ऑक्सफोर्ड से ग्रेजुएट हुई जूही ने बयां किया दर्द, बोली- 'मेरे नाना को क्लासरुम...'

punjabkesari.in Monday, Sep 12, 2022 - 10:53 AM (IST)

इंटरनेट के जरिए कई लोगों अपनी जिंदगी के कुछ अनसुने किस्से शेयर करते हैं। ऐसा ही एक किस्सा इन दिनों इंटरनेट पर खूब वायरल हो रहा है। यह किस्सा एक ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सटी से ग्रेजुएट हुई जूही का है, जिसने इंटरनेट पर हर किसी व्यक्ति का ध्यान केंद्रित किया है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सटी से कंपेरेटिव सोशल पॉलिटिक्स में मास्टर्स डिग्री हासिल करने वाली जूही कोर ने लिंक्डिन का एक पोस्ट शेयर किया है। दिल को छू लेने वाली इस पोस्ट में जूही ने मास्टर्स के दौरान उनके नाना के द्वारा किए गए संघर्षों को बताया है। इसके साथ ही जूही ने यह भी बताया कि उनके साथ जाति के आधार पर भेदभाव हुई है। 

लिंक्डिन पोस्ट से शेयर किया दर्द 

अपनी मास्टर्स की डिग्री का सारा श्रेय जूही ने अपने नाना जी को दिया है। साथ ही अपनी पोस्ट में उनके साथ हुई जातीय भेदभाव का जिक्र भी किया है। जूही ने लिंक्डिन की पोस्ट में लिखा कि - '1947 में भारत आजाद हुआ था। आजादी के पहले सभी नागरिकों को अपनी जिंदगी जीने का कोई अधिकार नहीं था। उन्हीं में से एक स्कूली बच्चा था, वो बच्चा छोटी जाति के परिवार से महाराष्ट्र के एक गांव का रहने वाला था। उस बच्चे की स्कूल जाने की उम्र थी। लेकिन उसका परिवार नहीं चाहता था कि वो पढ़ने के लिए आगे जाए। उसकी दो प्रमुख वजहें थी। पहला वह अपने मां-बाप के चार बच्चों में सबसे बड़ा था, परिवार को उसकी सबसे ज्यादा जरुरत थी ताकि वह खेतों में जाकर काम कर सके। दूसरा कारण यह भी था कि उसके माता-पिता इस बात से डरते थे कि उसके साथ स्कूल में बाकी बच्चे और अध्यापक कैसा व्यवहार करेंगे क्योंकि वह एक पिछड़ी जाति से था। उस बच्चे ने अपने माता-पिता के सामने यह प्रस्ताव रखा कि वह खेतों में जाकर सुबह 3 बजे कारम करेगा और उसके बाद वह स्कूल जाया करेगा। दुर्भाग्य से उसके परिजनों का दूसरा डर भी सही साबित हुआ, लगभग डेढ़  किलोमीटर तक चलने के बाद जब वह बच्चा स्कूल में पहुंचा तो  उसके पास न तो अच्छी चप्पलें थी और न ही कपड़े, जिसके कारण उसे क्लास में भी नहीं बैठने दिया।' 

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बच्चे ने नहीं मानी हार 

जूही ने आगे लिखा कि - 'उस बच्चे  से हार नहीं मानी, क्योंकि वह जिस खेत में काम करता था उसका मालिक पैसों की जगह उसे खाना देता था, जिसके कारण उसे पढ़ने के लिए अपनी ही जाति के छात्रों से किताबें उधार लेनी पड़ी। रात में पढ़ने के लिए गांव में लगी लैंप के नीचे बैठकर पढ़ना पड़ा। ऊंची जाति के बच्चे बदमाशी,अध्यापकों के द्वारा भेदभाव और क्लासरुम में न बैठने देने के बाद भी उस बच्चे ने दृढ़निश्चय के दम पर सिर्फ परीक्षा ही नहीं पास कि बल्कि बाकी सभी छात्रों को भी पीछे छोड़ दिया। इस लड़के ने सरकारी ऑफिस में सफाई करते हुए अंग्रेजी सीखी और लॉ ग्रेजेएशन से डिग्री भी हासिल की। इस दौरान उनके प्रिंसपल ने भी आर्थिक तौर पर उनकी काफी मदद की। जिस ऑफिस में बच्चा सफाई का काम करता था, वहां से वह एक सरकारी अधिकारी के पद से रिटायर हुआ और 60 साल की उम्र में उसने मास्टर्स की डिग्री हासिल की । मुझे इस बच्चे पर बहुत ही गर्व है क्योंकि यह बच्चा कोई और नहीं मेरे नाना थे। जिन्होंने मेरे अंदर शिक्षा के महत्व और भाव को डाला था। मैं गर्व से इस बात का ऐलान करती हूं कि मैंने ऑक्सफोर्ड से मास्टर्स की डिग्री हासिल की है।' 

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खुशी के मौके पर दी नाना की श्रद्धांजलि

जूही ने अपनी इस पोस्ट में जाति के नाम पर भेदभाव को भी उजागर किया है। ऑक्सफोर्ड से मास्टर  डिग्री हासिल करते हुए जूही ने कहा कि उनके नाना आज इस मौके पर उनके साथ नहीं है लेकिन उनका सपना था कि जब भी मैं कनवोकेशन पर जाऊं तो वो भी मेरे साथ हों। जूही ने एक इंटरव्यू में बताया कि वह नाना की मौत के बाद टूट गई थी और लिंक्डिन के इस पोस्ट के जरिए वह इस खुशी के मौके पर उन्हें श्रद्धांजलि देना चाहती हैं। 

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palak

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