मां लक्ष्मी ने उल्लू को ही क्यों चुना अपना वाहन? इस दिन देखा तो जाग जाएगी सोई किस्मत
punjabkesari.in Wednesday, Oct 30, 2024 - 06:55 PM (IST)
नारी डेस्कः भारत का सबसे बड़ा त्योहार दीवाली (Diwali 2024) पूरे देश में धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। मां लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है। लक्ष्मी की जिस पर कृपा होती है उसके पास रुपये-पैसे, ऐश्वर्य, समृद्धि की कमी नहीं रहती है। मां लक्ष्मी का वाहन उल्लू भी आर्थिक समृद्धि का सूचक होता है और कहा जाता है कि अगर इस दिन आपको उल्लू के दर्शन हो जाए तो आपका भाग्य खुल जाता है। हिंदू धर्म में लगभग सभी देवी-देवताओं का वाहन कोई न कोई पशु या पक्षी होता है। माता लक्ष्मी ने उल्लू को अपने वाहन के रूप में चुना था लेकिन क्या आप जानते हैं माता लक्ष्मी ने उल्लू को अपना वाहन क्यों चुना चलिए आपको बताते हैं।
मान्यता के अनुसार, प्रकृति और पशु-पक्षियों के निर्माण के बाद जब सभी देवी-देवता अपने वाहनों का चुनाव कर रहे थे, तब देवी लक्ष्मी भी अपना वाहन चुनने के लिए धरती पर आई। उस समय पशु-पक्षियों ने मां लक्ष्मी के सामने प्रस्तुत होकर उनसे खुद को अपना वाहन चुनने की विनती थी। तब देवी लक्ष्मी ने सभी पशु-पक्षियों से कहा कि वह कार्तिक अमावस्या पर धरती पर आएंगी और अपने वाहन का चुनाव करेंगी और उस समय जो भी पशु-पक्षी मुझ तक सबसे पहले पहुंचेगा, मैं उसे अपना वाहन बना लूंगी। जब कार्तिक अमावस्या आई तो सभी पशु-पक्षी आंखें बिछाए माता लक्ष्मी की राह देखने लगे। अमावस्या की काली रात को सभी पशु- पक्षियों को कम दिखाई पड़ता है। इस काली रात में देवी लक्ष्मी जब धरती पर पधारीं तभी उल्लू ने काले अंधेरे में भी अपनी तेज नजरों से उन्हें देख लिया और तीव्र गति से उनके समीप पहुंच गए क्योंकि उल्लू को रात में भी दिखाई देता है। उल्लू के इन गुणों से प्रसन्न हो कर माता लक्ष्मी ने उल्लू को अपना वाहन स्वीकार किया। मां लक्ष्मी को तभी से उलूक वाहिनी भी कहा जाता है।
कैसे उल्लू बना मां लक्ष्मी की सवारी? Mata laxmi ki sawari | Mata laxmi ka Vahan
उल्लू को क्रियाशील प्रवृत्ति का पक्षी है जो अपना पेट भरने के लिए भोजन की तलाश में निरंतर कार्य करता रहता है। मां लक्ष्मी ने इसलिए उल्लू को अपना वाहन चुना, उसी तरह जो व्यक्ति दिन-रात मेहनत करता है, मां लक्ष्मी की कृपा उस पर सदैव बनी रहती है। मां लक्ष्मी मेहनती लोगों के घर में स्थाई निवास करती है।
उल्लू को शुभता और धन संपत्ति का प्रतीक
पौराणिक मान्यता के अनुसार, उल्लू सबसे बुद्धिमान निशाचर पक्षी होता है। उल्लू को भूत और भविष्य का ज्ञान पहले से ही हो जाता है। भारतीय संस्कृति में उल्लू को लेकर कई मान्यताएं हैं। उल्लू को शुभता और धन संपत्ति का प्रतीक माना जाता है। दीवाली के दिन उल्लू के दर्शन हो जाए तो भाग्य खुल जाता है क्योंकि उल्लू आर्थिक समृद्धि का सचूक होता है। उल्लू को तंत्र क्रियाओं में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। दिवाली के समय पर उल्लू के शिकार को रोकने के लिए वन विभाग सक्रिय हो जाता है।
उल्लू से जुड़ी कई तरह की मान्यताएं
धार्मिक मान्यता के अनुसार, गर्भवती स्त्री उल्लू को स्पर्श कर लें तो उसकी होने वाली संतान श्रेष्ठ होती है।
बीमार व्यक्ति अगर उल्लू को स्पर्श कर लें तो उसके स्वास्थ्य में सुधार होने लगता है।
यदि उल्लू सिर के ऊपर उड़ रहा हो या आवाज देकर पीछा कर रहा हो तो यात्रा शुभ होती है।
पूर्व दिशा में बैठे उल्लू की आवाज सुनने या दर्शन करने से आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
दक्षिण दिशा में विराजे उल्लू की आवाज शत्रुओं पर विजय सुनिश्चित करती है। सुबह उल्लू की आवाज सुनना सौभाग्य कारक और लाभदायक माना गया है।