क्या गर्भावस्था में डायबिटीज से शिशु को हो सकता है Autism ? जानिए डॉक्टर की राय

punjabkesari.in Monday, May 26, 2025 - 12:13 PM (IST)

नारी डेस्क: गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज यानी जेस्टेशनल डायबिटीज होना महिलाओं के लिए चिंता की बात होती है। यह न केवल मां की सेहत पर असर डालता है, बल्कि गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए भी कई तरह के जोखिम बढ़ा देता है। समय से पहले डिलीवरी, बच्चे का कम वजन, जॉन्डिस और प्रीक्लेम्पसिया जैसी जटिलताएं इसके साथ जुड़ी होती हैं। लेकिन एक बड़ा सवाल यह भी है कि क्या प्रेग्नेंसी में डायबिटीज होने से बच्चे को ऑटिज्म का खतरा बढ़ सकता है?

 क्या कहती हैं रिसर्च 

गर्भकालीन डायबिटीज (Gestational Diabetes) और ऑटिज्म (Autism Spectrum Disorder) के बीच संबंध देखा गया है। यदि गर्भावस्था के 26वें सप्ताह तक महिला को जेस्टेशनल डायबिटीज हो जाती है, तो शिशु में ऑटिज्म का खतरा लगभग 42% तक बढ़ सकता है।

हालांकि अगर महिला को पहले से ही टाइप 2 डायबिटीज है और वह प्रेग्नेंसी से पहले ही अपना ब्लड शुगर सही तरीके से कंट्रोल कर रही है, तो शिशु में ऑटिज्म का जोखिम उतना नहीं रहता।

PunjabKesari

 क्यों बढ़ता है ऑटिज्म का खतरा?

हालांकि यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि डायबिटीज की वजह से ऑटिज्म कैसे होता है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक हाई ब्लड शुगर लेवल शिशु के दिमाग और शरीर के विकास पर असर डाल सकता है। इससे शिशु के ऑर्गन्स और न्यूरोलॉजिकल फंक्शन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जो आगे चलकर ऑटिज्म जैसी स्थितियों का कारण बन सकता है।

 क्या करें गर्भवती महिलाएं?

प्रेग्नेंसी के दौरान ब्लड शुगर लेवल पर नियमित निगरानी रखें। संतुलित आहार लें और डॉक्टर की सलाह से हल्की-फुल्की एक्सरसाइज करें। अगर डायबिटीज की पहचान हो गई है, तो उसे सही तरीके से मैनेज करें। नियमित रूप से डॉक्टर से चेकअप कराएं और सभी जरूरी टेस्ट कराते रहें।

गर्भावस्था में जेस्टेशनल डायबिटीज को हल्के में न लें। यह न केवल मां की सेहत बल्कि शिशु के विकास पर भी गहरा असर डाल सकता है। ऑटिज्म का खतरा भी इससे जुड़ा हो सकता है, इसलिए समय रहते डायबिटीज की पहचान और सही इलाज बहुत जरूरी है।
  

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Priya Yadav

Related News

static