हमेशा गुमसुम और उदास रहता है बच्चा, तो इग्नोर करने की बजाय बैठकर करें उनसे बात
punjabkesari.in Friday, Aug 22, 2025 - 04:19 PM (IST)

नारी डेस्क: बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास पर गहराई से नजर रखने वाले चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट अक्सर कहते हैं कि कई बार माता-पिता और दादा-दादी बच्चे की कुछ आदतों को नज़रअंदाज कर देते हैं, लेकिन यही लापरवाही आगे चलकर मानसिक समस्याओं का कारण बन सकती है। विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि इन आदतों पर ध्यान देना बेहद ज़रूरी है

बार-बार गुस्सा या चिड़चिड़ापन
अगर बच्चा हर छोटी बात पर गुस्सा करता है और यह पैटर्न लगातार हो रहा है, तो यह अंदरूनी तनाव, चिंता या मानसिक परेशानी का संकेत हो सकता है।
अत्यधिक चुप्पी या खुद को अलग-थलग करना
अगर बच्चा खेलने या दोस्तों से मिलने-जुलने से बचता है और ज़्यादातर अकेला रहता है, तो यह डिप्रेशन या लो-कॉन्फिडेंस का संकेत हो सकता है।
नींद और खाने की आदतों में बदलाव
अचानक बच्चे का खाना-पीना कम हो जाना या बहुत ज़्यादा सोना/नींद न आना भी चिंता का विषय है। छोटी-छोटी बातों पर डर जाना, अंधेरे, आवाज़ या भीड़ से घबराना भी इमोशनल असुरक्षा का संकेत हो सकता है।
स्कूल जाने से बचना या पढ़ाई में गिरावट
अगर बच्चा बार-बार बहाने बनाकर स्कूल नहीं जाना चाहता या पढ़ाई में अचानक गिरावट दिख रही है, तो यह बुलीइंग या मानसिक दबाव का नतीजा हो सकता है।
शारीरिक नुकसान पहुंचाने की आदत (Self-harm tendency)
अगर बच्चा खुद को चोट पहुँचाने की कोशिश करता है या इस बारे में बातें करता है, तो इसे बिल्कुल भी नज़रअंदाज़ न करें।

क्या करें पेरेंट्स
-बच्चे से प्यार और धैर्य से बातचीत करें।
-उसकी भावनाओं को हल्के में न लें।
-ज़रूरत पड़ने पर तुरंत चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट या काउंसलर से संपर्क करें।
-घर में बच्चे के लिए सुरक्षित और सकारात्मक माहौल बनाएं।
बच्चे की छोटी-सी आदत भी आगे चलकर बड़ी समस्या का रूप ले सकती है, इसलिए ध्यान देना ही सबसे बड़ा बचाव है।