Mukesh Ambani V/s Ratan Tata: किसका Show Off ज्यादा, क्यों एक खर्चे तो दूसरे के नहीं होते चर्चे?

punjabkesari.in Thursday, Oct 07, 2021 - 12:14 PM (IST)

मुकेश अंबानी और रतन टाटा, ऐसे नाम हैं जिनका देश क्या दुनिया में एक अलग रुतबा और नाम है। दोनों की अपनी अलग ही पर्सनेलिटी है। दोनों की अमीरी के चर्चे भला, किसने नहीं सुने लेकिन फिर भी मुकेश अंबानी, रतन टाटा से ज्यादा लाइमलाइट में रहते हैं या यूं भी कह सकते हैं कि रतन टाटा लाइमलाइट से दूर रहना ही पसंद करते हैं।

 

अमीरी के मामले में मुकेश अंबानी, रतन टाटा से आगे हैं जबकि कंपनीज की बात करें तो दुनिया के दूसरे सबसे महंगे घर के मालिक मुकेश अंबानी के पास 6 कंपनियां है वहीं सिंपल लिविंग पसंद रतन टाटा रहते तो सिंपल से बंगले में हैं लेकिन इनके पास 135 से ज्यादा कंपनियां हैं।

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रिलायंस इंडस्ट्री जहां लिमिटेड सेक्टर में ही काम कर रही हैं, वहीं टाटा ग्रुप लगभग हर क्षेत्र में काम कर रहा है जैसे स्टील, कैमिकल ,आईटी, ऑटो मोबाइल आदि। तभी तो सबसिड्री कंपनीज ज्यादा होने के चलते टाटा कंपनीज का मार्कीट कैपिटल रिलायंस कंपनी से ज्यादा ही रहता है।

 

अब आप सोच रहे होंगे कि फिर मुकेश अंबानी, रतन टाटा से इतने अमीर कैसे हुए? आज एशिया के सबसे अमीर शख्स का टाइटल मुकेश अंबानी के पास है लेकिन दूसरी तरफ पहलू ये भी है कि अगर रतन टाटा अपनी पूरी दौलत अपने हाथों में ले ले तो वो भी बन सकते हैं एशिया के सबसे अमीर इंसान। आखिर उन्होंने ऐसा किया क्यों नहीं। चलिए जानते हैं इसके बारे में...

 

तो बता दें कि मुकेश अंबानी रिलायंस में 48 प्रतिशत शेयर के मालिक हैं जब लगभग आधे शेयर्स ही उनके नाम है तो जाहिर सी बात है कि कंपनी की वैल्यू बढ़ने से आदमी की वैल्यू बढ़ती गई इसलिए सितंबर 2020 में मुकेश अंबानी का नेटवर्थ 88 बिलियन डॉलर हो गया था।

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वहीं रतन टाटा की बात करें तो वह कंपनी में 1 प्रतिशत से भी कम शेयर के मालिक है क्योंकि उनकी कंपनी का 66 प्रतिशत शेयर उनकी ही कंपनी के अलग-अलग ट्रस्ट जैसे सर रतन टाटा ट्रस्ट, सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट, टाटा एजुकेशन ट्रस्ट जैसी संस्थाओं को डोनेट किया जाता है। जो इंडिया के एजुकेशन, हैल्थ, लाइवीहुड जनरैशन आर्ट एंड कल्चर जैसे अलग सेक्टर्स में काम कर रहे हैं। टाटा जी अपने फैमिली वैल्यू को आगे बढ़ाते हुए अपनी कंपनी का टू-थर्ड हिस्सा देश वासियों के लिए दान कर रहे हैं। अगर चैरिटी वाले शेयर रतन टाटा अपने नाम कर लें तो वह सिर्फ इंडिया ही नहीं बल्कि एशिया के भी नंबर वन रिचेस्ट पर्सन होंगे।

दूसरा बड़ा कारण है जैसे खर्चे-वैसे चर्चे...

दोनों के पास घर, गाड़ी, पैसा सबकुछ है लेकिन एक के खर्चे तो दूसरे के कम होते हैं चर्चे। कहते हैं कि जो दिखता है वो ही बिकता है। जब अंबानी ने अपनी बेटी की शादी पर 110 करोड़ खर्च किए, बीवी को 1 नहीं बल्कि 3 बार अपनी 1000 हजार स्क्वेयर फीट का करोड़ों का आलीशान प्राइवेट जेट और कई लग्जरी कार गिफ्ट की है जिनके चर्चे भी खूब हुए थे। मुकेश अंबानी के पास एक स्पैशल यार्ट भी है जो सोलर ग्लास रूफ से बनाई गई है जिसकी कीमत 700 करोड़ रु. थी। उसकी तरह ही लग्जरी लाइफ जीती है नीता अंबानी। और तो और मुकेश अंबानी ने तो अपने नौकरों को भी लग्जरी लाइफस्टाइल सुविधा दे रखी है।

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वहीं दूसरी तरह रतन टाटा जी की बात करें तो वह शुरु से सिंपल लाइफस्टाइल पसंद करते रहे हैं। उनका घर काफी सिंपल और एलिगेंट है। वह कोई बड़ा खर्चा नहीं करते उन्होंने हमेशा अपने पैसों को नए स्टार्टअप में इंवेस्ट किया है ताकि उनकी कंपनी और देश दोनों आगे बढ़ें। उनका टाटा हैल्थ केयर 25 स्टेट्स और यूनियन टैरिट्री में फैल गया है। टाटा ग्रप सोशल वर्क में भी काफी आगे है। यहीं कारण है कि मुकेश अंबानी एक सिंपल सा गुलाब भी खरीद लें तो यह सुर्खियां बन जाता है जबकि सोशल वर्क में आगे रतन टाटा की समाज सेवा इतनी उजागर नहीं होती क्योंकि वह खुद काम को छुप-छुपाकर कर रहे हैं।

 

दोनों ही हस्तियों ने अपने काम और मेहनत के दम पर नाम कमाया लेकिन एक की छोटी से छोटी चीज खबर बन रही हैं और दूसरा दुनिया की नजरों से छिप-छिपाते बड़े से बड़ा काम कर रहा है तो ऐसे में अपने खर्चे का चर्चा करना वाकिह में जरूरी है क्या सच में इसी की बदौलत आपके चर्चे होते हैं। इसे लेकर आपको क्या लगता है? मुकेश अंबानी या रतन टाटा, किसका शो ऑफ ज्यादा है।

 

इन दिनों वैसे एक बार फिर रतन टाटा का नाम सुर्खियों में हैं क्योंकि एक बार फिर से सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया पर टाटा संस का मालिकाना हक हो सकता है। टाटा संस ने एयर इंडिया के लिए बोली लगाई है।  ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, टाटा ने एयरलाइन के अधिग्रहण के लिए जो प्रस्ताव दिया था, उसे स्वीकार कर लिया गया है हालांकि, सरकार की तरफ से इसकी कोई आधिकारिक घोषणा अभी नहीं की गई लेकिन 68 साल बाद एक बार फिर से एयर इंडिया की घर वापिसी हो रही है। इन दो बिजनेसमेन की स्ट्रगल स्टोरी भी आपके साथ शेयर करते हैं।

 

चलिए शुरुआत करते हैं टाटा ग्रुप की टेक्सटाइल कंपनी से जिसकी शुरुआत 21000 रु. में की गई थी जिसका नेटवर्थ आज 5 लाख करोड़ हो गया है हालांकि कपंनी को 21 हजार से 5 लाख करोड़ रु. तक ले जाने का सफर आसान नहीं था क्योंकि 1839 में जमशेदजी टाटा का स्ट्रगल 14 साल की उम्र में ही मुंबई से शुरू हो गया था। जहां से ग्रेजुएशन खत्म करते ही उन पर परिवार की जिम्मेदारियां पूरी तरह आ गई थी। बस परिवार को संभालने उन्होंने अपनी पाई-पाई जोड़ कर 21000 रु, में टैक्सटाइल का बिजनेस शुरू किया और जैसे ही वह इस काम में सफल हुए, उन्होंने नागपुर में अपनी पहली टैक्सटाइल मिल शुरू कर दी। इस बिजनेस में उन्होंने काफी प्रॉफिट हुआ।

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जब उन्हें इस बिजनेस में फायदा हुआ उन्होंने तीन ऐसे प्रॉजेक्ट शुरू करने का फैसला किया जिसका फायदा उन्होंने नहीं बल्कि पूरे देश को होने वाला था हालांकि उनका ये सपना वो खुद पूरा होते नहीं देख पाए थे लेकिन उनके बेटे दोराबजी टाटा उनके ही नक्शे-कदम पर चल रहे थे। उन्होंने आयरन, स्टील कंपनी और हाइड्रो इलैक्ट्रिक पावर को स्थापित कर पिता का सपना पूरा किया। साथ ही उन्होंने भारत में पहला इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस शुरू किया। जब उनका भी देहांत हुआ तो साल 1938 में टाटा ग्रुप की  सारी जिम्मेदारी जहांगीर रतन जी दादा बाय टाटा ने ली और उन्होंने अपनी 14 कपंनियों को चलाते हुए कंपनियों का आंकड़ा 14 से 95 कर दिया।

 

इतना ही नहीं, जेआरडी टाटा ने इंडिया की पहली एयरलाइंस टाटा एयरलाइंस की भी शुरुआत की जिसे सरकार ने जब अपने अंडर किया तो उसे एयर इंडिया का नाम दिया था। इन सब 3 पीढ़ियों के काम को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी मिली रतन नवल टाटा जी को । जिन्होंने बखूबी अपने विरासती बिजनेस को ग्लोबली फेमस कर किया। आज देश के युवा नागरिक टाटा ग्रुप के साथ काम करना चाहते हैं तभी तो आज कंपनी का नेटवर्थ 5 लाख करोड़ तक जा पहुंचा है।

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चलिए अब बात करते हैं मुकेश अंबानी की जिनकी एक गाड़ी की कीमत में एक नार्मल इंसान शानदार बंगला बना लेता है। इनकी शानदार घर एंटीलिया में 6 फ्लोर की जो शानदार पार्किंग हैं उतने एरिया की बिल्डिंग्स में मुंबई की आधी जनसंख्या रहती हैं लेकिन ऐसा शुरू से नहीं था। धीरुभाई अंबानी ने इस नाम और शोहरत को कमाने के लिए कड़ी मेहनत की। वह विदेश में नौकरी करने के लिए जब गए तो वहां उन्होंने अपनी अपनी कमाई जोड़ी और फिर मुंबई में वापिस एक चोल में रहने आ गए। जैसे-तैसे कर धीरूभाई अंबानी ने लंबे संघर्ष के बाद रिलायंस कॉमर्शियल कॉरपोरेशन शुरू किया जो मसालों और यार्न्स में ट्रेड करता था,जैसे ही उनका यह काम सेट हुआ और उन्होंने विमल नाम से कपड़ों का बिजनेस शुरू कर दिया। पहले विमल अपने ग्राहकों को लुभाने में फेल हुआ जिसके बाद उनके स्टॉक में लोगों से इंवेस्ट करवाने और स्टॉक बेचने का काम भी खुद धीरुभाई अंबानी ने किया। ये वो वक्त था जब लोगों को इंवेस्टमेंट की कोई जानकारी नहीं होती थी। इसका फायदा कंपनी और इंवेस्टर्स दोनों को हुआ। कुछ ही सालों में 70 हजार रेवन्यू साल 2002 में 75 हजार करोड़ हो गया उनके चल बसने के बाद उनके बेटों ने रिलायंस इंडस्ट्री को संभाला। मुकेश और अनिल को बिजनेस बांट दिया गया लेकिन दोनों के काम करने का तरीका एकदम अलग था जहां अनिल अंबानी ने कहा कि उनका नेटवर्थ जीरो हो गया है, वहीं  मुकेश अंबानी का नेट वर्थ 7930 करोड़ डॉलर पहुंच गया।


तो यह थी देश के दो दमदार बिजनेसमैन्स की दमदार स्टोरी। आपके फेवरेट बिजनेसमैन कौन हैं मुकेश अंबानी या रतन टाटा, कमेंट बॉक्स में जरूर लिख दें।

 

 


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Content Writer

Vandana

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