प्राइवेट पार्ट की वैक्सिंग कम उम्र में करना सही या गलत? जान लें Gyne की राय

punjabkesari.in Monday, Oct 27, 2025 - 05:23 PM (IST)

नारी डेस्क: किशोरावस्था में शरीर में बदलाव आना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, लेकिन इन बदलावों के साथ आने वाले शारीरिक बालों (जैसे प्राइवेट पार्ट के बाल) को लेकर युवा लड़कियों के मन में कई तरह के सवाल और असुरक्षा उत्पन्न हो जाती है। सोशल मीडिया और समाज के दबाव में आकर कई लड़कियां कम उम्र में ही वैक्सिंग कराने का विचार बना लेती हैं, लेकिन क्या यह सेहत के लिए सुरक्षित है? इस संवेदनशील मुद्दे पर डॉक्टरों की राय जानना न केवल ज़रूरी है, बल्कि युवा पीढ़ी को गलत फैसलों से बचाने में भी मददगार साबित हो सकता है। आइए, विशेषज्ञों के नज़रिए से समझते हैं कि कम उम्र में प्राइवेट वैक्सिंग का फैसला कितना सही है।

डॉक्टरों का नज़रिया - क्यों है चिंता की बात?

डर्मेटोलॉजिस्ट और गायनेकोलॉजिस्ट मानते हैं कि 15-18 साल से कम उम्र में प्राइवेट वैक्सिंग कराना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। दिल्ली के मशहूर डर्मेटोलॉजिस्ट कहती हैं, "किशोरावस्था की त्वचा बहुत नाजुक और संवेदनशील होती है। प्राइवेट एरिया की स्किन और भी पतली होती है, जहां वैक्सिंग से त्वचा में जलन, लाल चकत्ते, इनग्राउन हेयर और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।" उनका मानना है कि इस उम्र में हार्मोनल बदलाव तेजी से हो रहे होते हैं, जिससे बालों का ग्रोथ पैटर्न अस्थिर रहता है। वैक्सिंग के दौरान खींचे जाने वाले बालों से फॉलिकल्स डैमेज हो सकते हैं, जिससे भविष्य में बालों की ग्रोथ अनियमित हो सकती है। गायनेकोलॉजिस्ट बताती हैं, "प्राइवेट पार्ट की त्वचा में नमी बनी रहती है, जिससे बैक्टीरियल या फंगल इन्फेक्शन का रिस्क बढ़ जाता है। खासकर मासिक धर्म चक्र के दौरान इम्यूनिटी कमज़ोर होती है, जिससे संक्रमण तेजी से फैल सकता है।"

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मनोवैज्ञानिक प्रभाव - क्या है दबाव की असलियत?

कम उम्र में वैक्सिंग का फैसला अक्सर सामाजिक दबाव और गलत सूचनाओं के चलते लिया जाता है।, "युवा लड़कियां सोशल मीडिया पर देखती हैं कि 'स्मूथ स्किन' खूबसूरती का मानक है, या फिर दोस्तों के बीच चर्चाओं से प्रभावित होकर वैक्सिंग कराने का मन बना लेती हैं। लेकिन इस उम्र में शारीरिक बदलावों को स्वीकार करना और अपने शरीर से जुड़े फैसले खुद लेना सीखना ज़रूरी है।" उनके अनुसार, कई बार लड़कियां वैक्सिंग के दर्द से डरती हैं, फिर भी कराती हैं, जिससे शारीरिक और मानसिक तनाव बढ़ता है।  "जब कोई लड़की अपनी इच्छा के खिलाफ वैक्सिंग कराती है, तो उसमें अपने शरीर के प्रति नकारात्मक भावनाएं पनपने लगती हैं। इससे उसका आत्मविश्वास कम हो सकता है और शरीर को लेकर शर्मिंदगी महसूस हो सकती है।" वे ज़ोर देते हैं कि माता-पिता को बेटियों के साथ खुलकर बात करनी चाहिए और उन्हें समझाना चाहिए कि शरीर के प्राकृतिक बाल हटाना उनकी पसंद पर निर्भर करता है, न कि किसी दबाव में।

 सुरक्षित विकल्प - क्या हैं बेहतर तरीके?

अगर किसी लड़की को वाकई बाल हटाने हैं, तो डॉक्टर 18 साल की उम्र के बाद वैक्सिंग की सलाह देते हैं। लेकिन इसके लिए कुछ सुरक्षा उपाय अपनाने ज़रूरी हैं। "अगर वैक्सिंग कराना ही है, तो हमेशा प्रोफेशनल सैलून में कराएं, जहां स्टरलाइज़्ड टूल्स और हाइजीनिक वातावरण हो। घर पर वैक्सिंग करना खतरनाक हो सकता है।" उनके मुताबिक, वैक्सिंग से पहले एक टेस्ट पैच लगाकर एलर्जी चेक करना चाहिए और मोम गर्म करने का तापमान ध्यान से रखना चाहिए, ताकि जलन न हो। वैकल्पिक तौर पर, डॉक्टर ट्रिमिंग (trimming) को बेहतर विकल्प बताते हैं।  "ट्रिमिंग से बाल छोटे हो जाते हैं, लेकिन जड़ से नहीं निकाले जाते, जिससे स्किन इरिटेशन और इन्फेक्शन का खतरा कम हो जाता है। यह त्वचा के लिए सुरक्षित है और दर्द भी नहीं होता।" अगर किसी को वैक्सिंग ज़रूरी लगती है, तो डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए, खासकर अगर स्किन सेंसिटिव हो या हार्मोनल इश्यूज हों।

 क्या कहते हैं वैज्ञानिक तथ्य?

शोध बताते हैं कि प्राइवेट एरिया की त्वचा शरीर की सबसे संवेदनशील त्वचा में से एक है। अमेरिकन अकादमी ऑफ डर्मेटोलॉजी (AAD) के अनुसार, किशोरावस्था में इस क्षेत्र की त्वचा में pH लेवल अस्थिर रहता है, जिससे वैक्सिंग के बाद सूजन, खुजली और फंगल इन्फेक्शन का खतरा 40% तक बढ़ जाता है। एक अध्ययन में पाया गया कि 15-17 आयु वर्ग की 65% लड़कियों को वैक्सिंग के बाद इनग्राउन हेयर की समस्या हुई, जिससे दाने और स्किन डार्कनिंग हुई। "यूरोपियन जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स" में प्रकाशित शोध के मुताबिक, कम उम्र में वैक्सिंग कराने वाली लड़कियों में बॉडी डिसमॉर्फिक डिसऑर्डर (शरीर के प्रति अत्यधिक चिंता) के लक्षण देखे गए। इसके अलावा, बाल निकालने से प्राइवेट पार्ट की नेचुरल प्रोटेक्टिव लेयर क्षतिग्रस्त हो सकती है, जो बैक्टीरिया से बचाव करती है। वैज्ञानिकों का सुझाव है कि 18 साल की उम्र तक शरीर के प्राकृतिक विकास को पूरा होने दें, उसके बाद ही कोई भी कॉस्मेटिक प्रक्रिया अपनाएं।

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स्वास्थ्य और सही जानकारी का महत्व

कम उम्र में प्राइवेट वैक्सिंग का फैसला शारीरिक सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को प्रभावित करता है। डॉक्टरों की सलाह साफ है: 18 साल की उम्र से पहले वैक्सिंग से बचें, क्योंकि इस उम्र में शरीर अभी विकसित हो रहा होता है और त्वचा बहुत संवेदनशील होती है। अगर आप या आपकी बेटी इस सवाल से जूझ रही है, तो याद रखें कि शरीर के प्राकृतिक बालों को स्वीकार करना पहला कदम है। बाल हटाना एक व्यक्तिगत विकल्प है, लेकिन यह फैसला सिर्फ और सिर्फ सही जानकारी और डॉक्टर की सलाह के बाद ही लिया जाना चाहिए। माता-पिता को बेटियों के साथ खुलकर बात करनी चाहिए और उन्हें गलत सूचनाओं से सावधान रखना चाहिए। याद रखें, आपका शरीर आपका है, और उसकी देखभाल करने का अधिकार सिर्फ आपके पास है। सेहत से खिलवाड़ करने के बजाय, सही समय का इंतज़ार करें और विशेषज्ञों की राय पर भरोसा करें।
  

 
 


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Content Editor

Priya Yadav

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