आपके Periods नॉर्मल है या एबनॉर्मल? पढ़िए इससे जुड़ी एक-एक जानकारी
punjabkesari.in Saturday, Oct 10, 2020 - 08:12 PM (IST)
पीरियड्स, यह प्रक्रिया सिर्फ प्रजनन ही नहीं बल्कि महिला के स्वास्थ के बारे में भी बहुत कुछ बताती है इसलिए हर महिला को अपने पीरियड को समझना बेहद जरूरी है। भारत में बहुत सी महिलाएं पीरियड प्रॉब्लम से जूझती हैं, इन दिनों खुद की साफ सफाई नहीं रखती। इन बातों की अनदेखी के चलते वह कई तरह के रोगों से घिर जाती हैं। चलिए आपको पीरियड्स है क्या इस बारे में बताते हैं लेकिन उससे पहले बताते हैं कि पीरियड्स में इंफेक्शन से कैसे बचना है।
- सही सैनेटरी पैड चुनें
- 6 घंटे के भीतर बदले पैड
- इन्टिमेट साफ-सफाई का रखें ख्याल
- कॉटन इनरवियर पहनें
- गंदे कपड़े का इस्तेमाल ना करें
- पीरियड अनियमित है तो डॉक्टरी जांच करवाएं
अब समझिए पीरियड है क्या?
महिलाओं के अंडाशय से हर महीने एक अंडा निकलता है जिसे ओव्यूलेशन प्रोसेस कहते हैं। इसी दौरान उसके शरीर में कई तरह के हार्मोंन्स भी बदलते हैं और उसका गर्भाश्य प्रेगनेंसी के लिए तैयार हो जाता है लेकिन जब ओव्यूलेशन में अंडा फर्टिलाइज नहीं होता तो गर्भाशय की परत रक्त के रूप में योनि से बहकर बाहर निकलने लगती है और इसी प्रोसेस को पीरियड या मासिक धर्म कहते हैं।
कैसे पहचानें आपके पीरियड्स सामान्य हैं?
आमतौर पर प्रत्येक 21 से 35 दिनों बाद महिला को पीरियड होता है जो 2 से 7 दिन तक रहता है। इसे सामान्य पीरियड कहा जाता है। शुरु शुरु के कुछ सालों में यह मेंस्ट्रुअल साइकल लंबा होता है लेकिन जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है यह नियमित होने लगता है। ब्लड फ्लो दिनों के हिसाब कम और ज्यादा हो सकता है लेकिन अगर यह सिर्फ 1 दिन ना के बराबर ब्लीडिंग के हो या फिर समय पर ना आते हो तो इसे असामान्य माना जाएगा।
अब जानिए ऐसा होने के कारण
माहवारी के दौरान पेट के निचले हिस्से में दर्द, मूड का बदलना और खूने के थक्के बनने पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है।
समय पर पीरियड्स ना आने के कारण
स्तनपान कराना, ज्यादा वजन होना या घटाना, बहुत ज्यादा एक्सरसाइज करने, अच्छी डाइट ना लेने पर, थायराइड, पीसीओडी, पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज, बर्थ कंट्रोल पिल्स और यूट्रेरिन फाइब्रॉयड यानि बच्चेदानी में छोटे-छोटे सिस्ट हो सकते हैं।
खून के थक्के यानि ब्लड क्लॉटिंग?
ब्लीडिंग के दौरान जब गाढ़े थक्के बनना एक सामान्य प्रक्रिया है लेकिन अगर ऐसा लगातार हो तो इग्नोर ना करें। दरअसल, ब्लड क्लॉटिंग एक जटिल रासायनिक प्रक्रिया है, जिसके कारण खून ज्यादा देर नहीं बहता। अगर खून के थक्के नहीं जमेंगे तो आपका ब्लड लगातार बहता ही रहेगा। लेकिन लगातार ऐसा होने का कारण फाइब्राइड भी हो सकते हैं। लगभग 70% महिलाए फाइब्राइड (Fibroids) की समस्या से ग्रस्त हैं। जिससे क्लॉटिंग होना शुरु हो जाता है।
इन दिनों क्या करें क्या नहीं?
- हेल्दी और ताजा खाना खाएं
- स्पासी और ऑयली चीजें ना खाएं
- ठंडा पानी की जगह गुनगुना पानी पीएं
- पेट दर्द में गर्म पानी की सिंकाई करें
- भारी काम करने से करें परहेज
-गर्भनिरोधक गोलियां का सेवन कम करें।
-योग एक्सरसाइज जरूर करें। अच्छी डाइट लें पानी का भरपूर सेवन करें।