23 साल का वीर योद्धा... साथी की जान बचाने के लिए खुद शहीद हुए लेफ्टिनेंट 'शशांक तिवारी'
punjabkesari.in Saturday, May 24, 2025 - 09:42 AM (IST)

नारी डेस्क: सिक्किम में तैनात भारतीय सेना के 23 साल के जवान लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी ने अदम्य साहस और कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल पेश करते हुए अपने एक साथी अग्निवीर की जान बचाते-बचाते खुद शहीद हो गए।
क्या हुआ था उस दिन?
22 मई को सिक्किम में सेना का एक गश्ती दल (रूट ओपनिंग पेट्रोल) एक रणनीतिक ऑपरेशन के तहत पहाड़ों में रास्ता खोलने का काम कर रहा था। इस दल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी कर रहे थे। सुबह करीब 11 बजे, एक जवान अग्निवीर स्टीफन सुब्बा लकड़ी के एक अस्थायी पुल (लॉग ब्रिज) को पार करते समय फिसल गए और तेज बहाव वाली नदी में बहने लगे।
Lest We Forget
— Trishakticorps_IA (@trishakticorps) May 23, 2025
Lt Shashank Tiwari made the supreme sacrifice while rescuing a fellow soldier during an operational patrol in high-altitude North #Sikkim.
A wreath was laid with full military honours by Lt Gen Zubin A Minwalla, GOC Trishakti Corps, at Bengdubi Military Station,… pic.twitter.com/v4qzekcpBe
लेफ्टिनेंट शशांक ने बिना समय गंवाए, साथी को बचाने के लिए नदी में छलांग लगा दी। एक अन्य सैनिक, नायक पुकार कटेल ने भी इस प्रयास में मदद की। दोनों जवानों की कोशिशों से अग्निवीर सुब्बा को तो बचा लिया गया, लेकिन तेज धारा में बह जाने के कारण लेफ्टिनेंट शशांक खुद नहीं बच सके। करीब 30 मिनट बाद, उनका पार्थिव शरीर नदी से 800 मीटर नीचे मिला।
सेना और देश का गर्व
भारतीय सेना ने लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी की बहादुरी को सलाम किया है। त्रिशक्ति कोर के जीओसी (जनरल ऑफिसर कमांडिंग), लेफ्टिनेंट जनरल जुबिन ए. मिनवाला ने बेंगडुबी सैन्य स्टेशन पर पूरे सैन्य सम्मान के साथ उन्हें श्रद्धांजलि दी। सेना ने कहा कि लेफ्टिनेंट तिवारी ने कम उम्र में ऐसा साहस दिखाया है, जो आने वाली पीढ़ियों के सैनिकों को हमेशा प्रेरित करेगा।
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कौन थे लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी?
शशांक तिवारी उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले के मझवां गद्दोपुर गांव के रहने वाले थे। बचपन से ही उनका सपना था कि वे सेना में जाएं और देश की सेवा करें।उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई अयोध्या के केजिंगल बेल स्कूल से की थी।
2019 में उन्होंने जेबीए एकेडमी से इंटरमीडिएट किया और उसी साल पहली ही कोशिश में एनडीए (नेशनल डिफेंस एकेडमी) में चयनित हो गए। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद दिसंबर 2023 में उन्हें पासिंग आउट परेड के जरिए सेना में लेफ्टिनेंट की पोस्ट पर कमीशन मिला। सिक्किम उनकी पहली पोस्टिंग थी।
अंतिम विदाई
शहीद लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव लाया गया। अयोध्या जिला प्रशासन के अनुसार, शनिवार को उनका अंतिम संस्कार अयोध्या के जमथरा घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।
लेफ्टिनेंट शशांक तिवारी ने अपने साहस, बलिदान और कर्तव्यनिष्ठा से यह साबित कर दिया कि भारतीय सेना के जवान हर परिस्थिति में अपने साथियों और देश की रक्षा के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। उनका बलिदान देश कभी नहीं भूलेगा।