बच्चा रोते-रोते क्यों रोक लेता हैं सांस? जानिए क्या करें मांएं

punjabkesari.in Tuesday, Oct 05, 2021 - 01:31 PM (IST)

कई बार बच्चे रोते-रोते, गुस्से, निराशा, अवसाद, डर या दर्द होने पर सांस रोक लेते हैं जिसे देख मांएं परेशान हो जाती है। एक्सपर्ट की मानें तो 60% बच्चों में यह समस्या देखने को मिलती है, जिसे ब्रेथ होल्डिंग सिंड्रोम (breath holding syndrome) या Breath Holding Spell कहते हैं। हालांकि 6 महीने या 5-6 साल की उम्र के बाद बच्चों में इसकी संभावना कम हो जाती है। चलिए आपको बताते हैं कि अगर बच्चा ऐसा करें तो मांएं क्या करें और क्या नहीं?

सबसे पहले जानिए कारण

2 साल के बच्चों में यह समस्या अधिक देखने को मिलती है, जिसका कारण जेनेटिक यानि पारिवारिरीक हिस्ट्री हो सकती है। इसके अलावा...

. शरीर में आयरन व हीमोग्लोबिन की कमी
. दिल संबंधी रोग
. ब्रेन ट्यूमर
. नींद के सामान्य पैटर्न में अचानक बदलाव
. सुस्ती या हर वक्त थकावट रहना

PunjabKesari

ब्रेथ होल्डिंग स्पेल के प्रकार

-पहला सीयनोटिक स्पेल (Cynotic Spell), जिसमें बच्चा जिद्द करते समय सांस रोक लेता है। इसमें होंठ नीले होना, मांसपेशियों में जकड़ना, शरीर का कड़ा होना, बेहोशी और कभी-कभी झटके भी आ सकते हैं।

-पल्लीओड स्पेल (Pallid Spell) , जिसमें किसी चोट या दर्द के कारण रोते समय बच्चे श्वास रोक लेते हैं। इसमें दिल की धड़कनें कम हो जाती है और पसीना अधिक आता है। वहीं, मिक्स्ड स्पेल (Mixed Spell), जिसमें सांस रोकने की दोनों ही वजह और लक्षण होते हैं।

ब्रेथ होल्डिंग स्पेल के लक्षण

. बच्चा रोते हुए श्वास रोक ले तो उसका रंग सफेद या नीला पर जाता है, खासतौर पर होंठों का
. कई बार बच्चा बेहोश हो जाता है और 1 मिनट बाद होश में भी आ जाता है।
. रोते-रोते त्वचा का रंग लाल, बैंगनी या नीला पड़ जाना
. नथुनों का फड़कना
. 1 मिनट तक बेहोश हो जाना
. 1 साल से 3 साल की आयु तक ऐसा होना आम है लेकिन अगर बेहोशी 1 मिनट से ज्यादा तो डॉक्टर से बात करें।

PunjabKesari

मांएं क्या करें?

. अगर बच्चा रोते-रोते या सांस लेते समय लेट जाए तो उसे उठाने की कोशिश ना करें, इससे मस्तिष्क में ब्लड सर्कुलेशन कम हो सकता है।
. अगर समान्य स्थिति या सोते समय ऐसा हो तो डॉक्टर को बिना देरी दिखाएं क्योंकि यह दिल की बीमारी या ब्रेन ट्यूमर का संकेत भी हो सकता है।
. नाक-मुंह आदि को गीले कपड़े से साफ करें।
. ध्यान रखें कि अगर बच्चा सांस रोक लें तो उसके मुंह में पानी ना डालें और ना ही उसे ढके।
. बच्चे का मुंह एक ओर करके आराम से गोद में या बिस्तर पर लिटा दें और कपड़े ढीले कर दें। 
. अगर आपको लगे कि बच्चा ज्यादा चिड़चिड़ा या जिद्दी हो रहा है और वो सांस रोक लेगा तो उसके मुंह पर फूंक मारे। इससे वो सांस लेना नहीं भूलेगा।
. बच्चों के स्वभाव पर ध्यान दें और उसे ज्यादा पैम्पर ना करें। साथ ही उनके आस-पास हमेशा पॉजिटिव माहौल रखें।

PunjabKesari


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Anjali Rajput

Recommended News

Related News

static