Chhath Puja: 8 नवंबर से शुरु छठ का महापर्व, जान लें पूजन सामग्री और विधि
punjabkesari.in Sunday, Nov 07, 2021 - 11:24 AM (IST)
हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी यानि छठी तिथि से छठ पूजा व व्रत की शुरुआत की जाती है। इस व्रत को खासतौर पर उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में रखा जाता है। इस दौरान इन जगहों पर खूब रौनक देखने को मिलती है। पूरे 4 दिनों तक चलने वाले इस पर्व को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस व्रत को महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र व घर की सुख-शांति के लिए रखती है। इस दौरान महिलाएं पूरे 36 घंटे तक व्रत रखती है। मान्यता है कि इस दौरान महिलाएं बिना कुछ खाएं-पिएं रहती है। व्रत दौरान छठी मईया और भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। छठी मईया को सूर्य देव की मानस बहन माना जाता है। चलिए आज हम आपको इस पर्व की पूजा लिस्ट और विधि बताते हैं...
छठ पूजा सामग्री लिस्ट
पूजा का प्रसाद रखने के लिए बांस की 2-3 टोकरियां, बांस या पीतल के तीन सूप, लोटा, थाली, दूध और जल के लिए गिलास, नए वस्त्र, चावल, लाल सिंदूर, धूप, बड़ा दीपक, पानी वाला नारियल, पत्ता लगा गन्ना, सुथनी, शकरकंदी, हल्दी और अदरक का पौधा, नाशपाती, बड़ा वाला मीठा नींबू, जिसे टाब भी कहा जाता है। एक डिब्बी शहद, पान और साबुत सुपारी, कैराव, कपूर, कुमकुम, चन्दन, मिठाई आदि।
नहाय- खाय
छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय की जाती है। इस साल यह पर्व 08 नवंबर 2021, दिन सोमवार को शुरु हो रहा है। इस दिन पूरे घर की अच्छे से सफाई की जाती है। फिर स्नान के बाद महिलाएं व्रत का संकल्प लेती है। इस दिन प्रसाद के रूप में चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल खाया जाता है। इसके अगले दिन यानि खरना से व्रत की शुरुआत की जाती है।
खरना
09 नवंबर को खरना मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। शाम के समय मिट्टी के चूल्हे पर प्रसाद स्वरूप गुड़ की खीर बनाने का परंपरा है। उसके बाद भगवान सूर्य देव की पूजा करने के बाद यह खीर का प्रसाद खाया जाता है।
खरना के अगले दिन सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व
खरना के अगले दिन की शाम को सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। इस साल यह शुभ तिथि 10 नवंबर को पड़ रही है। इसके लिए महिलाएं शाम के वक्त किसी नदी या तालाब में खड़ी होकर सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं।
छठ पर्व की समापन विधि
इस बार 11 नवंबर को छठ पूजा की समाप्ति होगी। इस दौरान महिलाएं सूर्योदय से पहले ही नदी या तालाब के पानी में चली जाती है। वे भगवान सूर्यदेव से अपने घर-परिवार की सुख-शांति के लिए प्रार्थना करती है। उसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। पूजा के समाप्त होने के बाद छठ पूजा व्रत का पारणा किया जाता है।