Autism Day 2021: क्या है ऑटिज़्म? बीमारी को पहचानना बहुत जरूरी

punjabkesari.in Friday, Apr 02, 2021 - 10:28 AM (IST)

हर साल 2 अप्रैल को 'World Autism Awareness Day' यानी कि विश्व ऑटिज़्म जागरूकता दिवस के तौर पर मनाया जाता है। ऑटिज्म बच्चों में होने वाली एक मानसिक बीमारी है। इसमें शिशु का दिमाग ठीक से विकसित नहीं होता है। ऐसे में बच्चा किसी बात को समझने की जगह अपने ही धुन में रहता है। साथ ही किसी भी काम को करने में पूरी तरह से सक्षम नहीं होता है। तो चलिए जानते हैं इस बीमारी के बारे में विस्तार से...

ऑटिज़्म एक मानसिक बीमारी

यह बच्चों में होने वाली एक मानसिक बीमारी है। बच्चे के सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर नुकसान होने पर वे इस बीमारी का शिकार होते हैं।ऐसे में शिशु का दिमाग ठीक से विकसित नहीं होता है। वे अपने मुताबिक ही सारे काम करने में रुचि रखता है। डॉक्टर्स के अनुसार, किसी भी पीड़ित बच्चे में ऑटिज़्म के लक्षण तीन साल की उम्र में ही दिखाई देने लगते हैं। इस तरह के बच्चे आम बच्चों से काफी अलग बर्ताव करते हैं। ये एक ही चीज व बात को बार-बार दोहराते रहते हैं। कुछ बच्चों में अजीब सा डर भी दिखाई देता है। इसके अलावा कई बच्चे जल्दी किसी बात की कोई प्रतिक्रिया ही नहीं दे पाते हैं। 

इन बच्चों को ऑटिज्‍म होना का अधिक खतरा

- लड़कियों के मुकाबले लड़कों को अधिक खतरा 
-26 हफ्ते से पहले पैदा होने वाले बच्‍चे
- किसी परिवार में अगर एक बच्चा इसका शिकार है तो दूूसरे को इस बीमारी की चपेट में आने का अधिक खतरा 
- गर्भावस्था में मां का सही खानपान ना होना 
- गर्भावस्था में मां द्वारा ज्यादा तनाव व चिंता करनी 
- इसके अलावा गर्भावस्था के समय अगर मां को थायराइड होना 

PunjabKesari

ऑटिज्‍म के लक्षण

एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस के लक्षण 1 से 3 साल के बच्चों में दिखाई देते हैं। मगर अगर 9 महीने का बच्चा मुस्कुराता व कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है तो इसके पीछे का कारण भी ऑटिज्म हो सकता है। समय रहते इसके लक्षणों की पहचान करके काबू किया जा सकता है। तो चलिए जानते हैं इसके लक्षण...

- बच्चे जल्दी से दूसरों से आई कॉन्टेक्ट व बात नहीं कर पाता है। 
- बच्चा अपने नाम को सुनने पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है। हम यूं भी कह सकते हैं तो वे अपना नाम भी पहचानता नहीं है। 
- किसी भाषा को सीखने व समझने में परेशानी आना। 
- बच्चे बस अपनी ही दुनिया में खोया रहता है। 
- अपनी बातें व भावनाओं को ठीक से दूसरे को ना समझा पाना।
- लगातार हिलते व कही खोए रहना। 
- एक ही काम को बार-बार दोहराना।

इलाज

भले ही इसके लिए अभी तक कोई खास इलाज संभव नहीं है। मगर स्पीच थेरेपी व मोटर स्किल जैसी तकनीक से इसपर कुछ हद तक काबू पाया जा सकता है। इसके साथ ही ऐसे बच्चों को डांटने की जगह उनसे प्यार से बात करें। उन्हें समझने की कोशिश करें। 

PunjabKesari


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

neetu

Related News

static