Indira Ekadashi 2025: इस बार बनेंगे 4 शुभ योग, भगवान विष्णु और पितरों की कृपा पाने का दुर्लभ संयोग
punjabkesari.in Tuesday, Sep 16, 2025 - 04:07 PM (IST)

नारी डेस्क: इंदिरा एकादशी 2025 का व्रत इस साल 17 सितंबर को रखा जाएगा। यह तिथि न सिर्फ भगवान विष्णु की पूजा के लिए विशेष है, बल्कि पितृ पक्ष में आने के कारण यह ग्यारस श्राद्ध का भी दिन रहेगा। इस एकादशी पर इस बार चार महत्वपूर्ण शुभ योग बन रहे हैं, जिससे व्रत और पूजा का फल कई गुना अधिक हो जाएगा।
इंदिरा एकादशी 2025: तिथि और महत्व
इंदिरा एकादशी, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी होती है। इसे विशेष रूप से भगवान विष्णु को समर्पित किया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन विधिपूर्वक व्रत और पूजन करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है। यह एकादशी पितृ पक्ष के दौरान आती है, इस कारण इसे ग्यारस श्राद्ध या एकादशी श्राद्ध भी कहा जाता है। इस दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु किसी भी महीने की एकादशी तिथि को हुई हो।
शुभ योगों का संयोग
इस वर्ष इंदिरा एकादशी पर चार विशेष शुभ योगों का निर्माण हो रहा है
परिघ योग
शिव योग
पुनर्वसु नक्षत्र
पुष्य नक्षत्र
इन चारों योगों में किए गए व्रत, पूजन और श्राद्ध कर्म का फल कई गुना अधिक मिलता है। इन योगों के कारण यह तिथि अत्यंत शुभ मानी जा रही है।
पूजन और व्रत के समय
इंदिरा एकादशी तिथि: बुधवार, 17 सितंबर 2025
पूजन का समय: एकादशी तिथि पूरे दिन रहेगी। सुबह या शाम किसी भी समय पूजा की जा सकती है।
राहुकाल: दोपहर 12:15 से 01:47 बजे तक रहेगा, इस समय पूजा से बचें।
व्रत पारण का समय: 18 सितंबर 2025 को सुबह 06:07 से 08:34 बजे के बीच
ग्यारस श्राद्ध का महत्व
इंदिरा एकादशी के दिन ग्यारस श्राद्ध भी किया जाएगा। यह उन पितरों के लिए श्राद्ध और पिंडदान करने का विशेष दिन है जिनकी मृत्यु एकादशी तिथि को हुई हो। इस दिन श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे संतुष्ट होकर आशीर्वाद देते हैं।
व्रत रखने वाले व्यक्ति को चाहिए कि वह संकल्प लेकर भगवान विष्णु की पूजा करे और पूर्वजों का श्रद्धापूर्वक तर्पण व पिंडदान करे। इससे जीवन में पितृ दोष दूर होता है और परिवार में सुख-शांति आती है। इंदिरा एकादशी 2025 का यह पर्व आध्यात्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन बन रहे चार शुभ योग इसे और भी फलदायक बना रहे हैं। भगवान विष्णु की पूजा के साथ पितरों के लिए श्राद्ध करने से न केवल पापों से मुक्ति मिलती है बल्कि दिव्य आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
ऐसे में श्रद्धा और विधिपूर्वक व्रत व श्राद्ध करने से जीवन में शांति, समृद्धि और आत्मिक उन्नति संभव है।