जानिए हनुमान जी ने क्यों लपेटा था शनि देव को पूंछ में ? यहां पढ़ें रोचक कथा

punjabkesari.in Friday, Aug 30, 2024 - 07:36 PM (IST)

नारी डेस्क: शनिवार के दिन संकटमोचक हनुमान जी और शनि देव दोनों को पूजा जाता है। हालांकि इस बात से बहुत कम लोग अनजान है कि शनि देव और हनुमाज जी का आखिर क्‍या संबंध है। हनुमान जी और शनिदेव की कथा रामायण और पुराणों में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। आज आपको बताते हैं कि  हनुमान जी ने शनिदेव का अहंकार कैसे तोड़ा था। 

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पौराणिक मान्‍यताओं के मुताबिक जब हनुमान जी लंका दहन करने के लिए जा रहे थे, तो वे मार्ग में शनिदेव से मिले। शनिदेव का स्वभाव ऐसा था कि वे जब भी किसी पर दृष्टि डालते, वह व्यक्ति कष्ट में पड़ जाता। हनुमान जी के बल और भक्ति से शनिदेव परिचित थे, फिर भी शनिदेव ने हनुमान जी को चुनौती देने का मन बना लिया। शनिदेव ने हनुमान जी से कहा, "हनुमान, मैं तुम्हारे साथ मल्लयुद्ध (कुश्ती) करना चाहता हूं।" हनुमान जी ने कहा- "मैं श्रीराम के कार्य में व्यस्त हूं, इसलिए समय नहीं है। लेकिन अगर आप मुझसे युद्ध करने का आग्रह कर रहे हैं, तो आप मेरी पूंछ पर बैठ सकते हैं और मुझे रोक सकते हैं।"

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शनिदेव ने हनुमान जी की पूंछ पर बैठने का निर्णय किया। जैसे ही शनिदेव हनुमान जी की पूंछ पर बैठे, हनुमान जी ने अपनी पूंछ को लपेट लिया और उसे अपने शरीर के चारों ओर घुमा दिया। हनुमान जी ने अपनी पूंछ को कसकर बांध लिया और शनिदेव को घुमाना शुरू कर दिया। शनिदेव को बहुत पीड़ा हुई, लेकिन वे हनुमान जी के बंधन से बाहर नहीं निकल सके। 

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शनिदेव ने हार मान ली और हनुमान जी से क्षमा याचना की। उन्होंने कहा- "हे वीर हनुमान, मैं तुम्हारे बल को नहीं समझ सका। कृपया मुझे मुक्त करो, और मैं वचन देता हूं कि जो भी तुम्हारी पूजा करेगा, उस पर मेरी बुरी दृष्टि नहीं पड़ेगी।" हनुमान जी ने शनिदेव को मुक्त कर दिया और शनिदेव ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि जो भी हनुमान जी की उपासना करेगा, उस पर उनकी दृष्टि से आने वाले कष्ट नहीं आएंगे। इस प्रकार, हनुमान जी ने शनिदेव का अहंकार तोड़कर उन्हें उनकी शक्ति और भक्ति का महत्व समझाया।


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vasudha

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