मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है नवरात्रि का दूसरा दिन, जानिए पूजा विधि और मंत्र

punjabkesari.in Sunday, Oct 15, 2023 - 06:32 PM (IST)

नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है। इस दौरान मां के अलग-अलग नौ स्वरुपों की पूजा की जाती है। भक्त मां की विशेष कृपा पाने के लिए उपवास भी करते हैं। नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी का माना जाता है। मां ब्रह्मचारिणी दुर्गा मां की दूसरी शक्ति मानी जाती है। मां की भक्ति से व्यक्ति में तप की शक्ति, त्याग, सदाचार, धैर्य और वैराग्य जैसे गुण आते हैं। मां का स्वरुप बहुत ही तेजमय और भव्य है। ब्रह्मचारिणी मां ने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी इसलिए उन्हें तपश्चिरिणी भी कहते हैं। कल नवरात्रि का दूसरा दिन है तो चलिए आपको बताते हैं कि मां की पूजा आप कैसे कर सकते हैं....

मां ब्रह्मचारिणी की कथा 

पौराणिक कथाओं की मानें तो पूर्व जन्म में मां पर्वतराज हिमालय की पुत्री थी। उन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। एक हजार वर्षों तक मां ने ब्रह्मचारी का जीवन व्यतीय किया और इस दौरान सिर्फ फल-फूल ही खाए जमीन पर रही। कठिन वर्त रखे और आसमान के नीचे धूप, बारिश, आंधी, ठंड सारी ऋतुओं को बर्दाश किया। इस दौरान मां ने टूटे हुए बिल्वपत्र खाकर भगवान शिव की कठोर तपस्या की लेकिन जब भगवान शिव मां की तपस्या से प्रसन्न नहीं हुए तो उन्होंने बिल्व पत्र खाना भी छोड़ दिए। मां ने कई सालों तक निर्जल और निराहार रहकर तपस्या की थी मां काफी कमजोर हो गई थी उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर सारे ऋषि मुनि देवता और सारे सिद्ध गण काफी प्रसन्न हुए और उन्हें मनोकामना पूर्ति का आशीर्वाद दिया। 

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कैसे करें पूजा? 

दूसरे दिन पीले या फिर सफेद कपड़े पहनकर मां की पूजा करना शुभ माना जाता है।सुबह जल्दी उठकर स्नान करें इसके बाद पूजा का स्थान साफ करें।  मां का पंचामृत स्नान करवाएं। इसके बाद आसन बिछाएं और फिर पूजा शुरु करें। मां को फूल, अक्षत, चंदन, फल, रोली, लौंग सुपारी और पान मां को भेंट करें। इसके बाद मां को भोग अर्पित करें। 

भोग में अर्पित करें ये चीजें 

मां को चीनी और मिश्री काफी पसंद है इसलिए मां के भोग में चीनी, मिश्री और पंचामृत से बना भोग अर्पित करें। मां को दूध और दूध से बने व्यंजन भी काफी प्रिय होते हैं इसलिए आप उन्हें यही अर्पित करें। इससे मां प्रसन्न हो जाएंगी इन चीजों का दान करने से व्यक्ति को लंबी उम्र और सौभाग्य का वरदान भी मिलता है।

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मंत्र 

या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रुपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।  

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palak

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