लाख कोशिशों के बाद भी कंसीव नहीं कर पा रहे बेबी तो मेडिकल साइंस की इन तकनीक का ले सकते हैं सहारा
punjabkesari.in Friday, Jul 16, 2021 - 05:42 PM (IST)
देश में कई ऐसी महिलाएं है जो बांझपन का सामना कर रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO के अनुसार जब कोई दंपत्ति एक साल या उस से अधिक समय तक कोशिश करने के बाद भी प्रेगनेन्सी कंसीव नहीं कर पाता तो ऐसी स्थिति को बांझपन कहा जाता है।
भारत में अकसर एक आम धारणा के चलते महिलाओं को ही इसका जिम्मेदार ठहराया जाता है। लेकिन ये बिलकुल भी सही नहीं है। गर्भधारण के लिए जितनी महिलाएं जिम्मेदार होती है उतना ही पार्टनर का भी योगदान रहता है।
इस पर किए गए एक अध्ययन के मुताबिक, 40 प्रतिशत मामलें पुरुषों से जुड़े होते हैं, वहीं 40 फीसदी महिलाओं से। बाकी के 20 प्रतिशत मामलें अन्य कई कारणों से जुड़े होते हैं। एक समय था जब बांझपन को लाइलाज माना जाता था। लेकिन आज के दौर में मेडिकल साइंस ने खूब तरक्की कर ली है आज के वक्त में ऐसे कई विकल्प मौजूद हैं जिनकी मदद से आप आसानी से इस समस्या से निजात पा सकते हैं और बच्चे पैदा कर सकते हैं।
आइए जानते हैं मेडिकल साइंस में किन-किन तकनीक का इस्तेमाल कर आप कंसीव कर सकते हैं-
IVF की तकनीक
IVF यानि की इन विट्रो फर्टिलाइजेशन तकनीक आज के दौर में मेडिकल साइंस में खूब प्रचलित है। ये गर्भधारण की एक आर्टीफिसियल प्रोसेस है। मेडिकल साइंस में IVF तकनीक के जरिए कई महिलाओं को मां बनने का सौभाग्य मिला है।
IVF को टेस्ट ट्यूब बेबी भी कहा जाता है
IVF तकनीक का इस्तेमाल कर पैदा हुए बच्चे को टेस्ट ट्यूब बेबी भी कहा जाता है। यह तकनीक उन दंपत्तियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है जो किन्ही कारणों से मां-बाप नहीं बन पा रहे हैं। कई लोगों को अभी भी IVF की प्रोसेस में सुरक्षा को लेकर कई भ्रम और संदेह हैं। हालांकि IVF बांझपन के लिए एक सुरक्षित और बेहद ही प्रभावी उपचार है। इसमें जोखिम ना के बराबर होता है।
IUI की तकनीक
IUI तकनीक यानि की इंट्रा यूटेराइन इनसेमिनेशन जोकि गर्भधारण के लिए एक बेहद ही कारगर उपचार है। IUI तकनीक भी फर्टिलिटी ट्रीटमेंट है जिसमें स्पर्म को महिला के गर्भाशय में सीधा डाला जाता है। इस प्रक्रिया को करने से महिला के मां बनने की संभावना बढ़ जाती है। जो महिलाएं नियमित रूप से ओवुलेट नहीं कर पाती हैं, उन्हें IUI के साथ ओवुलेशन करवाया जाता है। यह भी एक आर्टीफिसियल प्रोसेस है।
कैसे काम करती है यह तकनीक
जिन कपल्स में इनफर्टिलिटी का कारण समझ नहीं आता है, उन्हें भी डाॅक्टर IUI करवाने की सलाह देते है। IUI ट्रीटमेंट के दिन मेल पार्टनर को अपने स्पर्म का सैंपल देना होता है। जिसे लैब में प्रोसेस करने के बाद महिला के गर्भाशय में डाल दिया जाता है। इसके बाद महिला को गोनाडोट्रोपिन दवा या इंजेक्शन दिए जाते है। जिसके बाद HCG टेस्ट से प्रेग्नेंसी को कंफर्म किया जाता है। बतां दें कि IUI एक आसान और सुरक्षित प्रक्रिया है, इसमें भी जोखिम न के बराबार है।