैं। यहां मैं दो बार भगवान को देख चुका हूं। एक बार डायरेक्ट देखा हूं और एक बार आवाज सुना हूं। मुझे वहीं बहुत आनंद है। मैं राम मंदिर के उद्धाटन में भी शामिल रहा हूं। आमंत्रित गेस्ट था उसमें। मंदिर कमेटी से ही आमंत्रण आया। मेरी कुटिया को आमंत्रण आया। मेरे पास इसलिए आया कि मैं हिमालय पर रहकर, नागा साधु बनकर समाज के हित में काम करता हूं।'
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बता दें कि एमटेक बाबा कोई इकलौते बाबा नहीं है जो इतने पढ़-लिख कर इतना पैसा कमाने के बाद सब सुखों को त्याग कर साधु-संत बन गए। इनसे कुछ दिन पहले आईआईटी मुंबई वाले बाबा ने काफी सुर्खियां बटोरीं थीं। आईआईटी बाबा का पूरा नाम अभय सिंह ग्रेवाल है और वह हरियाणा के रहने वाले हैं। उन्होंने भी लाखों के पैकेज को लात मारी और कनाडा से भारत वापिस आ गए है और घर-बाहर त्याग कर संन्यासी बन गए। उनकी बहुत सारी वीडियोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।