Indira Ekadashi: पितृपक्ष की इंदिरा एकादशी का विशेष महत्व, जानें पूजा विधि व कथा
punjabkesari.in Thursday, Sep 30, 2021 - 04:35 PM (IST)
हर महीने में 2 एकादशी की तिथियां पड़ती है। इंदिरा एकादशी की तिथि पितृ पक्ष में आती है। ऐसे में इसका खास महत्व माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही घर-परिवार में सुख-समृद्धि व खुशहाली का वास होता है। चलिए जानते हैं इंदिरा एकादशी व्रत पूजा विधि व कथा के बार में विस्तार से....
इंदिरा एकादशी व्रत पूजा विधि
पितृपक्ष में पड़ने वाली इंदिरा एकादशी की धार्मिक क्रियाएं दशमी से शुरू हो जाती है। इसलिए 1 अक्तूबर को ही घर के मंदिर में पूजा करें। दोपहर के समय नदी में पितरों का विधि-विधान से तर्पण करें। अगर आपके घर के पास कोई नदी नहीं है तो आप घर के पास के किसी जलाशय या छत पर तर्पण करें। इसके बाद ब्राह्मण भोज कराएं और खुद भी भोजन करें। मगर सूर्यास्त के बाद कुछ भी ना खाएं और व्रत का संकल्प लें। फिर अगली सुबह नहाकर साफ कपड़े पहकर सूर्य देवता को अर्घ्य दें। पूर्वजों को याद करते हुए भगवान विष्णु की मूर्ति को गंगाजल, पुष्प, रोली और अक्षत चढ़ाएं। भगवान को तुलसी मिश्रित मिठाई का भोग लगाएं। फिर विष्णु जी व लक्ष्मी माता की आरती करके विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। पूजा के बाद पितरों का श्राद्ध विधि करके ब्राह्मणों को भोजन कराएं। फिर गाय, कौवे और कुत्ते को भी भोजन खिलाएं। व्रत के अगले दिन यानि 3 अक्तूबर को द्वादशी की पूजा के बाद ब्राह्मण को भोजन कराएं और पितरों के नाम से दान-दक्षिणा दें। बाद में पूरा परिवार मिलकर भोजन करें।
इंदिरा एकादशी की व्रत कथा
पौराणिक कथा के मुताबिक सतयुग में महिष्मती नामक नगर में इंद्रसेन नाम का एक राजा रहता था। राजा का माता-पिता का स्वर्गवास हो गया था। एक रात राजा के सपने में उनके माता-पिता आए। उन्होंने देखा कि उनके मां-बाप नर्क में दुख सह रहे हैं। ऐसे में राजा उनके लिए बेहद दुखी व चितिंत हुए। अगली सुबह उन्होंने विद्वान ब्राह्मणों और मंत्रियों को बुलाकर अपने सपने के बारे में बताया। सपने को सुनने के बाद ब्राह्माणों ने कहा कि, 'हे राजन यदि आप सपत्नीक इंदिरा एकादशी का व्रत करेंगे तो इससे आपके पितरों की मुक्ति मिल सकती है। इस दिन सुबह उठकर नहाकर विधि-विधान से भगवान शालिग्राम की पूजा करें। उसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर दान-दक्षिणा दें। ऐसा करने से आपके माता-पिता को स्वर्ग में स्थान मिल जाएगा।' तब राजा ने ब्राह्मणों द्वारा बताई विधि से इंदिरा एकादशी का व्रत किया। कहा जाता है कि उस रात राजा को सपने में भगवान ने दर्शन दिए और कहा, 'राजन तुम्हारे व्रत के प्रभाव से तुम्हारे पूर्वजों को मोक्ष मिल गया है।
ऐसे में कहा जाता है कि इंदिरा एकादशी का व्रत रखने से पितरों को जन्मचक्र से मुक्ति मिलती है। साथ ही उन्हें बैकुंड में स्थान मिलता है।
सबसे ज्यादा पढ़े गए
Recommended News
Recommended News
आर्थिक तंगी होगी दूर, कर लें ये 6 उपाय
कमरे में युवक को इस हाल में देख परिजनों के उड़े होश, मौके पर पहुंची पुलिस
Lok Sabha Election 2024: BJP ने किया प्रभारियों का ऐलान, दिनेश शर्मा महाराष्ट्र तो धनखड़ बने दिल्ली के प्रभारी
कटनी में इलेक्ट्रिक लोको शेड के स्क्रैप में भड़क गई आग ,एनकेजे में मची अफरा तफरी...