भगवान राम ने यहां स्वयं समंदर में स्थापित किए थे नवग्रह, जानें क्यों प्रसिद्ध है ये चमत्कारी तालाब
punjabkesari.in Friday, Nov 14, 2025 - 07:20 PM (IST)
नारी डेस्क : भारत में कई चमत्कारी मंदिर हैं, लेकिन तमिलनाडु के देवीपट्टिनम गांव में स्थित नवपाषाणम मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि यहां दर्शन मात्र से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, और तालाब में स्नान करने से शोक और चर्म रोगों से राहत मिलती है। इसके अलावा, यह मंदिर नवग्रहों को संतुलित करने के लिए भी विख्यात है।
नवग्रह और उनका महत्व
हिंदू धर्म में नवग्रह का विशेष महत्व है। यदि कुंडली में ग्रहों की स्थिति संतुलित हो, तो जीवन के प्रत्येक कार्य में सफलता मिलती है। वहीं, नीच की स्थिति जीवन में कठिनाइयों और बाधाओं को जन्म देती है। तमिलनाडु के इस तालाब में स्नान कर लोग दूर-दूर से अपने नवग्रहों को संतुलित करने आते हैं।
भगवान राम ने की थी स्थापना
नवपाषाणम मंदिर, रामेश्वरम से मात्र 17 किलोमीटर दूर, समुद्र तट के समीप स्थित है। किंवदंती के अनुसार, भगवान राम ने रावण से युद्ध से पहले स्वयं समुद्र में नवग्रहों की प्रतिमाएं गोलाकार रूप में स्थापित की थीं और उनकी पूजा की थी। इस पूजा के बाद उन्हें वरदान मिला कि पुल निर्माण के दौरान उनकी वानर सेना समुद्र की लहरों से सुरक्षित रहेगी।
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रोगों से मुक्ति पाने का स्थान
भक्तों का मानना है कि इस तालाब का पानी अमृत समान है और इसमें नौ जड़ी-बूटियों के औषधीय गुण हैं। यहां स्नान करने से विभिन्न रोगों से राहत मिलती है। कुछ भक्त तालाब का पानी घर ले जाकर भी उपयोग करते हैं। ऐसा माना जाता है कि तमिल शैव सिद्ध बोगर ने इन्हीं नौ जड़ी-बूटियों के गुणों से पलानी मंदिर में भगवान मुरुगन की मूर्ति बनाई थी।
पितृ तर्पण और देवी माता का वध
भक्त अपने पूर्वजों के तर्पण के लिए भी इस तालाब में आते हैं। तालाब में मौजूद नौ प्रतिमाओं की परिक्रमा कर, फूलमाला अर्पित करके अपने पितृ का तर्पण करते हैं। तालाब के पास ही एक देवी का मंदिर भी स्थित है, जहां देवी माता ने राक्षस महिषासुर का वध किया था।
नवपाषाणम मंदिर और तालाब न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि औषधीय गुणों और आध्यात्मिक शांति के लिए भी विशेष स्थान रखते हैं।

