क्यों नहीं छूनी चाहिए स्त्री की नाभि? जानिए शास्त्र, आयुर्वेद और धर्म में इसका गहरा रहस्य

punjabkesari.in Monday, Sep 29, 2025 - 03:44 PM (IST)

नारी डेस्क : मानव शरीर को शास्त्रों में मंदिर कहा गया है और इसके हर अंग को देवताओं का निवास स्थान माना गया है। स्त्री की नाभि को प्राण, ऊर्जा और लक्ष्मी का केंद्र बताया गया है। इसलिए इसका सम्मान करना घर में सुख-समृद्धि और मानसिक शांति बनाए रखने का मार्ग माना गया है।

नाभि का शास्त्रीय महत्व

जीवन का प्रथम केंद्र: नाभि से ही गर्भ में शिशु को जीवन और पोषण मिलता है।

ऊर्जा का स्रोत: इसे शरीर में प्राण और ऊर्जा का मुख्य स्थान माना जाता है।

देवत्व का प्रतीक: धर्मशास्त्रों में नाभि को देवत्व का प्रतीक बताया गया है।

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आयुर्वेद में नाभि का महत्व

आयुर्वेद के अनुसार, नाभि से लगभग 72,000 नाड़ियां पूरे शरीर में ऊर्जा और रक्त प्रवाह करती हैं।

चरक संहिता: “नाभिः प्राणस्य मूलम्” नाभि को प्राण का मूल स्थान माना गया है।

सुश्रुत संहिता: नाभि में विकार पूरे शरीर को प्रभावित कर सकते हैं। यह पाचन तंत्र, अग्नि (मेटाबॉलिज्म) और मानसिक स्वास्थ्य को नियंत्रित करती है।

धार्मिक दृष्टि से नाभि का महत्व

शास्त्रों में नाभि को अत्यंत पवित्र स्थान माना गया है। विष्णु धर्मसूत्र में उल्लेख मिलता है। “लक्ष्मी नाभिस्थिता”, अर्थात् लक्ष्मी का वास नाभि में माना गया है। यही कारण है कि नाभि को धन, सुख और समृद्धि का प्रतीक समझा जाता है। श्रीमद्भागवत महापुराण में वर्णन है कि भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न कमल पर ही ब्रह्मा का प्रकट होना हुआ और यहीं से सृष्टि की रचना प्रारंभ हुई। इसी कारण स्त्री की नाभि का सम्मान करना केवल धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि घर में धन, सुख और सौभाग्य की प्राप्ति का भी प्रतीक माना जाता है।

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स्त्री की नाभि छेड़ने के दुष्परिणाम

शास्त्रों के अनुसार, स्त्री की नाभि का अपमान करना या इसे अशुद्ध दृष्टि से छूना केवल शारीरिक अशुद्धता ही नहीं, बल्कि गहरा आध्यात्मिक दोष भी उत्पन्न करता है। ऐसा होने पर घर में कलह, मानसिक अशांति और तनाव बढ़ सकते हैं। इसके साथ ही आर्थिक तंगी, बाधाएं और दुर्भाग्य भी जीवन में प्रवेश कर सकते हैं। इसे अलक्ष्मी के आगमन का संकेत माना गया है।

पद्म पुराण में स्पष्ट कहा गया है 

“यत्र स्त्रीः न सन्मान्याः तत्र लक्ष्मीर्न तिष्ठति”
अर्थात, जहां स्त्रियों का सम्मान नहीं होता, वहां लक्ष्मी का वास नहीं होता और वहां से सुख-समृद्धि दूर हो जाती है।

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दोष निवारण और उपाय

अगर गलती से नाभि का अपमान हो जाए, तो इन उपायों को करना शुभ माना जाता है।

शुक्रवार के दिन लक्ष्मी पूजन: कमल का फूल, धूप और दीप अर्पित करें।

नाभि पर शुद्ध घी/सरसों का तेल: लगाकर “ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्म्यै नमः” मंत्र का 108 बार जप करें।

कन्याओं को भोजन कराना: उनका आशीर्वाद लेना अलक्ष्मी को दूर करने का सबसे सरल उपाय है।

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स्त्री की नाभि का सम्मान केवल धार्मिक आस्था का विषय नहीं है, बल्कि यह शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य से भी जुड़ा है। इसका सम्मान करना घर-परिवार में सुख, समृद्धि और शांति लाने का सरल उपाय माना जाता है।


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Monika

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