इन 8 चीजों के बिना अधूरा Karwa Chauth व्रत, महिलाएं ना करें नजरअंदाज

punjabkesari.in Monday, Oct 18, 2021 - 12:57 PM (IST)

कुंवारी लड़कियों और सुहागिन महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत बहुत मायने रखता है। इस व्रत को कुंवारी लड़कियां अच्छा व मनचाहा वर पाने के लिए रखती है। वहीं सुहागिन महिलाओं द्वारा यह व्रत रखने से उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस व्रत को निर्जला व निराहार रखा जाता है यानि इस दौरान कुछ भी खाया-पिया नहीं जाता है। मगर करवा चौथ का उपवास करने में कुछ नियमों व रिवाजों का पालन करना जरूरी होता है। इनके बिना व्रत अधूरा माना जाता है। चलिए जानते हैं उन नियमों व रिवाजों के बारे में...

सास द्वारा बहू को सरगी देना

करवा चौथ व्रत की शुरुआत सास द्वारा बहू को सरगी देकर की जाती है। इसके बिना व्रत पूरा नहीं माना जाता है। अगर आपकी सास नहीं हैं या वो किसी वजह से आपको सरगी का उपहार नहीं दे सकती है तो आप घर की किसी अन्य बुजुर्ग महिला से सरगी ले सकती हैं।

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निर्जला व निराहार व्रत रखने का विधान

व्रत दौरान पानी पीने व कुछ भी खाने की मनाही होती है। मगर गर्भवती, बीमार व स्तनपान कराने वाली महिलाएं दूध, चाय, जल, जूस आदि का सेवन कर सकती है। इसके अलावा कुछ जगहों पर महिलाएं करवा चौथ की पूजा करने व कथा सुनने के बाद भी दूध, चाय, जूस आदि पी लेती है।

शिव और गौरी की पूजा करने का महत्व

करवा चौथ व्रत में सुबह प्रथम पूजनीय गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने का महत्व है। इससे अखंड सौभाग्य, यश एवं कीर्ति का आशीर्वाद मिलता है। इसलिए आप पूजा जरूर करें। पूजा न करने से व्रत अधूरा माना जाता है।

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शिव-गौरी की मिट्टी की मूर्ति बनाकर पूजा करें

व्रत की पूजा के लिए शुद्ध पीली मिट्टी से शिव, पार्वती एवं गणेश जी की मूर्ति बनाएं। फिर चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मूर्तियां स्थापित करें। माता पार्वती को सिंदूर, बिंदी, चुन्नी आदि श्रृंगार का सामान, भगवान शिव को चंदन, पुष्प, वस्त्र आदि अर्पित करें। अगले दिन करवा चौथ की पूजा संपन्न होने पर घी से मिठाई बनाकर भोग लगाकर मूर्तियों को विसर्जित करें। हालांकि आजकल बाजार से बनी-बनाई मूर्तियां आसानी से मिल जाती है। इसलिए आप चाहे तो इसे ही खरीद सकती है।

करवा चौथ की कथा सुनें

शाम के वक्त महिलाएं व कुंवारी लड़कियां मंदिर या घर में इक्ट्ठा होकर व्रत की कथा सुनें। इसे सुने बिना व्रत अधूरा माना जाता है। आप ऑनलाइन भी कथा सुन सकती है।

थाली फेरना

करवा चौथ की कथा सुनने के बाद महिलाओं द्वारा सात बार थालियां फेरने का विधान है। इसलिए आप भी ऐसा जरूर करें। फिर पूजा के बाद सास व अपने से बड़ी महिलाओं के पैर छूकर आशीर्वाद लें। उन्हें भेंट स्वरूप बायना दें। मगर सिर्फ महिलाओं द्वारा ही थाली फेरने का रिवाज अपनाया जाता है कुंवारी लड़कियों द्वारा नहीं।

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करवे और लोटे को सात बार फेरना

करवा चौथ  के व्रत दौरान कई सारे नियमों व रिवाजों को अपनाया जाता है। इनमें से एक करवा व लोटा फेरना भी है। व्रत कथा होने के साथ महिलाओं द्वारा थाली फेरने से घर में सभी रिश्तों में मजबूती आती है।

ऐसे खोले व्रत

करवा चौथ का व्रत रात को चांद देखकर खोला जाता है। इस दौरान महिलाएं छलनी में दीपक रखकर चांद को देखती है। उसके बाद इससे पति को देखा जाता है। फिर पति अपनी पत्नि को पानी पिलाकर व मिठाई खिलाकर उनका व्रत खोलता है। अगर आपका पार्टनर विदेश या किसी काम के सिलसिले में आपसे दूर है तो आप उनकी फोटो देखकर खुद ही व्रत खोल सकती हैं। आप वीडियो कॉलिंग भी कर सकती है। अगर आप कुंवारी है तो तारा देखकर व्रत खोल लें।

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neetu

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