कब है शीतला अष्टमी? जानिए इस दिन क्यों लगता है माता को बासी खाने का भोग

punjabkesari.in Friday, Apr 02, 2021 - 02:12 PM (IST)

चैत्र महीने की कृष्णपक्ष की अष्टमी को शीतला अष्टमी का पावन त्योहार मनाया जाता है। इस दिन को बासौड़ा व शीतलाष्टमी भी कहते हैं। इस दिन लोग घरों में चूल्हा नहीं जलाते हैं। मान्यता है कि यह शुभ दिन ऋतु परिवर्तन का इशारा करती है। इस शुभ दिन पर खासतौर पर लोग शीतला माता को बासी खाने का भोग लगाते हैं। साथ ही खुद भी इसे प्रसाद के तौर पर ग्रहण करते हैं। तो चलिए जानते हैं शीतला अष्टमी का शुभ मुहूर्त व पूजा विधि...

शीतला अष्टमी 2021 शुभ मुहूर्त

अष्टमी तिथि आरंभ- 4 अप्रैल 2021, दिन रविवार- सुबह 04:12 बजे

अष्टमी तिथि समाप्त- 5 अप्रैल 2021, दिन सोमवार- देर रात 02:59 बजे तक 

पूजा मुहूर्त- 4 अप्रैल 2021, दिन रविवार- सुबह 06:08 से शाम 06:41 तक

समय अवधि- 12 घंटे 33 मिनट

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इस दिन का महत्व 

इस दिन से गर्मियों की शुरुआत हो जाती है। शीतला माता का रूप शीतलता देता है। इसी लिए इस दिन खासतौर पर देवी मां को बासी खाने का भोग लगता है। ऐसे में इसके व्रत रखने का मतलब है कि इसके बाद गर्मी शुुरु हो जाएगी। ऐसे में इसके बाद बासी भोजन खाने को मना किया जाता है। इसके साथ ही गर्मी में घर व खुद की सफाई का विशेष महत्व है। ताकि खसरा, चेचक आदि बीमारियों से सुरक्षित रहा जा सके। 

माता को भोग लगाएं मीठे चावल 

मान्यता है कि इस दिन पर देवी मां को खासतौर पर मीठे पर चावल का भोग लगाया जाता है। इसे गुड़ या गन्ने रस से तैयार किया जाता है। इसे भी सप्तमी की रात को तैयार किया जाता है। माता को भोग लगाने के बाद इसे प्रसाद के तौर पर सभी को बांटा जाता है। 

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ऐसे करें शीतला अष्टमी पर पूजा-

1. सुबह जल्दी उठकर नहाएं व साफ कपड़े पहने लें। 
2. अब पूजा की थाली में पुआ, दही, रोटी, बाजरा, मीठे चावल, मठरी व नमक पारे रख दें। 
3. अलग थाली में आटे का दीपक, रोली, चावल, हल्दी, मोली, वस्त्र, होली वाली बड़कुले की माला, कुछ सिक्के व मेहंदी रखें।
4. अब दोनों थाली में एक-एक लोटा ठंडा जल भर कर रखें। 
5. शीतला माता के आगे दीपक जलाकर पूजा करें। 
6. देवी को सभी चीजें अर्पित करें। साथ ही खुद और परिवार के सभी सदस्यों को हल्दी का टीका करें।
7. हाथों को जोड़ कर देवी मां से प्रार्थना करते हुए कहे 'हे माता, मान लेना और शीली ठंडी रहना'। 
8. घर की पूजा खत्म होेन के बाद देवी मां के मंदिर में भी पूजा करें। 
9. मंदिर में सबसे पहले देवी मां को जल अर्पित करके हल्दी व रोली का टीका लगाएं। 
10. फिर वस्त्र, मौली, मेहंदी व बड़कुले की माला चढ़ाएं। 
11. उसके बाद आटे का दीपक जलाएं। 
12. फिर दोबारा जल अर्पित करके उसमें से थोड़ा जल रख लें। उस जल को खुद और परिवार के सभी सदस्यों की आंखोें पर लगाकर घर के सभी हिस्सों व कोनों में जल छिड़काएं। 
13. फिर होलिका जगह वाली जगह पर थोड़ा जल अर्पित करके पूजा की सामग्री चढ़ा दें। 
14. घर लौट कर पानी रखने वाले स्थान पर पूजा करें। साथ ही बची हुए सामग्री को गाय का किसी ब्राह्मण को दे दें। 
 


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neetu

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