ICU में इस्तेमाल होने वाली नली (कैथेटर) बन रही जानलेवा, AIIMS की स्टडी में बड़ा खुलासा

punjabkesari.in Wednesday, Aug 20, 2025 - 04:07 PM (IST)

नारी डेस्क:  दिल्ली के AIIMS (ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) की एक हालिया रिसर्च में पता चला है कि देश के कई अस्पतालों की ICU में इस्तेमाल होने वाली कैथेटर (नली) से खतरनाक ब्लडस्ट्रीम संक्रमण (Bloodstream Infection) फैल रहे हैं। ये संक्रमण मरीजों के इलाज के दौरान उनकी जान को भी खतरे में डाल सकते हैं।

कैथेटर क्या होता है?

अस्पतालों में जब मरीज की हालत गंभीर होती है, तब उनके शरीर में कई तरह की नलियां (ट्यूब) डाली जाती हैं। इन नलियों के जरिए पेशाब निकाला जाता है, शरीर में दवाइयां दी जाती हैं और तरल पदार्थ पहुंचाए जाते हैं। इन नलियों को मेडिकल भाषा में कैथेटर कहा जाता है। कैथेटर से इलाज आसान हो जाता है, लेकिन इसके कारण गंभीर संक्रमण होने का खतरा भी बढ़ जाता है।

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क्या मिला AIIMS के शोध में?

AIIMS की स्टडी में यह सामने आया है कि भारत के अस्पतालों में ICU के मरीजों को दिए जाने वाले कैथेटर से ब्लडस्ट्रीम संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। ये संक्रमण ऐसे सूक्ष्मजीव (माइक्रोब्स) की वजह से होते हैं, जो एंटीबायोटिक्स के खिलाफ रोधक (antibiotic resistance) बन चुके हैं। इसका मतलब यह है कि दवाइयां इन माइक्रोब्स पर असर नहीं करतीं, जिससे मरीजों का इलाज लंबा और महंगा हो जाता है।

कितना गंभीर है मामला?

द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय ICU में जहाँ “सेंट्रल लाइन” यानी बड़ी नस में डाली गई विशेष ट्यूब का उपयोग होता है, वहां हर 1000 सेंट्रल लाइन-डे पर करीब 9 मरीजों को ब्लडस्ट्रीम संक्रमण होता है। इस संक्रमण को “सेंट्रल लाइन-एसोसिएटेड ब्लडस्ट्रीम इंफेक्शन” (CLABSI) कहा जाता है। ये संक्रमण अक्सर अस्पताल के वातावरण में ही फैलते हैं, लेकिन सही सावधानी बरतकर इन्हें रोका जा सकता है।

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क्यों बढ़ रहे हैं संक्रमण के मामले?

शोध में पाया गया कि कोविड महामारी के दौरान (2020-21) ICU में मरीजों की संख्या बढ़ने, स्टाफ की कमी और संक्रमण नियंत्रण के उपायों में कमी के कारण CLABSI संक्रमण के मामले सबसे ज्यादा बढ़े।

स्टडी का डेटा

इस स्टडी में 1 मई 2017 से 30 अप्रैल 2024 तक देश के 54 अस्पतालों के 200 ICU की रिपोर्ट का विश्लेषण किया गया। इस दौरान 8629 बार ब्लडस्ट्रीम संक्रमण की पुष्टि हुई। शोधकर्ताओं के अनुसार हर 1000 सेंट्रल लाइन-डे पर लगभग 8.83 मरीजों को संक्रमण हुआ।

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समाधान क्या है?

शोधकर्ता कहते हैं कि ICU में ब्लडस्ट्रीम संक्रमण की निगरानी करना जरूरी है ताकि सही समय पर रोकथाम के उपाय अपनाए जा सकें। लेकिन भारत जैसे देश में इसके लिए संगठित निगरानी प्रणाली स्थापित करना चुनौतीपूर्ण है क्योंकि इसके लिए पर्याप्त संसाधन चाहिए।

ICU में इस्तेमाल होने वाली नलियों (कैथेटर) से फैलने वाले संक्रमण गंभीर और जानलेवा हो सकते हैं। इसलिए अस्पतालों में साफ-सफाई, स्टाफ की संख्या बढ़ाना और संक्रमण नियंत्रण के कड़े नियम लागू करना जरूरी है, ताकि मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
 

 


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Content Editor

Priya Yadav

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