सलाम: आईआईटी ने चार दिन में बनाया पोर्टेबल वेंटिलेटर, मोबाइल से होगा संचालित

punjabkesari.in Monday, Mar 30, 2020 - 12:02 PM (IST)

कोरोनावायरस को लेकर हर सेक्टर के माहिर लोग इस बीमारी को हराने का हर संभव प्रयास कर रहे है। अब ऐसे में आइआइटी कानुपर ने चार दिनों में पोर्टेबल  वेंटिलेटर बनाकर बड़ी कामयाबी हासिल की है। देश दुनिया में कोरोना के बढ़ते कहर को देखते हुए आइआइटी छात्रों ने फिलहाल पोर्टेबल वेंटिलेटर का प्रोटोटाइप तैयार किया है और इसे जल्द ही मरीजों पर टेस्टिंग किया जाएगा जिसके बाद एक माह में एक हजार पोर्टेबल वेंटिलेटर बनाने का लक्ष्य है। इस वेंटिलेटर में डॉक्टर्स की सुरक्षा को देखते हुए इसमें कुछ फीचर भी इनबिल्ड किए गए है। 

आईआईटी कानपुर बना रहा सस्ता ...

कोरोनो वायरस के रोगी जिस तरह दिन प्रतिदिन बढ़ रहे है उसे देखते हुए देश दुनिया में वेंटिलेटर की मांग भी बढ़ रही है।  हाल ही में इटली में हजारों कोरोना संक्रमित लोगों की मौत और मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने के चलते दूसरे देशों से वेंटिलेटर की मांग की गई थी, लेकिन खुद ही महामारी से जूझ रहे अन्य देश आगे नहीं आए हैं। वहीं भारत में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ते देखकर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान(आइआइटी) कानपुर आगे आए है और उन्होंने अभी से इस महामारी से लड़ने की तैयारी कर ली है। इसी के कारण उन्होंने अभी तक चार दिन में पोर्टेबल वेंटीलेटर का प्रोटोटाइप मॉडल भी तैयार कर लिया है। 

आइआइटी के छात्र बताते है कि कैसे उनकी टीम ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग, स्काईप और अन्य तरीके से दिन रात एक कर प्रोटोटाइप मॉडल तैयार किया। उनकी कंपनी ने कुछ अन्य संस्थाओं के सहयोग से जल्द से जल्द कई वेंटीलेटर बनाने का निर्णय लिया है। 

Corona outbreak: The cause of death in India is often not get to ...

डॉक्टरों की सुरक्षा का रखा ध्यान, मोबाइल से होगा संचालित
वहीं अगर देखा जाए तो कोरोना से डॉक्टर भी इस वायरस की चपेट में आ रहे है आइआइटी के अनुसार एक डॉक्टर के लिए  सबसे ज्यादा संवेदनशील वेंटिलेटर होता है क्योंकि उसे चलाने के लिए बार बार हाथ लगाना पड़ता है और इससे वायरस फैलने का खतरा कई गुना ज्यादा हो जाता है जिसके कारण ही वेटिंलेटर को पोर्टेबल वेंटिलेटर रखा गया है। विशेषज्ञों की माने तो पोर्टेबल वेंटीलेटर मोबाइल फोन से काम करेगा ।

ऐसे में इसे डाॅक्टर बिना हाथ लगाए इसको कंट्रोल कर सकेंगे। इसमें ऑक्सीजन के लिए दो ऑप्शन है, एक स्लो और दूसरा फ़ास्ट। इसमें आसानी से ऑक्सीजन सिलिंडर भी जोड़ा जा सकता है।इसमें छोटी बैटरी भी लगी है, यदि कुछ देर बिजली आपूिर्त बंद भी हो जाएगी तो भी यह काम करता रहेगा। 

 When corona doctors let die – no matter how they decide | Web24 News
 इसे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से जोड़ा जा रहा है, इसमें रोगी की स्तिथि को देखते वेंटिलेटर खुद ही फैंसला लेगा कि किस मोड में ऑक्सीजन सप्लाई देनी है। इसके साथ ही कोरोना संक्रमित मरीज से वेंटिलेटर हटाने के बाद उसे सेनेटाइज करने के लिए भी ऑपशन दिया जा रहा है। इसकी लागत कुछ अधिक होगी लेकिन संक्रमण का खतरा कम रहेगा।


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Content Writer

Vandana

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