जिम्मेदार नागरिक बनें, प्रदूषण कम करें! वायु ही नहीं Noise Pollution को रोकना भी है बेहद जरूरी

punjabkesari.in Saturday, Oct 12, 2024 - 12:04 PM (IST)

नारी डेस्क: जब भी त्यौहार आते हैं तो हमारा ध्यान सिर्फ प्रदूषित वायु तरफ ही जाता है, लेकिन इस दौरान  होने वाला Noise Pollution (ध्वनि प्रदूषण) भी एक एक गंभीर समस्या है, जो हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। विशेष रूप से दिवाली, दशहरा, गणेश उत्सव, और अन्य बड़े त्योहारों के दौरान पटाखों, लाउडस्पीकरों, डीजे और वाहनों की तेज आवाज़ें ध्वनि प्रदूषण का कारण बनती हैं। यह समस्या हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल सकती है, खासकर बुजुर्गों, बच्चों, और बीमार लोगों के लिए।

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ध्वनि प्रदूषण से होने वाले नुकसान

सुनने की क्षमता पर प्रभाव: लगातार तेज आवाज़ सुनने से कानों की सुनने की क्षमता कम हो सकती है। लंबे समय तक तेज ध्वनि के संपर्क में रहने से बहरापन भी हो सकता है।
   
मानसिक तनाव और चिड़चिड़ापन: ध्वनि प्रदूषण मानसिक तनाव और चिड़चिड़ेपन का कारण बन सकता है। तेज आवाजें मस्तिष्क में अस्थिरता पैदा करती हैं, जिससे व्यक्ति तनाव में आ जाता है और उसे नींद न आने की समस्या हो सकती है।
   
हृदय रोग का खतरा: अत्यधिक ध्वनि प्रदूषण से हृदय रोगों का खतरा बढ़ता है। तेज आवाज़ें हृदय की धड़कन को असंतुलित कर सकती हैं, जिससे रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) बढ़ सकता है और दिल की बीमारियों का खतरा हो सकता है।
   
नींद में खलल: त्योहारों में देर रात तक पटाखे और तेज़ संगीत नींद में बाधा डाल सकते हैं, जिससे लोगों को अनिद्रा (Insomnia) की समस्या हो सकती है। नींद की कमी से थकान और मानसिक कमजोरी बढ़ सकती है।

बच्चों और बुजुर्गों पर प्रभाव: बच्चों और बुजुर्गों के लिए तेज़ ध्वनि विशेष रूप से हानिकारक होती है। बच्चों की मानसिक विकास पर इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है, और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर इसका विपरीत प्रभाव हो सकता है।

जंगली जीवों पर प्रभाव:  ध्वनि प्रदूषण सिर्फ इंसानों को ही नहीं, बल्कि जंगली जीवों को भी प्रभावित करता है। तेज़ आवाज़ों से पक्षी और अन्य वन्यजीव भयभीत हो जाते हैं और उनका प्राकृतिक जीवनचक्र प्रभावित होता है।

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ध्वनि प्रदूषण से बचने के तरीके

पटाखों का कम उपयोग: त्योहारों के दौरान पटाखों का इस्तेमाल कम करें। इसके बजाय ईको-फ्रेंडली और कम ध्वनि वाले पटाखों का उपयोग करें। बेहतर होगा कि आप पटाखों के बजाय रोशनी और अन्य पारंपरिक तरीकों से त्योहार मनाएं।

लाउडस्पीकरों और डीजे की आवाज़ कम करें: त्योहारों में लाउडस्पीकर और डीजे का इस्तेमाल सीमित करें और आवाज़ को नियंत्रित रखें। सरकारी नियमों के अनुसार निर्धारित ध्वनि सीमा का पालन करें।

ध्वनि अवरोधक उपकरण (Noise-canceling devices): जो लोग ध्वनि प्रदूषण के बीच रहते हैं, वे घर या कार्यालय में ध्वनि अवरोधक उपकरण (जैसे ईयरप्लग्स या नॉइज़ कैंसलिंग हेडफोन्स) का उपयोग कर सकते हैं ताकि तेज़ आवाज़ों से बचा जा सके।

साइलेंट जोन का पालन करें: अस्पताल, स्कूल, और बुजुर्गों के निवास स्थानों के आसपास साइलेंट जोन बनाए रखें। इन क्षेत्रों में लाउडस्पीकर, पटाखे, और अन्य तेज आवाज़ वाले उपकरणों का उपयोग न करें।

जनजागरूकता अभियान: ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ जनजागरूकता अभियान चलाएं और लोगों को इसके खतरों के बारे में शिक्षित करें। अधिक से अधिक लोगों को ध्वनि प्रदूषण से होने वाले नुकसान के बारे में जागरूक करें।

सरकारी नियमों का पालन करें:    - विभिन्न शहरों में सरकार द्वारा ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए नियम बनाए गए हैं। सुनिश्चित करें कि आप इन नियमों का पालन करें और अवैध रूप से तेज आवाज़ पैदा करने वाले उपकरणों का उपयोग न करें।

वातावरण को शांत और प्राकृतिक रखें: घर में पेड़-पौधे लगाएं और वातावरण को शांत और प्राकृतिक बनाए रखें। पेड़ ध्वनि प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं और पर्यावरण को भी स्वच्छ बनाते हैं।

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जिम्मेदार नागरिक बनें 

त्योहारों में खुशियों का आनंद लेना हमारी संस्कृति का हिस्सा है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम अपने और दूसरों के स्वास्थ्य को खतरे में डालें। ध्वनि प्रदूषण से बचने के लिए जिम्मेदार नागरिक बनें और इन सरल उपायों का पालन करें। इससे हम त्योहारों का आनंद शांति और स्वस्थ वातावरण में ले सकते हैं।


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Content Writer

vasudha

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