एक दूसरे के प्यार में डूबी दो लड़कियां, उनकी समलैंगिक शादी में नाचा पूरा गांव

punjabkesari.in Saturday, Nov 08, 2025 - 06:08 PM (IST)

नारी डेस्क: पश्चिम बंगाल के सुंदरबन में दो युवतियों ने अपने गांव के मंदिर में सात फेरे लेकर एक-दूसरे के साथ जीने-मरने की कसम खाई। कुलटाली ब्लॉक के जलाबेरिया गांव में रिया सरदार और राखी नस्कर ने पालेर चक मंदिर में चार नवंबर को शादी रचाई, जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल ह‍ुए और उन्होंने खुशी जताई, शंख बजाए तथा जोड़े को आशीर्वाद दिया। पेशे से नर्तकी रिया और राखी की उम्र से 20 से 25 साल के बीच है।  भारत जैसा देश, जहां समलैंगिक शादियों को कानूनी मान्यता हासिल नहीं है और यह मुद्दा अभी भी उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है, वहां रिया और राखी का विवाह एक शांत विद्रोह था, जिसमें बगावत से ज्यादा प्रेम निहित था।

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 यह विवाह सुंदरबन के एक रूढ़िवादी गांव में हुआ, जहां ऐसे रिश्तों को सार्वजनिक मान्यता असामान्य है। इसके बावजूद चार नवंबर की दोपहर को मंदिर प्रांगण पारंपरिक शादी जैसे उत्साह और रौनक से सराबोर हो उठा, जब दुल्हन के रूप में सजी रिया और दूल्हे का सेहरा पहनी राखी ने एक-दूसरे को मालाएं पहनाईं तथा शादी के सात वचन लिए। एक पुजारी ने सभी रस्में संपन्न कराईं।  मंदिरबाजार के रामेश्वरपुर में रहने वाली रिया ने संवाददाताओं से कहा-  “हम शादी के बंधन में बंध गए हैं। हमने सात जन्म तक एक-दूसरे का साथ निभाने की कसम खाई है।” 

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बकुलटला थाना क्षेत्र की रहने वाली राखी ने कहा- “हम वयस्क हैं। हम अपनी जिंदगी के फैसले खुद ले सकते हैं। जीवनसाथी चुनते समय लिंग क्यों मायने रखता है?” रिया ने बताया कि उसने छोटी उम्र में अपने माता-पिता को खो दिया था, जिसके बाद उसकी चाची कविता कोयल ने उसकी परवरिश की, जो पहले तो उसके फैसले से हैरान रह गई, लेकिन बाद इसका विरोध नहीं किया। रिया ने दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई की है और एक नर्तकी के रूप में काम करती है। वहीं, राखी ने नौवीं कक्षा तक की पढ़ाई की है और एक स्थानीय नृत्य मंडली से जुड़ी हुई है। उसने कहा, “अपने कृषक परिवार की आपत्ति के बावजूद, मैंने केवल उसी व्यक्ति से शादी करने का फैसला लिया, जिससे मैं सचमुच प्यार करती हूं।” 


रिया और राखी ने बताया कि उनकी जान-पहचान सोशल मीडिया के जरिये हुई थी, जहां दोनों ने एक-दूसरे से फोन नंबर साझा किए और धीरे-धीरे रोजाना घंटों बातें करने लगीं। उन्होंने बताया कि बाद में वे एक ही नृत्य मंडली के साथ जुड़ गईं, जहां “उनकी दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल गई।” गांव वालों ने रिया और राखी की शादी का समर्थन किया। मिलन सरदार नाम के एक ग्रामीण ने कहा- “हम सभी एक नया जीवन शुरू करने में हमारी बेटियों की मदद करने के लिए आगे आए। सभी ने इसमें सहयोग किया। रस्मों के बाद, किसी भी अन्य शादी की तरह, दोनों पक्षों ने चिकन और चावल की दावत का लुत्फ उठाया।” स्वच्छता और स्वास्थ्य कार्यों के लिए क्षेत्र का दौरा करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता अंकुर बसु ने कहा- “यह एक बहुत सुंदर पल था। यह कोई बगावत नहीं थी। यह दो लोगों के एक-दूसरे को अपने जीवनसाथी के रूप में स्वीकार करना था।” पुलिस के मुताबिक, उसे इस घटनाक्रम के बारे में कोई आधिकारिक शिकायत नहीं प्राप्त हुई है। एक अधिकारी ने कहा-  “किसी ने हमसे संपर्क नहीं किया। अगर ग्रामीण शांतिपूर्वक किसी मंदिर समारोह में शामिल होते हैं, तो हमें इससे कोई लेना-देना नहीं है।” 


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Content Writer

vasudha

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