भूलकर भी काशी से गंगाजल ना लाएं घर, वरना लगेगा भयानक पाप !
punjabkesari.in Friday, Jan 31, 2025 - 06:34 PM (IST)
नारी डेस्क: शिव की नगरी काशी (वाराणसी) में देश-दुनिया से लाखों लोग गंगा में स्नान कर भगवान विश्वनाथ के दर्शन करने आते हैं। इतनी पवित्र स्थान होने के चलते यहां के गंगाजल को घर ले जाने की मनाही है। काशी का गंगाजल पवित्र होने के बावजूद मोक्ष, तर्पण और आत्मा की शांति से जुड़ा होता है, इसलिए इसे घर लाने की परंपरा नहीं है। यह केवल धार्मिक कार्यों में उपयोग किया जाता है, न कि रोजमर्रा की पूजा-पाठ में। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
काशी में गंगा का प्रवाह उल्टा होता है
वाराणसी में गंगा नदी दक्षिण से उत्तर की ओर बहती है, जबकि सामान्यतः गंगा पश्चिम से पूर्व की ओर बहती है। इसे "उल्टी गंगा" कहा जाता है, जो एक रहस्यमयी और आध्यात्मिक घटना मानी जाती है। मान्यता है कि यह प्रवाह मृत्यु और मोक्ष से जुड़ा हुआ है, इसलिए इसका जल मुख्य रूप से तर्पण, श्राद्ध और अंतिम संस्कार जैसे कार्यों में उपयोग किया जाता है। अगर आप यहां से गंगाजल लेकर आते हैं, तो आपको महापाप लग सकता है, क्योंकि उस पानी में मृतक आत्मा के अंग, राख या अवशेष आ जाते हैं तो मृतक का मृत्यु और पुनर्जन्म का चक्र बाधित होगा। इस वजह से आत्मा को पूरी तरह से मोक्ष नहीं मिल पाता है।
काशी को कहा जाता है मोक्षभूमि
काशी को मोक्षभूमि कहा जाता है, यानी यहां पर गंगा स्नान और मृत्यु के बाद मुक्ति प्राप्त होती है। ऐसा माना जाता है कि इस स्थान का जल मुख्य रूप से अंतिम संस्कार और पितरों की शांति के लिए उपयुक्त है, न कि घर में रखने के लिए। कई लोग इस जल का उपयोग श्राद्ध कर्म और तर्पण के लिए करते हैं, इसलिए इसे घर लाना शुभ नहीं माना जाता।
जल में श्मशान की ऊर्जा होने की मान्यता
काशी में गंगा किनारे मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट हैं, जहां दिन-रात अंतिम संस्कार होते रहते हैं। मान्यता है कि काशी का गंगाजल इन घाटों से भी प्रवाहित होता है और इसमें उन आत्माओं की ऊर्जा होती है जो मोक्ष प्राप्त करने की प्रक्रिया में होती हैं। इसे घर लाने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव पड़ सकता है और परिवार में अशांति आ सकती है।
केवल पूजा-पाठ में उपयोग होता है यहां का जल
यदि कोई काशी का गंगाजल लेकर आता भी है, तो इसे घर के मंदिर या पूजा स्थान में ही रखा जाता है। इसे सामान्य गंगाजल की तरह प्रयोग नहीं किया जाता और न ही इसे पिया जाता है।आमतौर पर हरिद्वार या गंगोत्री का गंगाजल घर लाने की परंपरा है, लेकिन काशी का गंगाजल विशिष्ट कर्मों के लिए ही प्रयुक्त होता है। काशी के गंगाजल को घर में रखने से पहले किसी ज्ञानी पुरोहित से सलाह लें।