‘फ्लाइंग सिख’ के नाम से मशहूर 91 वर्ष के मिल्खा सिंह भी हुए कोरोना पॉजिटिव
punjabkesari.in Thursday, May 20, 2021 - 03:11 PM (IST)
‘फ्लाइंग सिख’ के नाम से मशहूर 91 वर्ष के मिल्खा सिंह भी कोरोना से पाॅजीटिव पाए गए हैं। इस समय वह चंडीगढ स्थित अपने आवास पर पृथकवास में हैं। फिलहाल मिल्खा सिंह में कोई लक्षण नहीं हैं। मिल्खा सिंह ने कहा कि हमारे कुछ हेल्पर पॉजिटिव पाए गए हैं, लिहाजा परिवार के सभी सदस्यों का टेस्ट किया गया है लेकिन सिर्फ मेरी रिपोर्ट ही पॉजिटिव आई है और मैं हैरान हूं। उन्होंने कहा कि मैं पूरी तरह से ठीक हूं और कोई बुखार या कफ नहीं है। मेरे डॉक्टर ने बताया कि तीन चार दिन में ठीक हो जाऊंगा। मैंने कल जॉगिंग भी की।
मिल्खा सिंह के जीवन से प्रेरित है फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’
मिल्खा सिंह के जीवन पर एक फिल्म भी बन चुकी है, जिसका नाम था ‘भाग मिल्खा भाग’। इस फिल्म में मिल्खा सिंह का किरदार फरहान अख्तर ने निभाया था। इस फिल्म को देख युवा पीढ़ी बेहद प्रभावित हुई थी।
बतां दें कि 1958 में स्वतंत्र भारत के इतिहास में कॉमनवेल्थ गेम्स में मिल्खा सिंह ने पहला गोल्ड मेडल जीता था। मिल्खा ने कॉमनवेल्थ गेम्स में आजाद भारत का पहला गोल्ड मेडल अपने नाम किया था, इसके अलावा एशियन गेम्स में 2 गोल्ड मेडल जीते थे।
देश के लिए जीत चुके हैं ऐतिहासिक मेडल
आर्मी की स्पेशल ट्रेनिंग की सेलेक्शन के बाद मिल्खा सिंह ने 1956 मेलबर्न ओलिंपिक, 1960 रोम ओलिंपिक और 1964 टोक्यो ओलिंपिक में भाग लेकर देश के लिए ऐतिहासिक मेडल जीते। वह पांचवीं हीट में दूसरे स्थान पर आए और क्वार्टरफाइनल और सेमीफाइनल में भी उनका स्थान दूसरा रहा। हालांकि फाइनल में मिल्खा अपनी इस कामयाबी को दोहरा नहीं पाए। फाइनल रेस में 250 मीटर तक मिल्खा पहले स्थान पर भाग रहे थे, लेकिन इसके बाद उनकी स्पीड कुछ धीमी हो गई और बाकी के खिलाड़ी उनसे आगे निकल गए।
जिसे हराकर गोल्ड मेडल जीता था उसी ने मिल्खा सिंह को हराया-
मिल्खा सेकंड के चौथे हिस्से से ब्रॉन्ज मेडल से चूक गए थे। दिलचस्प बात यह है कि मिल्खा इस रेस में उसी एथलीट से हारे, जिसे उन्होंने 1958 में मात देकर कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। मिल्खा 45.73 सेकंड के साथ चौथे स्थान पर रहे थे। यह भारत का 40 साल तक नेशनल रिकॉर्ड रहा था। इसके अलावा, मिल्खा सिंह साल 2014 में गौड़ा कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतने वाले इकलौते भारतीय एथलीट गोल्ड मेडलिस्ट (पुरुष) भी बनें।