नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की करें पूजा, माता की गोद में कौन है ये बालक ?
punjabkesari.in Saturday, Sep 27, 2025 - 10:46 AM (IST)

नारी डेस्क: नवरात्रि के पांचवे दिन मां दुर्गा के पांचवे रुप देवी स्कंदमाता की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि जिस जातक का कुंडली में बुध कमजोर होता है उन्हें विशेष रूप से इनकी पूजा करनी चाहिए। मां दुर्गा का यह स्वरुप संतान प्राप्ति की कामना पूर्ण करने वाला माना जाता है। हालांकि बहुत से भक्त इस बात से अनजान हैं कि माता की गोद में बालक कौन है? चलिए आज हम बताते हैं इस बालक के बारे में

तारकासुर से जुड़ी कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, तारकासुर नाम के एक राक्षस ने भगवान ब्रह्मा को खुश रखने के लिए कठोर तपस्या की थी। राक्षस की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी ने उसे दर्शन दिए। उसने भगवान ब्रह्मा जी से अमरता का वरदान मांगा था। इस वरदान पर ब्रह्मा जी ने राक्षस को समझाया कि यदि उसने जन्म लिया है तो उसे मरना होगा। इस पर तारकासुर ने शिवजी के पुत्र के हाथों मरने का वरदान मांगा, क्योंकि उसे लगता था कि शिवजी का कभी भी विवाह नहीं होगा तो पुत्र कहां से होगा। इससे उसकी मृत्यु भी नहीं होगी। वरदान मिलने पर तारकासुर ने लोगों पर अत्याचार करने शुरु कर दिए। जिसके बाद सभी लोगों ने शिवजी के पास जाकर तारकासुर की मुक्ति दिलवाने की प्रार्थना की। इसके बाद शिवजी ने मां पार्वती से विवाह किया और कार्तिकेय देव पैदा हुए।

इस तरह स्कंदमाता पड़ा मां का नाम
कार्तिकेय ने बड़े होकर राक्षस ताराकासुर का वध किया। भगवान स्कंद की मां होने पर देवी को स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब देवी पार्वती भगवान स्कंद अर्थात कार्तिकेय की मां बनीं तब से उन्हें देवी स्कंदमाता के रूप में जाना जाने लगा। स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। भगवान स्कंद बालरूप में इनकी गोद में विराजमान है। देवी स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। मां के दाहिनी तरफ की ऊपर वाली भुजा में स्कंद गोद में हैं और दाहिनी तरफ वाली भुजा में मां के कमल का पुष्प विराजमान है।