दीवाली के बाद मानसिक थकान, जानें क्यों Middle Age की महिलाएं महसूस करती हैं ‘बर्नआउट’

punjabkesari.in Tuesday, Oct 14, 2025 - 01:39 PM (IST)

नारी डेस्क : दीवाली की रौनक, सजावट, मिठाइयां और मेहमानों की आवाजाही के बाद जब घर के दीये बुझ जाते हैं और माहौल शांत हो जाता है, तब कई महिलाएं भीतर से खालीपन, थकान और चिड़चिड़ापन महसूस करती हैं। यह केवल शारीरिक थकावट नहीं होती। यह मानसिक और भावनात्मक बर्नआउट का संकेत है। खासकर 35 से 55 वर्ष की वे महिलाएं, जो पेरिमेनोपॉज़ या मेनोपॉज के दौर से गुजर रही हैं, उनके लिए यह समय और भी चुनौतीपूर्ण होता है। Menoveda की Co-founder और Menopause Coach तमन्ना सिंह से जानें इसका कारण और बचाव के तरीके...

त्योहार की थकान सिर्फ काम से नहीं, उम्मीदों से भी

त्योहारों का उत्साह महिलाओं के लिए अक्सर जिम्मेदारियों का पहाड़ बन जाता है। घर की सजावट, पकवान बनाना, मेहमानों की सेवा, बच्चों और परिवार की उम्मीदें पूरी करना। इन सबके बीच ‘खुद की देखभाल’ सबसे पीछे छूट जाती है। हर कोई चाहता है कि घर चमकता रहे, सब खुश रहें। मगर इस प्रक्रिया में महिलाएं खुद को इतना थका देती हैं कि त्योहार खत्म होने के बाद उनका शरीर और मन दोनों खाली पड़ जाते हैं।

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हार्मोन और तनाव का गहरा रिश्ता

मेनोपॉज कोच बताती हैं : इस उम्र में महिलाओं में एस्ट्रोजन का स्तर घटने लगता है, जिससे नींद, मूड और ऊर्जा पर सीधा असर पड़ता है। जब इसके ऊपर त्योहार का तनाव जुड़ जाता है, तो दिमाग और शरीर दोनों थक जाते हैं।

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एस्ट्रोजन के कम होने से कॉर्टिसोल (Cortisol) , यानी तनाव हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। 

छोटी-छोटी बातें भी भारी लगने लगती हैं।

नींद पूरी नहीं होती और मन बेचैन और चिड़चिड़ा रहने लगता है।

यह सब मिलकर ‘पोस्ट-फेस्टिव बर्नआउट’ को जन्म देता है।

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आयुर्वेद का दृष्टिकोण

आयुर्वेद के अनुसार यह स्थिति वात दोष की वृद्धि से जुड़ी है। त्योहारों की अनियमित दिनचर्या, अधिक काम, नींद की कमी और ठंडे-मीठे खाद्य पदार्थ वात को बढ़ा देते हैं।

नियमित दिनचर्या बनाए रखें

गर्म और हल्का भोजन करें और पर्याप्त जल पीएं।

तैल अभ्यंग (गर्म तेल से मसाज) करें और सबसे ज़रूरी आराम करें।

जैसा कि तमन्ना कहती हैं : “आराम कोई आलस्य नहीं, यह आत्म-संरक्षण है।”

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खुद के लिए ‘शांत दीवाली’ मनाएं

दीवाली के बाद हर महिला को अपने लिए एक ‘शांत दीवाली’ जरूर मनानी चाहिए।
एक दिन जब न कोई काम हो, न कोई जिम्मेदारी।
बस अपने लिए समय, थोड़ी नींद, थोड़ा संगीत, एक कप चाय और खुद के साथ सुकून के पल।

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याद रखिए — “घर की रोशनी तभी सच्ची चमक पाएगी, जब भीतर का मन संतुलित और शांत होगा।”

दीवाली जैसे त्योहार सिर्फ रोशनी का नहीं, संतुलन का प्रतीक हैं। अगर आप थकान, चिड़चिड़ापन या खालीपन महसूस कर रही हैं, तो खुद को दोष न दें। यह आपका शरीर और मन आपको आराम की याद दिला रहे हैं। थोड़ा ठहरिए, गहरी सांस लीजिए क्योंकि आप भी रोशनी की तरह अनमोल हैं।


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Content Editor

Monika

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