कौन हैं देवी लक्ष्मी की बड़ी बहन? जिस घर होता उनका वास वो हो जाता कंगाल
punjabkesari.in Saturday, Oct 18, 2025 - 05:25 PM (IST)

नारी डेस्क : दिवाली के अवसर पर सभी लोग धन और समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी का स्वागत करते हैं। हर कोई चाहता है कि दिवाली के दिन लक्ष्मी जी का स्थायी निवास उसके घर में हो। लेकिन क्या आप जानते हैं कि लक्ष्मी जी की बड़ी बहन, दरिद्रता की देवी अलक्ष्मी भी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थीं?
अलक्ष्मी का जन्म और महत्व
समुद्र मंथन के समय सबसे पहले अलक्ष्मी प्रकट हुईं, उसके बाद लक्ष्मी जी आईं।
अलक्ष्मी लाल वस्त्र पहनकर आईं और देवताओं से निवास स्थल के बारे में पूछा।
देवताओं ने उन्हें कहा कि जिन घरों में झगड़ा, कलह, पाप, झूठ, स्त्रियों का अपमान और अशुद्ध आचरण होता है, वहां अलक्ष्मी का निवास होता है।
मां लक्ष्मी की बड़ी बहन हैं अलक्ष्मी
समुद्र मंथन के समय मां लक्ष्मी का जन्म हुआ। उसी समय अलक्ष्मी भी प्रकट हुईं।
इस कारण उन्हें मां लक्ष्मी की बड़ी बहन माना जाता है।
मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु ने विवाह करना चाहा, लेकिन धर्म के अनुसार पहले बड़ी बहन अलक्ष्मी का विवाह होना जरूरी था, तभी छोटी बहन लक्ष्मी का विवाह संभव था।
देवी लक्ष्मी क्यों अड़ गईं भगवान विष्णु से
अलक्ष्मी का स्वरूप कुरूप, गंदा और लोहे के आभूषणों से भरा था।
उनके विवाह के लिए किसी की भी इच्छा नहीं थी।
मां लक्ष्मी ने भगवान विष्णु से जिद की कि पहले अलक्ष्मी का विवाह होना चाहिए।
इसके बाद भगवान विष्णु ने उद्दालक ऋषि से अलक्ष्मी का विवाह करवा दिया।
अलक्ष्मी का विवाह और निवास
विवाह के बाद अलक्ष्मी को ऋषि अपने आश्रम ले गए, लेकिन उन्होंने वहां रहने से इंकार कर दिया।
अलक्ष्मी ने कहा कि उनका निवास ऐसे घरों में है जहां गंदगी, झगड़ा, अधर्म और मांस-मदिरा का सेवन होता है।
तब ऋषि उन्हें पीपल के पेड़ के नीचे बैठाकर उचित स्थान ढूंढने गए।
अलक्ष्मी दुखी हो गईं और मां लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को अपनी व्यथा बताई।
श्रीहरि विष्णु ने कहा कि पीपल उनका निवास है, और इससे अलक्ष्मी पीपल के पेड़ के नीचे रहती हैं।
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अलक्ष्मी से कैसे बचा जा सकता है
पीपल के पेड़ की पूजा करने वाले को अलक्ष्मी कोई नुकसान नहीं पहुंचाती।
अलक्ष्मी को खट्टा और मिर्च वाला भोजन पसंद है।
इसलिए घरों और प्रतिष्ठानों के बाहर नींबू-मिर्च टांगे जाते हैं, ताकि अलक्ष्मी वहीं से भोजन लेकर लौट जाए।
जहां साफ-सफाई, धार्मिक क्रियाएं और सकारात्मक वातावरण हो, वहां अलक्ष्मी का प्रवेश नहीं होता।
घर में लक्ष्मी का निवास और सुख-समृद्धि बनाए रखने के लिए यह उपाय बहुत महत्वपूर्ण हैं।
अलक्ष्मी के प्रभाव
अलक्ष्मी को कलहप्रिय, दरिद्रता और अमंगल फैलाने वाली देवी कहा गया है।
जिन घरों में रोज झगड़ा, कठोर भाषण, धोखा, अपशिष्ट और पाप होते हैं, वहां अलक्ष्मी रहती हैं।
उनके निवास से घर में दुःख, दरिद्रता और असंतोष बढ़ता है।
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दिवाली पर लक्ष्मी और अलक्ष्मी का महत्व
लक्ष्मी जी और अलक्ष्मी एक साथ नहीं रह सकतीं।
इसलिए दिवाली पर घर की सफाई, सकारात्मक वातावरण और सही आचरण बनाए रखना जरूरी है।
घर में लक्ष्मी के स्वागत के लिए सजावट, पूजा और सत्कार से अलक्ष्मी को दूर किया जा सकता है।
शुभ कार्य, ईमानदारी और प्रेमपूर्ण वातावरण से घर में संपत्ति, सुख और समृद्धि बनी रहती है।
दिवाली केवल दीपों का त्योहार नहीं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का प्रतीक है। अलक्ष्मी को घर से दूर रखकर और लक्ष्मी का स्वागत करके हम अपने जीवन में खुशहाली और सफलता ला सकते हैं।