वो महिला जिसने की थी कोरोना वायरस की खोज, जो आज दुनियाभर में मचा रहा कोहराम
punjabkesari.in Saturday, Jan 02, 2021 - 12:55 PM (IST)
जहां एक तरफ नए साल की शुरूआत हो चुकी है लोगों में कोरोना के नए स्ट्रेन को लेकर चिंता बनी हुई है। ब्रिटेन के बाद धीरे-धीरे इस नए स्ट्रेन ने बाकी देशों में अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं। साल 2020 में दुनियाभर में कोहराम मचाने वाला कोरोना वायरस अबतक कई लोगों की जानें ले चुका है। वैसे तो इस वायरस को बीते साल हो चुका है और लोगों को यही मानना है कि चीन से इस वायरस की शुरूआत हुई थी। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताएंगे जिसने पहली बार को इंसानों में कोरोना वायरस की खोज की थी। तो चलिए जानते हैं उस महिला के बारे में...
16 साल की उम्र में छोड़ा स्कूल
जून अलमेडा नाम की महिला का जन्म साल 1930 में स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर की एक बस्ती में साधारण परिवार में हुआ था। जून अलमेडा के पिता एक बस ड्राइवर थे। 16 साल की उम्र में अलमेडा ने ही स्कूल छोड़ दिया था लेकिन इसके बाद भी वह वायरोलॉजिस्ट बन गई।
तकनीशियन के रूप में की नौकरी
दरअसल, स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर की एक लैब में जून ने तकनीशियन के रूप में नौकरी की थी। वहां कुछ देर नौकरी करने के बाद वह लंदन चली गई। जहां उन्होंने साल 1954 में वेनेजुएला के कलाकार एनरीके अलमेडा से शादी कर ली थी।
कैंसर रोगियों के खून में की थी वायरस की पहचान
इसके बाद साल 1954 में ही अलमेडा को इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी तकनीशियन के रूप में ओंटारियो कैंसर इंस्टीट्यूट में नौकरी मिली। इस इंस्टीट्यूट में उन्होंने 10 साल तक नौकरी की थी। आपको बता दें अलमेडा ने कैंसर रोगियों के खून में वायरस जैसे कणों की पहचान भी की थी।
सर्दी-जुकाम के वायरस नजर आया अलग वायरस
जिसके बाद डॉ. डेविड टायरेल के साथ जून अलमेडा ने एक रिसर्च पर काम किया। उस समय डेविड टायरेल सामान्य सर्दी-जुकाम पर रिसर्च कर रहे थे। एक वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक जुकाम के समय नाक से बहने वाले तरल पदार्थ के नमूनों को डॉ. टायरेल ने इकट्ठा किया। जिनमें वैसे तो इकट्ठे किए सभी नमूनों में सामान्य सर्दी-जुकाम के वायरस नजर आए लेकिन एक वायरस उनमें से अलग था।
इस तरह हुई कोरोना वायरस की खोज
जिसे जांच के लिए डॉ. डेविड टायरेल ने जून अलमेडा के पास भेजा। जिसकी जांच कर जून अलमेडा ने बताया कि ये वायरस किसी इनफ्लूएंजा की तरह दिखाई देता है। मगर उससे कुछ अलग है। अब उसी वायरस को आज दुनियाभर में कोरोना वायरस के नाम से जाना जाता है।