महिलाओं के लिए कलावा बांधने के जरूरी नियम, शादी से पहले और बाद में जानिए फर्क

punjabkesari.in Tuesday, Sep 23, 2025 - 02:02 PM (IST)

नारी डेस्क : हिंदू धर्म में कलावा को रक्षा सूत्र माना जाता है। इसे बांधने का उद्देश्य व्यक्ति को नकारात्मक शक्तियों और बुरी नजर से बचाना होता है। जब भी मंदिर या पूजा-पाठ के दौरान पंडित कलावा बांधते हैं, वे विशेष मंत्रों का जाप करते हैं जिससे इसका आध्यात्मिक प्रभाव और भी बढ़ जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि महिलाओं के लिए कलावा बांधने के कुछ खास नियम होते हैं? खासतौर पर अविवाहित और विवाहित महिलाओं के लिए इसे अलग-अलग हाथों में बांधा जाता है।

शादी से पहले सीधे हाथ में कलावा क्यों बांधते हैं?

अविवाहित लड़कियों को हिंदू धर्म में ब्रह्मचारी का रूप माना जाता है। ब्रह्मचर्य जीवन का मतलब है अनुशासन और संयम। सीधे हाथ का संबंध कर्म और अनुशासन से माना जाता है। इसलिए शादी से पहले लड़कियों के सीधे हाथ में कलावा बांधा जाता है ताकि उनमें सकारात्मक ऊर्जा, आत्मबल और जीवन में अनुशासन बढ़े। यह उन्हें सही दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित करता है।

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शादी के बाद उल्टे हाथ में कलावा बांधने का कारण

शादी के बाद महिला अर्धांगिनी बन जाती है और पारिवारिक जिम्मेदारियों का हिस्सा बनती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, उल्टे हाथ का संबंध चंद्र नाड़ी यानी ईड़ा नाड़ी से होता है। यह नाड़ी शांति, सौम्यता और भावनाओं को दर्शाती है। शादी के बाद महिला का जीवन केवल व्यक्तिगत नहीं रहता, बल्कि परिवार और वैवाहिक जीवन की सौम्यता को बनाए रखने की जिम्मेदारी भी उसके कंधों पर होती है। इसलिए शादी के बाद महिलाओं के उल्टे हाथ में कलावा बांधने का नियम है।

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कलावा कितनी बार लपेटना चाहिए?

कलावा बांधने का भी विशेष तरीका होता है। इसे कलाई पर तीन बार लपेटना चाहिए।

यह तीन बार लपेटना त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक माना जाता है।

यह तीन प्रकृति वात, पित्त और कफ के संतुलन का भी संकेत देता है।

साथ ही यह त्रि-ऋण देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण को याद दिलाने का माध्यम है।

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कलावा बांधना केवल एक परंपरा नहीं बल्कि धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है। शादी से पहले और बाद में हाथ बदलने का नियम जीवन के अलग-अलग चरणों का प्रतीक है। यह न केवल हमें बुरी शक्तियों से बचाता है बल्कि सकारात्मक ऊर्जा, आत्मबल और मानसिक शांति भी प्रदान करता है। कलाई पर इसे तीन बार लपेटने का नियम हमें धर्म, कर्तव्य और परिवार के प्रति अपनी जिम्मेदारियों की याद दिलाता है। इसलिए अगली बार जब आप कलावा बांधें, तो इन नियमों का ध्यान रखें और इसे श्रद्धा व सही विधि से बांधें।


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Content Editor

Monika

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