20 की उम्र के बाद महिलाओं को रेगुलर्ली कराने चाहिए ये जरूरी हेल्थ टेस्ट्स, जानिए क्यों ?
punjabkesari.in Monday, Oct 27, 2025 - 10:38 AM (IST)
 
            
            नारी डेस्क: स्वास्थ्य ही धन है, खासकर महिलाओं के लिए आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अक्सर अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन याद रखिए, स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है। खासकर महिलाओं के लिए यह और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि 20 की उम्र के बाद उनके शरीर में कई तरह के बदलाव आने लगते हैं। इन बदलावों के साथ ही कुछ स्वास्थ्य समस्याएं भी शुरू हो सकती हैं। इसलिए, 20 की उम्र पार करने के बाद हर महिला को कुछ खास जांचें नियमित रूप से करानी चाहिए। आइए जानते हैं इन जरूरी टेस्ट्स के बारे में विस्तार से...
पैप स्मीयर और एचपीवी टेस्ट
पैप स्मीयर टेस्ट सर्विकल कैंसर (गर्भाशय मुख का कैंसर) का पता लगाने में मदद करता है। यह टेस्ट गर्भाशय के मुख से कोशिकाओं के नमूने लेकर उनकी जांच करता है। एचपीवी (ह्यूमन पैपिलोमावायरस) टेस्ट उस वायरस का पता लगाता है जो सर्विकल कैंसर का मुख्य कारण होता है।

कब और कितनी बार कराना चाहिए?
21 वर्ष की उम्र से शुरू करें, 21-29 वर्ष की उम्र के बीच: हर 3 साल में पैप स्मीयर टेस्ट 30-65 वर्ष की उम्र के बीच: हर 5 साल में पैप स्मीयर और एचपीवी टेस्ट दोनों इसके फायदे सर्विकल कैंसर का शुरुआती पता लगाने में मदद मिलती है। इलाज की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। गंभीर बीमारी से बचाव होता है।
एसटीडी टेस्ट (सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज)
यौन संचारित रोग (एसटीडी) कई बार कोई लक्षण दिखाए बिना भी हो सकते हैं। इनका पता न चलने पर ये गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा कर सकते हैं। खासकर गर्भावस्था के दौरान ये बच्चे को भी प्रभावित कर सकते हैं।
कब और कितनी बार कराना चाहिए?
यौन सक्रिय होने पर या नए पार्टनर के साथ संबंध बनाने पर। गर्भवती होने पर, कोई लक्षण दिखाई देने पर, साल में कम से कम एक बार, शीघ्र उपचार संभव होता है। गंभीर जटिलताओं से बचा जा सकता है। भविष्य में होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं को रोका जा सकता है।

डायबिटीज टेस्ट
आजकल युवा लोगों में डायबिटीज (मधुमेह) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। महिलाओं में यह पीसीओएस (पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम) और गर्भावस्था के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज का खतरा भी बढ़ा देता है।
कब और कितनी बार कराना चाहिए?
20 वर्ष की उम्र के बाद से ही शुरू करें। हर 3 साल में नियमित रूप से। अगर परिवार में डायबिटीज का इतिहास हो तो जल्दी शुरू करें और अधिक बार कराएं। डायबिटीज का शुरुआती पता लगाने में मदद मिलती है। जीवनशैली में बदलाव करके इसे नियंत्रित किया जा सकता है। गंभीर जटिलताओं जैसे कि दिल की बीमारी, किडनी की समस्याओं से बचा जा सकता है।
स्तन स्वास्थ्य जांच (ब्रेस्ट हेल्थ चेकअप)
आजकल महिलाओं में स्तन कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। शुरुआती पता लगाने पर इसका इलाज संभव है और ठीक होने की संभावना भी अधिक होती है। कब और कितनी बार कराना चाहिए? 20 वर्ष की उम्र से हर महीने स्वयं स्तन की जांच (ब्रेस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन)। 20-40 वर्ष की उम्र के बीच: हर 3 साल में डॉक्टर द्वारा नैदानिक स्तन परीक्षा।
40 वर्ष की उम्र के बाद: सालाना मैमोग्राफी
स्तन कैंसर का शुरुआती पता लगाने में मदद मिलती है। इलाज की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। जीवन रक्षक साबित हो सकता है।
थायरॉयड टेस्ट
महिलाओं में थायरॉयड की समस्याएं पुरुषों की तुलना में अधिक होती हैं। थायरॉयड ग्रंथि का काम ठीक से न होने पर वजन बढ़ना, थकान, बालों का झड़ना, मासिक धर्म में अनियमितता जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
कब और कितनी बार कराना चाहिए?
20 वर्ष की उम्र के बाद से शुरू करें। हर 3-5 साल में नियमित रूप से। अगर थायरॉयड के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत कराएं। थायरॉयड विकारों का शीघ्र पता लगाने में मदद मिलती है। उपचार से जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है। गंभीर जटिलताओं से बचा जा सकता है।
एनीमिया टेस्ट (हीमोग्लोबिन जांच)
महिलाओं में मासिक धर्म, गर्भावस्था और स्तनपान के कारण खून की कमी (एनीमिया) होने का खतरा अधिक होता है। एनीमिया होने पर थकान, कमजोरी, सिर चकराना, सांस फूलना जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
कब और कितनी बार कराना चाहिए?
20 वर्ष की उम्र के बाद से शुरू करें। हर साल नियमित रूप से। गर्भवती होने पर डॉक्टर की सलाह पर। खून की कमी का पता लगाने में मदद मिलती है। उपचार से ऊर्जा स्तर में सुधार होता है। गर्भावस्था के दौरान मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिलती है।

ब्लड प्रेशर चेकअप
हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) को "साइलेंट किलर" भी कहा जाता है क्योंकि इसके कोई लक्षण नहीं होते, लेकिन यह दिल की बीमारी, स्ट्रोक और किडनी की समस्याओं का कारण बन सकता है।
कब और कितनी बार कराना चाहिए?
20 वर्ष की उम्र के बाद से शुरू करें। कम से कम हर 2 साल में। अगर ब्लड प्रेशर हाई हो तो डॉक्टर की सलाह पर अधिक बार। हाई ब्लड प्रेशर का शुरुआती पता लगाने में मदद मिलती है। जीवनशैली में बदलाव और दवाओं से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। दिल और दिमाग से जुड़ी बीमारियों से बचा जा सकता है।
अपनी सेहत का रखें ख्याल
20 की उम्र के बाद महिलाओं के लिए ये टेस्ट्स कराना सिर्फ जरूरी ही नहीं, बल्कि उनकी सेहत के लिए निवेश की तरह है। ये टेस्ट्स बीमारियों का शुरुआती पता लगाने में मदद करते हैं, जिससे इलाज आसान हो जाता है और जीवन की गुणवत्ता बेहतर बनी रहती है।
याद रखिए, आपकी सेहत आपके हाथ में है। नियमित चेकअप कराने और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर आप न केवल खुद को बल्कि अपने परिवार को भी स्वस्थ रख सकती हैं। तो आज ही अपने डॉक्टर से संपर्क करें और इन जरूरी टेस्ट्स को अपनी रूटीन चेकअप में शामिल करें।
 


 
                     
                             
                             
                             
                             
                             
                            