मरते पिता ने एक्ट्रेस बिंदू से मांगा था एक वादा -"जिसे बेटी ने ताउम्र निभाया"
punjabkesari.in Sunday, Apr 24, 2022 - 11:44 AM (IST)
बॉलीवुड में कुछ किरदार ऐसे फेमस हैं कि उन किरदारों को निभाने वाले स्टार्स भी उसी नाम से ही इंडस्ट्री में फेमस हो गए। सौतेली सास और लड़ाकू ननद जैसे नेगेटिव किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस बिंदू भी उन्हीं एक्ट्रेसेस में से एक हैं। मोना डार्लिंग का किरदार भी बहुत फेमस हुआ था जिन्हें आज भी लोग याद करते हैं उसे निभाने वाली भी कोई और नहीं बल्कि बिंदू ही थी उन्होंने करीब 160 फिल्मों में काम किया औऱ नेगेटिव किरदार निभाकर ही फेमस हो गई लेकिन अब वो पर्दे की दुनिया से बहुत दूर है। अब वो कहां और किस हालात में चलिए इस पैकेज में आपको बताते हैं।
17 जनवरी, 1941 को गुजरात के वलसाड में जन्मीं बिंदु एक गुजराती परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनका पूरा नाम बिंदू नानूबाई देसाई है। उनके पिता नानूबाई देसाई अपने भाइयों के साथ मिलकर फिल्में बनाने का काम करते थे और उस समय फिल्में बनाने के लिए लाइसेंस लेना पड़ता था और उनके पास फिल्म बनाने के दो लाइसेंस थे क्योंकि उनकी मां ज्योत्सना देसाई भी स्टेज आर्टिस्ट थी ।मां को स्टेज पर परफॉर्म करते देख उनके मन में भी एक्ट्रेस बनने का ख्याल आने लगा था लेकिन पिता उन्हें डाक्टर बनाना चाहते थे इसी लिए शायद उन्हें फिल्मी लाइन से दूर रखा गया था और यहां तक उन्हें बचपन में फिल्म देखने की इजाजत नहीं थी। गुजरात के वलसाड जिले के हनुमान भागड़ा गांव से उनका परिवार बाद में मुंबई शिफ्ट हुआ था। बचपन में बिंदू को डांस का शौक था इसलिए वह थिरकती भी रहती थी लेकिन मुश्किल दौर तब आया जब पिता का बीमारी के चलते देहांत हो गया उस समय बिंदू महज 13 बरस की थी।
एक इंटरव्यू में अपने बचपन को याद करते हुए बिंदू ने कहा था कि, वह 6 भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी और जब पिता बिस्तर पर थे तो पिता ने उन्हें पास बुलाया और कहा था - मुझे एक वादा कर कि मेरे जाने के बाद तू अपने छोटे-भाई बहन का ख्याल रखेगी। जब मैं दुनिया में नहीं रहूंगा तब यह बुड्डा तेरा ख्याल रखा। दरअसल, वो साई बाबा को बुड्डा कहते थे।
घर और भाई-बहनों की जिम्मेदारी बिंदू पर आई और पैसा करमाने के लिए बिंदू ने मॉडलिंग का सहारा लिया। 1962 में उन्हें डायरेक्टर मोहन कुमार की सुपरहिट फिल्म अनपढ़ में काम करने का मौका मिला था लेकिन बिंदू का करियर इतना नहीं चला।
वहीं बिंदू की मुलाकात उनके पड़ोस में रहने वाले चंपकलाल झावेरी से हुई क्योंकि चंपकलाल की बहन बिंदू की खास दोस्त थी इसलिए घर आना-जाना था इसी बीच बिंदू और चंपक का प्यार भी परवान चढ़ा हालांकि जब परिवार को पता चला तो उन्होंने पाबंदियां लगानी शुरू की लेकिन दोनों नहीं मानें। साल 1964 में बिंदू की शादी हुई लेकिन ससुराल जाना ना हुआ क्योंकि बिंदू ने यह बात पहले ही शर्त के तौर पर रखी थी कि उन्होंने अपने छोटे भाई-बहनों की परवरिश करनी हैं इसलिए पति चंपक उनके साथ उनके घर में रहने लगे और उन्होंने हमेशा बिंदू को सपोर्ट किया और हौंसला दिया कि वह मिलकर सब कर लेंगे। वहीं ससुराल वालों ने भी आंखे फेर ली थी और चंपकलाल को उनके पुश्तैनी बिजनेस से भी बेदखल कर दिया गया था।
वहीं एक दिन वह फैमिली फ्रैंड चंद्रशेखर की पार्टी में पहुंचे थे जहां बिंदू की मुलाकात मशहूर संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल भी आए हुए थे। लक्ष्मीकांत जो कि बिंदू की बहन को पसंद करते थे और उनका घर में आना जाना शुरू हुआ और दोनों की शादी हो गई। इस तरह वह बिंदू के जीजा बन गए। एक दिन बिंदू लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के स्टूडियो में गई जहां राज खोसला जी भी थे। तब उन्होंने लक्ष्मी जी से पूछा ये कौन तो उन्होंने बताया कि ये मेरी साली हैं। उन्होंने बिंदू को फिल्म में काम करने का ऑफर दिया जिसे बिंदू ने झट से मान लिया और यहीं से हुई थी बिंदू के करियर की असली शुरूआत। फिल्म दो रास्ते में उन्हें नेगेटिव किरदार मिला जिसकी खूब तारीफें हुई। उसके बाद कटी पतंग में कैब्रे डांस किया जिससे भी बिंदू को खूब फेम मिला। उसके बाद तो बिंदू ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। जंजीर फिल्म में बिंदू को नया नाम मिला। इस फिल्म में एक किरदार था मोना का जिसे विलेन अजीत 'मोना डार्लिंग' कहकर बुलाते थे। आज भी बिंदू को कई लोग इसी नाम से जानते हैं।
बिंदू ने इंटरव्यू में बताया था कि वह शिर्डी साईं बाबा में काफी श्रद्धा रखती हैं घर में उनकी मूर्ति स्थापित हैं जहां हर गुरुवार को विशेष पूजा होती हैं। वहीं अपनी कामयाबी में वह पिता चंपक का बड़ा हाथ मानती हैं वह भले ही ज्यादा ना पढ़ पाई लेकिन उन्होंने अपने सारे भाई बहनों को पढ़ाया और आज सब सेट हैं। उनमें से एक डाक्टर और एक लॉयर है। बिंदू का कहना है कि वह अपने पति के इस अहसान को कभी नहीं भूल सकती क्योंकि उन्होंने बिंदू के परिवार को संभालने के लिए खुद का परिवार छोड़ दिया।
उन्हें और उनके पूरे परिवार को संभाला आज वो जिस भी मुकाम पर है वह पति की बदौलत ही है लेकिन एक मलाल हमेशा ही बिंदू को रहा है। 1977 से 80 के बीच का समय उनके लिए दुखभरा रहा।
बिंदू ने एक इंटरव्यू में कहा था, "हमने बेबी प्लान किया और मैं प्रेग्नेंट भी हुई। प्रेग्नेंसी के तीन महीने बाद मैंने काम करना बंद कर दिया लेकिन सातवें महीने में मेरा मिसकैरेज हो गया। मैं पूरी तरह टूट गई। यह मुकद्दर की बात है। हर इंसान को हर चीज नहीं मिलती। मेरे हसबैंड भी बहुत निराश हुए।
इस हादसे के बाद बिंदू कभी मां नहीं बन पाईं। रिपोर्ट्स की मानें तो बिंदू, पति चंपकलाल झावेरी के साथ पुणे के कोरेगांव पार्क में रहती हैं। वे डर्बी की मेंबर हैं और अक्सर उन्हें पुणे के रेस कोर्स में देखा जा सकता है। आखिरी बार उन्हें फिल्म महबूबा में देखा गया था और उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह टीवी शो में काम नहीं करना चाहती थी। इसकी बजाए वह पुरानी फिल्में देखकर और ट्रेवल करके लाइफ को एंजवॉय कर रही हैं।
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