केरल में दिमाग खाने वाले कीड़े से 18 लोगों की मौत, जानिए इस खतरनाक बीमारी के लक्षण
punjabkesari.in Tuesday, Sep 16, 2025 - 12:38 PM (IST)

नारी डेस्क : केरल में इन दिनों एक खतरनाक बीमारी ने दहशत फैला दी है। इस बीमारी का नाम है अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस (PAM), जिसे लोग आम भाषा में दिमाग खाने वाला कीड़ा भी कह रहे हैं। बता दें की केरल स्वास्थ्य विभाग के अनुसार अब तक 67 लोग इस संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं और 18 लोगों की मौत हो चुकी है। हालात को देखते हुए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) ने पूरे मामले की निगरानी तेज कर दी है। दिल्ली-एनसीआर के मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों को भी सतर्क रहने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
क्या है यह बीमारी?
अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस (Primary Amoebic Meningoencephalitis) एक बेहद दुर्लभ लेकिन जानलेवा बीमारी है। यह संक्रमण नेगलेरिया फाउलेरी (Naegleria fowleri) नामक अमीबा से होता है, जो अक्सर गर्म, गंदे या रुके हुए पानी में पाया जाता है। यह अमीबा नाक के जरिए शरीर में प्रवेश कर सीधा मस्तिष्क तक पहुंच जाता है और वहां गंभीर सूजन पैदा कर देता है। यह बीमारी इतनी तेजी से बढ़ती है कि अगर इलाज न मिले तो 4 से 18 दिन के भीतर मौत हो सकती है। डॉक्टरों का कहना है कि इसका डेथ रेट 98% तक है, जो इसे कोरोना जैसी खतरनाक बीमारियों से भी ज्यादा घातक बनाता है।
केरल में बढ़ते मामले
केरल में इस बीमारी के ज्यादातर मामले तिरुवनंतपुरम इलाके से सामने आए हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि कई लोग स्विमिंग पूल और गर्म पानी के स्रोतों में नहाने के बाद संक्रमित पाए गए हैं। स्थिति को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने पानी के सैंपल जांच के लिए भेजे हैं और एहतियात के तौर पर कई स्विमिंग पूल फिलहाल बंद कर दिए गए हैं।
दिमाग खाने वाले कीड़े के लक्षण
डॉक्टरों का कहना है कि यह बीमारी बहुत तेजी से बढ़ती है, इसलिए शुरुआती लक्षण पहचानना बेहद जरूरी है। अगर किसी को तेज और असहनीय सरदर्द, तेज बुखार के साथ उल्टी-मतली, गर्दन में अकड़न, भ्रम या मानसिक उलझन, या दौरे (सीजर्स) पड़ने जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। समय पर इलाज ही इस जानलेवा बीमारी से बचने का एकमात्र तरीका है।
संक्रमण से बचाव कैसे करें
यह बीमारी छूने से नहीं फैलती, लेकिन पानी के जरिए फैलने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। इसलिए विशेषज्ञों ने लोगों को खासतौर पर इस मौसम में सतर्क रहने की सलाह दी है। नदी, तालाब, झील या गंदे पानी में तैरने से बचें और यदि स्विमिंग करना जरूरी हो तो केवल साफ और क्लोरीन युक्त पानी वाले पूल का ही इस्तेमाल करें। जहां बारिश या बाढ़ का पानी जमा हो, वहां बच्चों को खेलने या नहाने न दें और नाक में पानी जाने से बचें, खासकर डुबकी लगाते समय। 10 से 18 साल के बच्चों में इस संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है, इसलिए उन्हें ऐसे पानी में जाने से रोकना बहुत जरूरी है।
डॉक्टरों का कहना है कि यह बीमारी दुर्लभ है, लेकिन जानलेवा है। शुरुआती पहचान और तुरंत इलाज ही जीवन बचा सकता है। इसलिए अगर किसी को ऊपर बताए गए लक्षण दिखाई दें, तो देर न करें और नजदीकी अस्पताल में तुरंत जांच कराएं।